शिक्षकों को हथियार सौंपना : प्रभावी सुरक्षा कदम या सुरक्षा का झूठा अहसास ?

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वर्ष 2021 के अध्ययन के मुताबिक, 70 प्रतिशत अमेरिकियों ने स्कूलों में सशस्त्र संसाधन अधिकारियों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की तैनाती के विचार का समर्थन किया लेकिन केवल 41 प्रतिशत ने ही शिक्षकों को स्कूल में बंदूक का प्रशिक्षण देने का समर्थन किया।

(एमी हफ, एसोसिएट प्रोफेसर, ऑरेगन राज्य विश्वविद्यालय एवं मिशेल बरनहारे, एसोसिएट प्रोफेसर, ऑरेगन राज्य विश्वविद्यालय) सालेम (अमेरिका)| टेक्सास के उवाल्डे स्थित रॉब एलिमेंटरी स्कूल में हुई गोलीबारी के बाद कुछ निर्वाचित अधिकारी शिक्षकों को हथियार सौंपने और उन्हें आग्नेयास्त्रों का प्रशिक्षण देने की मांग कर रहे हैं ताकि देश के स्कूलों की रक्षा की जा सके।

इस संबंध में ‘द कन्वरसेशन’ ने एमी हफ और मिशेल बरनहारे से बातचीत की जो ऑरेगन राज्य विश्वविद्यालय में विपणन के एसोसिएट प्रोफेसर हैं जिन्होंने छात्रों की रक्षा करने के लिए देश के शिक्षकों को हथियार देने या उन्हें इससे दूर रखने के विषय पर अध्ययन किया है। शिक्षकों को हथियारबंद करने पर आम जनता क्या सोचती है? वर्ष 2021 में कराए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक 43 प्रतिशत अमेरिकियों ने स्कूल कर्मियों के हथियार रखने की नीति का समर्थन किया।

हालांकि, अगर आप इन आंकड़ों का विश्लेषण करेंगे तो पाएंगे कि इस नीति का समर्थन करने वाले अधिकतर रिपब्लिकन या हथियार मालिक हैं। उदाहरण के लिए 66 प्रतिशत रिपब्लिकन प्रतिभागियों ने इस नीति समर्थन किया जबकि ऐसे डेमोक्रेट प्रतिभागियों की हिस्सेदारी महज 24 प्रतिशत रही। वहीं, सर्वेक्षण में बंदूक रखने वाले 63 प्रतिशत प्रतिभागियों ने स्कूल कर्मियों को बंदूक से लैस करने का समर्थन किया जबकि जिनके पास बंदूकें नहीं हैं, उनमें से महज 33 प्रतिशत इस तरह के किसी कदम के पक्ष में रहे। अधिकतर शिक्षकों, अभिभावकों और विद्यार्थियों ने शिक्षकों के बंदूक के साथ आने के विचार का विरोध किया। नेशनल एजुकेशन एसोसिएशन सहित शिक्षकों के सबसे बड़े संगठनों ने भी शिक्षकों को हथियारबंद करने का विरोध किया। उनका कहना है कि स्कूलों में अधिक बंदूक लाने से ‘‘स्कूल अधिक खतरनाक स्थान बन जाएंगे और इससे हमारे विद्यार्थियों तथा शिक्षकों को बंदूक की हिंसा से बचाने में कोई राहत नहीं मिलेगी।’’

इन शिक्षकों ने बंदूक नियमन सहित अधिक एहतियाती कदम उठाने पर जोर दिया। जनता स्कूलों में गोलीबारी को लेकर चिंतित है लेकिन इन घटनाओं को प्रभावी तरीके से रोकने के लिए नीतियों और कदमों पर असहमत है।

वर्ष 2021 के अध्ययन के मुताबिक, 70 प्रतिशत अमेरिकियों ने स्कूलों में सशस्त्र संसाधन अधिकारियों और कानून प्रवर्तन अधिकारियों की तैनाती के विचार का समर्थन किया लेकिन केवल 41 प्रतिशत ने ही शिक्षकों को स्कूल में बंदूक का प्रशिक्षण देने का समर्थन किया।

हमारा अनुसंधान इस पर है कि अमेरिकी सशस्त्र आत्मरक्षा के संदर्भ में अधिकार और जिम्मेदारी को लेकर कैसे सोचते हैं। हमने पाया कि स्कूली बच्चों की रक्षा के बेहतरीन तरीके को लेकर रूढ़िवादी बंदूक मालिकों के बीच भी असहमति है।

कुछ लोग शिक्षकों को हथियार देने की वकालत कर रहे हैं लेकिन बाकी बंदूक मालिकों का कहना है कि इससे अंतत: स्कूल बच्चों के लिए कम सुरक्षित स्थान बन जाएगा। शिक्षकों को सशस्त्र बनाने का विरोध करने वाले ये रूढ़िवादी स्कूल की इमारत को अधिक सुदृढ करने के पक्ष में हैं। उवाल्डे की गोलीबारी के बाद कुछ राजनीतिज्ञों द्वारा शिक्षकों को हथियार देने और विशेष प्रशक्षिण देने की फिर से मांग की जा रही है। हालांकि, रॉब एलेमेंटरी स्कूल में गोलीबारी करने वाले से पुलिस अधिकारियों की गुठभेड़ को लेकर विरोधाभासी रिपोर्ट आ रही है और इसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं कि शिक्षकों को हथियारों से लैस करने के बावजूद क्या कुछ बदलेगा। पुलिस ने स्वीकार किया है कि वह बच्चों द्वारा आपात सेवा 911 पर फोन किए जाने के बावजूद स्कूल परिसर में दाखिल नहीं हुई।

यह भी तथ्य है कि कोलम्बाइन और पार्कलैंड स्कूल में क्रमश: 1999 और 2018 में हुई गोलीबारी के दौरान भी सशस्त्र अधिकारी मौजूद थे, ऐसे में लोगों का यह सवाल उठाना सही है कि क्या हथियारबंद शिक्षक हमलावर को मार गिराने में कारगर होंगे।

उवाल्डे गोलीबारी में प्रशिक्षित और अनुभवी पुलिस अधिकारियों के हस्तक्षेप करने की संभावित अनिच्छा की खबरों के बीच यह स्पष्ट नहीं है कि क्या शिक्षक ऐसे हमलों को रोक पाएंगे। शिक्षकों को हथियाबंद करने के संभावित नुकसान क्या होंगे? शिक्षकों को हथियारबंद करने से विद्यार्थियों और कर्मचारियों के साथ-साथ स्कूल जिलों को ही खतरा उत्पन्न हो सकता है।

इनमें शिक्षकों द्वारा गलती से स्वयं, विद्यार्थियों और कर्मियों को गोली मारने की घटना शामिल है। आत्मरक्षा के लिए गलत और अत्मरक्षा के लिए बंदूकों के इस्तेमाल के साथ नैतिक और कानूनी खतरा भी है। यहां तक कि उन शिक्षकों के लिए भी जिन्होंने इन हथियारों को चलाने का प्रशिक्षण लिया है।

एक अध्ययन के मुताबिक, उच्च प्रशिक्षित अधिकारी मुठभेड़ के दौरान अपने लक्ष्य पर केवल 18 प्रतिशत सटीक निशाना लगा पाते हैं। ऐसे में उनसे कम प्रशिक्षण प्राप्त शिक्षक अगर उतनी ही सटीकता से कार्य करते हैं तो उनके द्वारा चलाई गई प्रत्येक छह गोलियों में से चार या पांच हमलावर से इतर लगेंगी।

स्कूलों में बंदूक का वातावरण पैदा करने से रोजाना खतरा उत्पन्न होगा। हथियारबंद शिक्षक बिना मंशा के अपनी बंदूक का इस्तेमाल कर सकते हैं। उदाहरण के लिए वर्ष 2018 में वर्जीनिया के एलेक्जेंड्रिया के स्कूल में सशस्त्र पुलिस अधिकारी से गलती से गोली चल गई थी। ये बंदूक गलत हाथों में भी पड़ सकती हैं। शिक्षकों को बंदूक देने के समर्थन में तर्क क्या हैं? समर्थकों का कहना है कि अमेरिकी होने के नाते शिक्षकों को भी स्कूल में गोलाबारी सहित हिंसक अपराध में आत्मरक्षा के लिए बंदूक का इस्तेमाल करने का अधिकार है।

हमारे अनुसंधान में पता चला कि कुछ लोग आत्मरक्षा के अपने अधिकार की व्याख्या नैतिक अनिवार्यता के तौर पर करते हैं और तर्क देते हैं कि शिक्षकों का अधिकार एवं कर्तव्य है कि वे स्वयं और स्कूल के विद्यार्थियों की रक्षा करें। स्कूलों में होने वाली गोलीबारी में जान बचाने और या खत्म होने में महज कुछ सेकेंड का मामला होता है।

कुछ लोगों का मानना है कि वे अधिक सुरक्षित महसूस करेंगे अगर हथियारबंद शिक्षक बिना समय गंवाए हमलावर पर बंदूक से कार्रवाई करे बजाय इसके कि स्कूलों में तैनात सशस्त्र अधिकारी कार्रवाई करे। क्या किसी स्कूल जिले ने शिक्षकों को हथियार रखने की अनुमति दी है? हां, कम से कम 19 राज्यों के स्कूल जिलों ने शिक्षकों को हथियार रखने की अनुमति दी है। यह विचार वर्ष 1999 की कोलम्बाइन गोलीबारी के बाद आया और वर्ष 2018 में पार्कलैंड गोलीबारी के बाद इसने गति पकड़ी। कितने स्कूल जिलों ने शिक्षकों को बंदूक रखने की अनुमति दी है इसका आकलन करना मुश्किल है।

अमेरिका के अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग नीति है। न्यूयॉर्क में जहां स्कूलों में शिक्षकों के बंदूक ले जाने पर रोक है, वहीं मिसौरी और मोंटेना में शिक्षकों को बंदूक रखने की अनुमति है। इसका नतीजा क्या है? ऐसी घटनाएं दस्तावेजों में दर्ज हैं जब स्कूल कर्मियों ने अपने हथियार की मदद से हमलावर को मार गिराया।

हालांकि, अनुसंधानकर्ताओं को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जो साबित करे कि शिक्षकों को हथियार देने से स्कूल की सुरक्षा बढ़ती है। इसके बजाय स्कूलों को हथियार देने से शिक्षकों, विद्यार्थियों और समुदाय को सुरक्षा का झूठा भ्रम होता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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