कार्डियोलॉजिस्ट बनकर रखें लोगों के दिलों का ख्याल और बनाएं अपनी पहचान

cardiology

एक बेहतरीन हृदय रोग विशेषज्ञ बनने के लिए छात्रों के पास ना सिर्फ चिकित्सा और विज्ञान में संबंधित ज्ञान होना चाहिए, बल्कि रोगियों की सेवा करने, दूसरों के प्रति दया करने, आत्म−प्रेरित होने और चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के लंबे समय तक जीवित रहने में सक्षम होना चाहिए।

हृदय हमारे शरीर का एक बेहद महत्वपूर्ण आंतरिक अंग है और एक हेल्दी लाइफस्टाइल जीने के लिए जरूरी है कि आप इसका पूरी तरह ख्याल रखें। आमतौर पर लोग अपने दिल का ख्याल रखने के लिए खानपान से लेकर अन्य कई उपाय अपनाते हैं, लेकिन फिर भी कई बार लोगों को कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस स्थिति में व्यक्ति को कार्डियोलॉजिस्ट को कंसल्ट करने की जरूरत पड़ती है। कार्डियोलॉजी चिकित्सा का एक प्रभाग है जो हृदय विकारों से संबंधित निदान और उपचार से संबंधित है। दिल के विकारों से निपटने वाले चिकित्सा चिकित्सकों को आमतौर पर कार्डियोलॉजिस्ट या हृदय रोग विशेषज्ञ कहा जाता है। चिकित्सा विज्ञान की इस शाखा का बेहद महत्व है और अगर आप चाहें तो इस दिशा में अपना कदम बढ़ा सकते हैं−

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क्या होता है काम

एक हृदय रोग विशेषज्ञ हृदय, धमनियों और नसों का डॉक्टर है। एक्सपर्ट्स के अनुसार, हृदय रोग विशेषज्ञ हृदय की विफलता, जन्मजात हृदय दोष और कोरोनरी धमनी रोग का निदान और उपचार प्रदान करते हैं। इसमें धमनियों के संकीर्ण होने, हृदय के वाल्व में समस्याएं, मांसपेशियों के ऊतकों को नुकसान और पेरिकार्डियम के विकार के कारण प्रतिबंधित परिसंचरण के कारण होने वाली समस्याएं शामिल हैं।

स्किल्स

एजुकेशन एक्सपर्ट्स का मानना है कि एक बेहतरीन हृदय रोग विशेषज्ञ बनने के लिए छात्रों के पास ना सिर्फ चिकित्सा और विज्ञान में संबंधित ज्ञान होना चाहिए, बल्कि रोगियों की सेवा करने, दूसरों के प्रति दया करने, आत्म−प्रेरित होने और चिकित्सा शिक्षा और अभ्यास के लंबे समय तक जीवित रहने में सक्षम होना चाहिए। कार्डियोलॉजिस्ट बनने के लिए अनुशासन, धैर्य, उत्कृष्टता के लिए प्रतिबद्धता और आत्मविश्वास का होना भी उतना ही आवश्यक है। उनके पास जीवन की खतरनाक स्थितियों में निर्णय लेने की क्षमता होनी चाहिए। कैरियर कोच कहते हैं कि हृदय रोग विशेषज्ञ को भी आहार और व्यायाम विशेषज्ञ भी होना चाहिए। 

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योग्यता

एक कार्डियोलॉजिस्ट बनने के लिए एमबीबीएस की डिग्री के अलावा कई सालों की प्रैक्टिस, लाइसेंस व बोर्ड सर्टिफिकेशन होना चाहिए। कार्डियोलॉजिस्ट बनने के लिए एमडी/एमएस या डीएनबी की डिग्री लेने के बाद इस क्षेत्र में स्पेशलाइजेशन के लिए डीएम इन कार्डियोलॉजी की डिग्री लेनी होगी। इस डिग्री की अवधि लगभग तीन साल की होती है।

अवसर

कॅरियर काउंसलर के अनुसार, एक प्रोफेशनल कार्डियोलॉजिस्ट के लिए अवसरों की कोई कमी नहीं है। आप सरकारी या प्राइवेट हास्पिटल में बतौर डॉक्टर काम कर सकते हैं। इसके अलावा आप कार्डियक रिहैबिलेशन सेंटर या क्लीनिक टेस्टिंग सेंटर्स में भी काम कर सकते हैं। वहीं आप खुद की प्रैक्टिस भी शुरू कर सकते हैं और खुद का क्लीनिक खोल सकते हैं। जो कार्डियोलॉजिस्ट पढ़ाना पसंद करते हैं, वे मेडिकल कॉलेजों में बतौर लेक्चरर भी अपनी सेवाएं दे सकते हैं।

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आमदनी

एक कार्डियोलॉजिस्ट की आमदनी उसके अनुभव व भौगोलिक स्थान पर मुख्य रूप से निर्धारित होती है। जो कार्डियोलॉजिस्ट शहर में काम करते हैं, उन्हें अपेक्षाकृत अधिक सैलरी मिलती है, वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में आमदनी का स्तर कम हो सकता है। हालांकि अगर आप किसी सरकारी अस्पताल में बतौर फ्रेशर काम शुरू करते हैं, तब भी शुरूआती दौर में आप 25000 रूपए आसानी से कमा सकते हैं। जबकि निजी अस्पतालों में वेतन अधिक हो सकता है। वहीं कुछ वर्षों के अनुभव के बाद आपकी आमदनी लाखों में हो सकती है।

प्रमुख संस्थान

गोविंद वल्लभ पंत इंस्टीट्यूटी ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, नई दिल्ली

रविन्द्रनाथ टैगोर इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियक साइंस, कोलकाता

मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली

ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, नई दिल्ली

आर्म्ड फोर्स मेडिकल कॉलेज, पुणे

संजय गांधी पोस्टग्रेजुएट इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस, लखनऊ

वरूण क्वात्रा

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