भारत की बढ़ती ताकत! सेशेल्स के द्वीप पर होगा नौसेना का अड्डा

Indias growing strength Navys base will be on the island of Seychelles
सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फाउरे का भारत-आगमन हमारे लिए जितनी खुशी का मौका बन गया है, उतना किसी भी विदेशी नेता के आगमन पर प्रायः कम ही होता है। इस यात्रा के दौरान एक अनहोनी हो गई।

सेशेल्स के राष्ट्रपति डैनी फाउरे का भारत-आगमन हमारे लिए जितनी खुशी का मौका बन गया है, उतना किसी भी विदेशी नेता के आगमन पर प्रायः कम ही होता है। इस यात्रा के दौरान एक अनहोनी हो गई। राष्ट्रपति फाउरे ने अपने देश की संसद में कुछ दिन पहले घोषित किया था कि उनकी भारत-यात्रा के दौरान ‘एजम्पशन द्वीप’ पर कोई बातचीत नहीं होगी लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी बात हुई और उन्होंने नई दिल्ली में घोषणा कर दी कि सेशेल्स के उस द्वीप पर भारत अपना नौसैनिक अड्डा बनाएगा।

यह समझौता 2015 में हुआ था लेकिन सेशेल्स की संसद में इसका इतना विरोध हुआ कि इसे रद्द करने की घोषणा उसकी सरकार को करनी पड़ी थी। राष्ट्रपति फाउरे की पार्टी संसद में अल्पमत में है। इसलिए वे अपनी बात पर टिक नहीं पाते। दूसरा, सेशेल्स के विरोधी नेताओं पर चीन का काफी दबाव रहता है। चीन नहीं चाहता कि अफ्रीकी तटों पर भारत की फौजी ताकत बढ़े। लोग भूल जाते हैं कि यदि भारत की फौजी मदद नहीं होती तो कम से कम दो बार सेशेल्स में तख्ता-पलट हो जाता। 

भारत ने सेशेल्स की फौज की 70 प्रतिशत जरुरतों को पूरा किया है। भारत ने इस देश को कई हेलिकॉप्टर, पानी के जहाज और हवाई जहाज भेंट किए हैं ताकि यह समुद्री डाकुओं से अपनी रक्षा कर सके। इस सबके बावजूद 2015 के समझौते का विरोध इसलिए हुआ कि फाउरे के विरोधियों ने उसके बारे में गलतफहमियां फैला दीं। लोगों में यह प्रचार किया गया कि ‘एजम्पसन’ नामक द्वीप भारत को बेच दिया गया है और वहां वह ऐसा अपना नौसैनिक अड्डा बनाएगा, जिसका सेशेल्स से कुछ लेना-देना नहीं होगा। 

लेकिन यह तथ्यों के बिल्कुल विपरीत है। हो सकता है कि हमारे दूतावास ने भी वहां के विरोधी नेताओं की गलतफहमियां दूर करने की भरसक कोशिश की हो। सेशेल्स में बनने वाला हमारा नौसैनिक अड्डा सेशेल्स की सुरक्षा की गारंटी तो करेगा ही, हिंद महासागरीय देशों के साथ भारत के संबंधों को घनिष्ट बनाने में भी उसका अमूल्य योगदान होगा।

डा. वेदप्रताप वैदिक

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