राजकोषीय घाटे को 3 % पर लाने की गुंजाइश सीमित: मूडीज़

वैश्विक रेटिंग एजेंसी का मानना है कि सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाने के वादे को दोहरायेगी और आगामी बजट में नोटबंदी की वजह से हुई अल्पकालिक गड़बड़ी के प्रभाव को दूर करने के उपाय करेगी।

चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे के 3.5 प्रतिशत के लक्ष्य को संभवत: हासिल कर लिया जायेगा लेकिन ढांचागत क्षेत्र में अधिक खर्च को देखते हुये वर्ष 2017-18 में इसे कम करके सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के तीन प्रतिशत के दायरे में सीमित रखने की गुंजाइश कम दीखती है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज़ ने आज यह आशंका व्यक्त की है। वैश्विक रेटिंग एजेंसी का मानना है कि सरकार पूंजीगत खर्च बढ़ाने के अपने वादे को दोहरायेगी और आगामी बजट में नोटबंदी की वजह से हुई अल्पकालिक गड़बड़ी के प्रभाव को दूर करने के उपाय करेगी। वर्ष 2017-18 का आम बजट एक फरवरी को पेश होगा।

मूडीज़ इनवेस्टर्स सर्विस ने अपने एक वक्तव्य में कहा है, ‘‘राजकोषीय मोर्चे पर हो सकता है कि सरकार मार्च 2017 में समाप्त होने वाले चाले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे को जीडीपी का 3.5 प्रतिशत पर रखने के बजट लक्ष्य को हासिल कर ले। लेकिन नये वित्त वर्ष में सरकारी कर्मचारियों के बढ़े वेतन बोझ और ढांचागत क्षेत्र में व्यय बढ़ाने की जरूरतों को देखते हुये इसे जीडीपी के तीन प्रतिशत पर रखने की गुंजाइश काफी सीमित है।’’

वक्तव्य के अनुसार लंबित वस्तु एवं सेवाकर (जीएसटी) के लागू होने और आय घोषणा तथा कर वसूली बढ़ाने के लक्ष्य वाले दूसरे उपायों से देश के कर आधार को व्यापक बनाने तथा राजस्व प्राप्ति बढ़ाने में मदद मिलेगी। इसमें कहा गया है कि इस प्रकार का बढ़ावा देने वाले उपायों पर अमल समय के साथ ही हो पायेगा और इसका कितना प्रभाव होगा फिलहाल इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।

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