दिल्ली में गलत ट्रैक पर जा रही है कांग्रेस, फिर से फंस गए हैं राहुल गांधी

Rahul Gandhi
ANI
संतोष पाठक । Jan 11 2025 2:12PM

राहुल गांधी कई बार चुनावी मैदान में सेल्फ गोल करते दिखाई देते हैं तो कई बार गलत ट्रैक पर जाकर रास्ता ही भटक जाते हैं। दिल्ली विधानसभा जैसे महत्वपूर्ण चुनाव में भी एक बार फिर से राहुल गांधी गलत ट्रैक पर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

देश की राजनीति के मैदान में राहुल गांधी को लगातार गलतियां करने वाले नेता के तौर पर जाना जाता है। कई बार तो राहुल गांधी जीता हुआ चुनाव भी हार जाते हैं। आरोप तो यहां तक लगाया जाता है कि राहुल गांधी के इर्द-गिर्द जो नेता रहते हैं, वे चाहते ही नहीं है कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस चुनाव जीते। इसलिए कांग्रेस के नेता लगातार राहुल गांधी को अजब-गजब फैसले लेने के लिए उत्साहित और प्रेरित करते रहते हैं। 

राहुल गांधी कई बार चुनावी मैदान में सेल्फ गोल करते दिखाई देते हैं तो कई बार गलत ट्रैक पर जाकर रास्ता ही भटक जाते हैं। दिल्ली विधानसभा जैसे महत्वपूर्ण चुनाव में भी एक बार फिर से राहुल गांधी गलत ट्रैक पर जाते हुए दिखाई दे रहे हैं।

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यह बात बिल्कुल सौ फीसदी सही है कि कांग्रेस के वोट बैंक को छीनकर ही आम आदमी पार्टी दिल्ली में अपराजेय पार्टी के तौर पर स्थापित हुई है लेकिन उतना ही बड़ा सच यह भी है कि कांग्रेस पार्टी अपना वह पुराना वोट बैंक आप से पूरी तरह से छीनने की स्थिति में नहीं है। ऐसे में बेहतर तो यह होता कि कांग्रेस अपने पुराने वोट बैंक को पाने के लिए फेज वाइज रणनीति बनाकर, उसे अमल में लाती लेकिन इसकी बजाय कांग्रेस रणनीतिक तौर पर एक बहुत बड़ी गलती करते हुए दिखाई दे रही है।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, दिल्ली विधानसभा चुनाव में अपनी खोई जमीन पाने के लिए कांग्रेस MOS फॉर्मूला अपनाने जा रही है। यानी कांग्रेस दिल्ली में अल्पसंख्यक अर्थात मुस्लिम बहुल सीटों के साथ ही उन विधानसभा सीटों पर फोकस करेगी ,जहां-जहां ओबीसी और दलित मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। हकीकत में कांग्रेस यहीं सबसे बड़ी गलती करने जा रही है। राहुल गांधी के करीबियों ने उन्हें यह सलाह देकर,एक बार फिर से उनके नेतृत्व में पूरी कांग्रेस पार्टी को गलत ट्रैक पर डाल दिया है। मंडल-कमंडल की राजनीति के दौर के बाद ओबीसी यानी अन्य पिछड़े वर्ग के मतदाता पूरी तरह से कांग्रेस से विमुख हो चुके हैं और इनकी वापसी की संभावना फिलहाल दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही है। ऐसे में कांग्रेस के इस फॉर्मूले का असफल होना तय माना जा रहा है। 

दरअसल, राहुल गांधी को कांग्रेस को फिर से मजबूत करने के लिए MOS की बजाय BDM के फॉर्मूले को अपनाना चाहिए जिसके बल पर जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी से लेकर राजीव गांधी और मनमोहन सिंह तक देश पर राज कर चुके हैं।

BDM फॉर्मूले का मतलब है - ब्राह्मण, दलित और मुस्लिम समुदाय। इसी समीकरण के बल पर कांग्रेस ने लंबे समय तक देश पर राज किया है। लोकसभा चुनाव के समय से ही मुस्लिम मतदाताओं के बड़े वर्ग ने कांग्रेस की तरफ लौटना शुरू कर दिया है। दिल्ली में भी इस बार के विधानसभा चुनाव में मुस्लिम मतदाताओं का वोट बड़े पैमाने पर कांग्रेस को मिलने की संभावना है और अगर कांग्रेस भाजपा को हराती हुई नजर आई तो पूरा मुस्लिम समाज कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट देते हुए नजर आएगा। लेकिन इसके लिए कांग्रेस को BDM फॉर्मूले के - ब्राह्मण और दलित को भी अपने साथ जोड़ना होगा। दिल्ली का दलित आज की तारीख में अरविंद केजरीवाल के साथ खड़ा है और उन्हें अपने पाले में लाने के लिए राहुल गांधी को बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के मान-सम्मान की लड़ाई को और ज्यादा तेज करना पड़ेगा। ब्राह्मण मतदाताओं की बात करें तो दिल्ली में यह समाज आज की तारीख में भाजपा, आप और कांग्रेस - तीनों ही पार्टियों में बंटा हुआ है। राहुल गांधी अगर थोड़ी सी कोशिश भी करेंगे तो अन्य राजनीतिक दलों के ओबीसी राग से नाराज ब्राह्मण समाज पूरी तरह से कांग्रेस के पाले में खड़ा नजर आएगा। 

बताया जा रहा है कि राहुल गांधी 13 जनवरी को दिल्ली के चुनावी मैदान में उतर कर पहली जनसभा कर सकते हैं। राहुल गांधी को जोर-शोर से दिल्ली में चुनावी जनसभाएं, रोड शो और रैलियां करनी ही चाहिए। लेकिन उन्हें कांग्रेस के पूरे चुनाव प्रचार अभियान को BDM केंद्रित ही बनाना चाहिए और इसे जमीनी धरातल पर उतर कर क्रियान्वित भी करना चाहिए। गौर करने वाली बात यह है कि ब्राह्मण मतदाताओं का बड़े पैमाने पर साथ आना अन्य अगड़ी जातियों को भी कांग्रेस उम्मीदवारों को वोट देने के लिए प्रेरित कर सकता है।

-संतोष पाठक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्तंभकार हैं।)

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