कर्जों के फंसने का रुझान हल्का हुआ: रिजर्व बैंक

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एस.एस. मुंद्रा ने आज कहा कि नयी गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) यानी अवरुद्ध ऋण की समस्या उत्पन्न होने की रफ्तार कम हुई है, हालांकि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कुछ बैंकों ने कारोबार में घाटा उठाया है लेकिन यह स्थिति राशि का अधिक प्रावधान करने की वजह से बनी है। मुद्रा ने कहा कि ज्यादातर बैंकों में पूंजी का स्तर काफी उपयुक्त है और सरकार ने जरूरत पड़ने पर अतिरिक्त पूंजी उपलब्ध कराने का वादा किया है। नकदी की तंगी से जूझ रहे सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की स्थिति में सुधार लाने के लिये सरकार ने पिछले महीने भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन ओवरसीज बैंक सहित 13 बैंकों में 22,915 करोड़ रुपये की पूंजी डालने की घोषणा की है।
सरकार ने यह कदम बैंकों में ऋण वृद्धि में तेजी लाने के लिये उठाया है जो कि पिछले दो दशक के निम्न स्तर पर पहुंच गई है। मुंद्रा ने कहा कि जहां तक फंसे कर्ज की बात है, उसमें मिला जुला रुख दिखाई देता है। ‘‘मैं जब अलग अलग बैंकों के परिणामों पर नजर डालता हूं, कई बैंक हैं जिन्हें देखकर लगता है कि बुरी स्थिति निकल चुकी है, लेकिन अन्य बैंक हैं, जो कि अभी इसके बीच में हैं और बाहर निकलने से पहले उन्हें कुछ और काम करना होगा।’’ ‘‘यह कहना काफी भोलापन होगा कि कोई नया एनपीए नहीं बन रहा है लेकिन नया एनपीए बनने की जो रफ्तार है वह स्पष्ट तौर पर कम हुई है और यही बड़ी बात है।’’ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 2014-15 में जहां 5.43 प्रतिशत यानी 2.67 लाख करोड़ रुपये था वहीं 2015-16 में यह बढ़कर 9.32 प्रतिशत यानी 4.76 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया।
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