RBI के नये गवर्नर शक्तिकांत दास का नार्थ ब्लाक से मिंट स्ट्रीट तक का सफर

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[email protected] । Dec 12 2018 11:54AM

भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी शक्तिकांत दास की पहचान एक ऐसे नौकरशाह के तौर पर है जिन्होंने केन्द्र में तीन अलग अलग वित्तमंत्रियों के साथ सहजता के साथ काम किया।

नयी दिल्ली। भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) के पूर्व अधिकारी शक्तिकांत दास की पहचान एक ऐसे नौकरशाह के तौर पर है जिन्होंने केन्द्र में तीन अलग अलग वित्तमंत्रियों के साथ सहजता के साथ काम किया। ऐसे में नार्थ ब्लाक से लेकर मिंट स्ट्रीट तक की उनकी यात्रा को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर देखा जा रहा है जो कि जटिल मुद्दों पर आम सहमति बनाने में विश्वास रखते हैं। शक्तिकांत दास को कार्य-क्रियान्वयन में दक्ष और टीम का व्यक्ति माना जाना जाता है। इस लिहाज से उन्हें भारतीय रिजर्व बैंक गवर्नर के पद केलिए उन्हें एक उपयुक्त चयन माना जा सकता है।

उदारीकरण के पिछले तीन दशक में यह पहला मौका है जब वित्त मंत्रालय के साथ तनाव के बीच किसी गवर्नर ने त्यागपत्र दिया है। वर्ष 1980 बैच तमिलनाडु काडर के आईएएस अधिकारी दास दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में स्नात्कोत्तर है लेकिन अपने 37 वर्ष लंबे कार्यकाल में वह राज्य अथवा केन्द्र में ज्यादातर आर्थिक एवं वित्त विभागों में ही तैनात रहे।

नवंबर 2016 में नोटबंदी की घोषणा के समय ज्यादा समय शक्तिकांत दास ही मीडिया के सामने आते थे। वित्त मंत्रालय में वह पहली बार 2008 में संयुक्त सचिव के तौर पर आये जब पी. चिदंबरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद संप्रग सरकार में जब प्रणब मुखर्जी ने वित्त मंत्री का कार्यभार संभाला तब भी वह इसी मंत्रालय में डटे रहे और पहले संयुक्त सचिव के तौर पर और फिर अतिरिक्त सचिव के रूप में लगातार पांच साल वह बजट बनाने की टीम का हिस्सा रहे। यह कार्यकाल चिदंबरम और मुखर्जी दोनों के समय रहा।

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दास को दिसंबर 2013 में रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय में सचिव बनाया गया लेकिन मई 2014 में केन्द्र में भाजपा की सरकार बनने के बाद उन्हें वापस वित्त मंत्रालय में राजस्व सचिव बनाया गया। पहले वह मोदी सरकार में कालेधन के खिलाफ उठाये गये कदमों में शामिल रहे और उसके बाद माल एवं सेवाकर को लागू करने में आम सहमति बनाने में उन्होंने अहम भूमिका निभाई। इसके बाद सितंबर 2015 में वह आर्थिक मामले विभाग में स्थानांतरित किये गये जहां उन्होंने नोटबंदी के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। नोटबंदी के बड़े झटके के दौरान सरकार का बचाव करते हुये उन्होंने न केवल आर्थिक गतिविधियों को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई बल्कि अर्थव्यवस्था में 500 और 2,000 रुपये का नया नोट जारी करने और इसकी आपूर्ति बढ़ाने में भी अग्रणी भूमिका निभाई। 

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 शक्तिकांत दास को एक शांत स्वभाव के व्यक्ति के रूप में जाना जाता है। वह अपना आपा कभी नहीं खोते हैं और वह आम सहमति से समाधान निकालने पर ज्यादा ध्यान देते हैं। ऐसे में रिजर्व बैंक में गवर्नर की भूमिका में वह आम सहमति से काम आगे बढ़ा सकते हैं। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय के बीच कई मुद्दों पर खींचतान बनी हुई है। इन मुद्दों में रिजर्व बैंक में कोष अधिशेष का उपयुक्त आकार क्या हो। सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों सहित विभन्न क्षेत्रों में कर्ज देने के नियमों को उदार बनाना जैसे कई मुद्दे हैं जिनपर वित्त मंत्रालय और रिजर्व बैंक आमने सामने रहे हैं। ऐसे में शक्तिकांत दास की भूमिका उल्लेखनीय होगी।

दास रिजर्व बैंक के 25वें गवर्नर होंगे। उनकी बेदाग सेवा के दौरान उनके खिलाफ एक प्रतिकूल बात उस समय हुई थी जब भाजपा सांसद सुब्रमणियम स्वामी ने परोक्ष रूप से आरोप लगाया था कि उन्होंने महाबलिपुरम (तमिलनाडु) में एक जमीन को हड़पने के मामले में चिंदबरम की मदद की है।यह मामला उस समय का बताया गया जब दास तमिलनाडु में उद्योग सचिव थे। उस समय वित्त मंत्री जेटली ने दास का पूरा बचाव किया था और कहा था कि ‘‘ यह एक अनुशासित सरकारी अधिकारी के खिलाफ अनुचित और असत्य आरोप है।’’

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