ICAI CA Exam: 'साल 2047 तक 30 लाख नए CA की जरूरत', परीक्षा कार्यक्रम में हो सकता है बदलाव
साल में दो बार मई-जून और नवंबर-दिसंबर में आईसीएआई सीए परीक्षा आयोजित की जाती है। इस साल मई की शुरुआत में पहली बार संस्थान नए पाठ्यक्रम के आधार पर इंटरमीडिएट और फाइनल परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रहा है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के नए अध्यक्ष रणजीत कुमार अग्रवाल ने सीए की परीक्षा नए सिलेबस को लेकर अहम जानकारी शेयर की। उन्होंने बताया कि नए सिलेबस के मुताबिक सीए की परीक्षा आयोजित की जाएगी।
बता दें कि कुल 1.29 लाख छात्रों ने परीक्षा के मई-जून सत्र में उपस्थित होने के लिए पंजीकरण कराया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, 1 जुलाई, 2023 को नई योजना शुरू हुई। जिसके बाद आईसीएआई के लिए कुल 49000 छात्रों ने रजिस्ट्रेशन कराया है। इसमें फंडामेंटल लेवल पर कुल 58,900 रजिस्ट्रेशन हैं। जबकि 21,185 इंटरमीडिएट स्तर पर हैं।
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साल में दो बार होती है परीक्षा
साल में दो बार मई-जून और नवंबर-दिसंबर में आईसीएआई सीए परीक्षा आयोजित की जाती है। इस साल मई की शुरुआत में पहली बार संस्थान नए पाठ्यक्रम के आधार पर इंटरमीडिएट और फाइनल परीक्षा आयोजित करने की तैयारी कर रहा है। हांलाकि लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा के बाद इस कार्यक्रम में बदलाव हो सकता है। साल 2024 में 18वीं लोकसभा के लिए आम चुनाव होने हैं। अगर वर्तमान परीक्षा की तारीखें आम चुनाव से मेल खाती हैं, तो सीए परीक्षा को परीक्षा समिति मई 2024 पुनर्निर्धारित कर सकती है। आयोग की तरफ से नोटिफिकेशन जारी होने के बाद ही आखिरी फैसला लिया जाएगा।
30 लाख सीए की होगी जरूरत
आईसीएआई अध्यक्ष अग्रवाल ने बताया कि भारत को बढ़ती अर्थव्यवस्था को पूरा करने के लिए 2047 तक 30 लाख से अधिक नए सीए की आवश्यकता होगी। उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था में प्रत्येक एक ट्रिलियन डॉलर की वृद्धि के लिए करीब 1 लाख से अधिक चार्टेड अकाउंटेंट की जरूरत होगी। इसके साथ ही देश जब अपनी आजादी के 100 साल पूरे करेगा। तब तक के समय में 30 लाख सीए की जरूरत होगी।
आपको बता दें कि सीए की परीक्षा पास करने वाले छात्रों का प्रतिशत 10% से 20% है। साल 2023 में फाइनल स्तर की परीक्षा में 32,907 छात्र बैठे थे। जिनमें से सिर्फ 3009 छात्रों ने परीक्षा पास की थी। ऐसे में साल 2047 तक 30 लाख सीए की क्षमता को पूरा करने के लिए भारत में 500 से अधिक कॉलेजों और स्कूलों के साथ समझौता किया गया है। इस समझौते के तहत स्थानीय फैकल्टी को काम पर रखा जा रहा है। वहीं इन फैकल्टी को जरूरी सहायता भी प्रदान की जा रही है, जिससे कि स्कूलों और कॉलेजों में सीएम का पाठ्यक्रम अच्छे से पढ़ाया जा सके।
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