ईश्वरप्पा तारीफ के काबिल हैं इसलिए प्रधानमंत्री ने फोन किया, इस पर हंगामा क्यों?

नरेंद्र मोदी का मामला तो इसलिए भी अलग हो जाता है क्योंकि उनकी पार्टी सारे चुनाव ही प्रधानमंत्री की छवि के आधार पर लड़ती है। साथ ही आलोचकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ईश्वरप्पा पर कोई आरोप साबित नहीं हुए हैं और ना ही उन्हें कोई सजा हुई है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कर्नाटक भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री केएस ईश्वरप्पा से फोन पर बात की तो कांग्रेस ने इसे इस रूप में पेश कर दिया है कि प्रधानमंत्री ने ईश्वरप्पा को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे दिया है। जबकि प्रधानमंत्री ने ईश्वरप्पा को फोन इसलिए किया था ताकि वह उनकी इस बात के लिए तारीफ कर सकें कि उन्होंने इस बार चुनाव नहीं लड़ने का पार्टी का अनुरोध मान लिया था। यही नहीं भाजपा ने ईश्वरप्पा के बेटे को भी उम्मीदवार नहीं बनाया इसके बावजूद ईश्वरप्पा पार्टी छोड़कर नहीं गये या नाराज होकर घर नहीं बैठे बल्कि पार्टी उम्मीदवारों की जीत सुनिश्चित करने में जुटे हैं।
जिन लोगों को ईश्वरप्पा को प्रधानमंत्री का फोन करना खटक रहा है उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार सहित दस निवर्तमान विधायक या विधान परिषद सदस्य चुनावों के दौरान भाजपा छोड़कर अन्य दलों में चले गये हैं इसीलिए पार्टी के आला नेताओं के लिए यह जरूरी हो गया है कि जिनके टिकट कटे हैं उनकी नाराजगी दूर करने के लिए उन्हें मनाया जाये। वैसे भी नाराज नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनाने का काम हर पार्टी में होता है। भाजपा में भी शीर्ष नेताओं से लेकर संगठन के स्थानीय स्तर के पदाधिकारी तक पार्टी नेताओं या कार्यकर्ताओं की नाराजगी दूर करने के प्रयास करते हैं। हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनावों के दौरान भी जब एक वरिष्ठ नेता ने टिकट नहीं मिलने पर निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया था तब प्रधानमंत्री ने फोन कर उन्हें समझाने का प्रयास किया था।
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देखा जाये तो कोई भी पार्टी तभी मजबूत होती है जब उसके नेता और कार्यकर्ता पार्टी के निर्णय का सम्मान करते हैं। इसलिए ईश्वरप्पा ने जो किया इसके लिए उनकी तारीफ होनी ही चाहिए। इसे इस रूप में दर्शाना गलत है कि प्रधानमंत्री ने किसी को ईमानदारी का सर्टिफिकेट दे दिया है या प्रधानमंत्री को भ्रष्टाचार से कोई दिक्कत नहीं है।
यदि किसी को यह आपत्ति है कि देश के प्रधानमंत्री किसी राज्य की एक-एक विधानसभा सीट की चिंता क्यों कर रहे हैं तो उन्हें यह भी देखना चाहिए कि नरेंद्र मोदी भाजपा के शीर्ष नेता और पुराने कार्यकर्ता भी हैं। वह भी अन्य नेताओं की तरह चाहेंगे कि उनकी पार्टी को हर सीट पर जीत मिले। नरेंद्र मोदी का मामला तो इसलिए भी अलग हो जाता है क्योंकि उनकी पार्टी सारे चुनाव ही प्रधानमंत्री की छवि के आधार पर लड़ती है। साथ ही आलोचकों को यह भी ध्यान रखना चाहिए कि ईश्वरप्पा पर कोई आरोप साबित नहीं हुए हैं और ना ही उन्हें कोई सजा हुई है। इसलिए ईश्वरप्पा जैसे वरिष्ठ नेताओं की छवि पर भी दाग लगाने से बचना चाहिए।
-नीरज कुमार दुबे
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