बड़बोले नेता आजम खान के जेल जाने के राजनीतिक मायने क्या हैं ?

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संतोष पाठक । Feb 27 2020 1:00PM

रामपुर में सांसद आजम खान की दहशत के आलम को देखते हुए पहले तो लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ कि आजम को पूरे परिवार के साथ जेल भेज दिया गया है लेकिन जब यकीन आया तो लोग मिठाई बांटते नजर आए। भाजपा के कार्यकर्ता तो बाकायदा जश्न मनाते नजर आये।

आखिरकार समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेता आजम खान को अपनी पत्नी और बेटे के साथ जेल जाना ही पड़ा। बुधवार को कोर्ट के आदेश पर सपा के दिग्गज नेता आजम खान को पत्नी डॉ. फातिमा और बेटे अब्दुल्ला आजम खान के साथ 2 मार्च तक न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया। रामपुर की बात तो जाने ही दीजिए...एक जमाना ऐसा था कि रामपुर से लेकर लखनऊ तक आजम खान की तूती बोलती थी। रामपुर से लेकर गाजियाबाद तक आजम खान ने जो बोल दिया प्रशासन उसे पूरा करने में जुट जाता था। यहां तक कि वर्तमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृह जनपद गोरखपुर में भी आजम खान अपनी मनमर्जी किया करते थे।

आखिर कौन है यह आजम खान ?

                                   

कैसे आजम खान नाम का यह व्यक्ति इतना ताकतवर हो गया कि नेता जी यानि मुलायम सिंह यादव अपने परिवार से भी ज्यादा इस शख्स को मानते रहे ? कौन है ये आजम खान जिसे समाजवादी पार्टी के वर्तमान मुखिया अखिलेश यादव भी चाहते हैं ?

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आजम खान 1980 में पहली बार रामपुर सीट से विधायक चुने गए थे। तब से लेकर आज तक रामपुर में आजम खान का ही चुनावी सिक्का चलता रहा। 1992 में नेताजी के नाम से मशहूर हो चुके मुलायम सिंह यादव ने जब अपनी खुद की पार्टी बनाने का फैसला किया तो आजम खान उनके साथ हो गए। आजम खान समाजवादी पार्टी के संस्थापक सदस्य रहे और तभी से मुलायम सिंह यादव के खास बनते चले गए। मुलायम के माई समीकरण में आजम खान सपा के बड़े मुस्लिम चेहरे के तौर पर उभरे और लगातार मजबूत होते चले गए। रामपुर से लेकर लखनऊ तक उनकी हनक बढ़ती चली गई। नाराज होने पर कभी मुलायम आजम खान को मनाते नजर आए तो कभी अखिलेश। 2009 में अमर सिंह के कारण जब आजम खान ने सपा से किनारा कर लिया तो मुलायम सिंह यादव ने अपने सबसे करीबी अमर सिंह को धीरे-धीरे साइड करते हुए आजम को फिर से पार्टी में शामिल कर लिया। रामपुर में वही होता था जो आजम खान चाहते थे। जब मन किया जयाप्रदा को चुनाव जिता दिया, जब मन किया जयाप्रदा को बेइज्जत करके चुनाव हरा दिया। आजम स्वयं 9 बार रामपुर से विधायक चुने गए।

2019 में मन किया तो लोकसभा का चुनाव लड़ा और तमाम विपरीत हालात में भाजपा उम्मीदवार जयाप्रदा को हरा कर लोकसभा पहुंच गए। इससे पहले बेटे अब्दुल्ला आजम खां को रामपुर की ही स्वार विधानसभा सीट से 2017 में विधायक बवना चुके थे। पत्नी डॉ. तजीन फातिमा प्रोफेसर हैं और लंबे समय तक आजम खान ने इनका तबादला रामपुर से बाहर होने ही नहीं दिया। अखिलेश यादव को बोलकर पहले पत्नी को राज्यसभा भिजवाया और जब खुद लोकसभा का चुनाव जीत गए तो पत्नी को राज्यसभा से इस्तीफा दिलवा कर अपनी परंपरागत सीट रामपुर शहर से चुनाव लड़वाया और जितवाया। रामपुर सीट से 9 बार खुद आजम खान चुनाव जीत चुके हैं।

इसलिए तो आजम खान को रामपुर का बेताज बादशाह कहा जाता था लेकिन वक्त बदलता है और यूपी की राजनीति में भी बदलाव आया। भाजपा का 14 वर्षों का वनवास खत्म हुआ और 2017 में योगी आदित्यनाथ सूबे के मुखिया बने। इसके बाद से ही आजम खान की कलई एक-एक करके खुलने लगी।

अब आलमं यह है कि आजम खान पर रिकॉर्ड 85 से अधिक मुकदमे दर्ज हैं। जिस रामपुर में उनके खिलाफ कोई बोलने की हिम्मत नहीं करता था वहां एक-एक करके कई गवाह सामने आ चुके हैं। रामपुर का प्रशासन उन्हें भू-माफिया घोषित कर चुका है। डकैती की साजिश रचने से लेकर शत्रु संपत्ति कब्जाने तक के मामले में आजम खान फंस चुके हैं। सेना पर विवादित बयान देने का मामला हो या जौहर विश्वविद्यालय के लिए किसानों की जमीन कब्जाने का या रामपुर से सांसद रह चुकीं फिल्मी कलाकार जयाप्रदा के खिलाफ आपत्तिजनक और अमर्यादित बयान देने का मामला या फिर बिजली चोरी का। आजम खान पर मुकदमों की लिस्ट लंबी होती चली गई और इसी के साथ उनकी परेशानी का दौर भी बढ़ता चला गया। अब हालत यह हो गई है कि उनके खिलाफ कुर्की की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है।

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आजम खान की ठसक का आलम ये था कि कोर्ट के बार-बार सम्मन जारी करने के बावजूद वो अदालत के सामने जाना पसंद नहीं करते थे और नतीजा अदालत को उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करना पड़ा। इस सप्ताह बुधवार को बेटे अब्दुल्ला आजम खां के दो जन्म प्रमाण पत्र बनवाने के मामले में आजम खान को अपनी पत्नी और बेटे सहित जेल जाना पड़ा। इससे पहले मंगलवार को ही अदालत ने उनकी संपत्ति की कुर्की का आदेश जारी किया था। बुधवार को आजम खान ने परिवार सहित अदालत के सामने आत्मसमर्पण किया। उनके वकीलों ने 17 मामलों में जमानत की अर्जी दाखिल की। कुछ में जमानत मिल गई, कुछ में तारीख मिली और बेटे के फर्जी जन्म प्रमाण पत्र के मामले में जैसे ही उनकी जमानत याचिका खारिज हुई। अदालत ने तल्ख टिप्पणी करते हुए तीनों को न्यायिक हिरासत में जेल भेजने का आदेश दे दिया।

रामपुर में आजम खान की दहशत के आलम को देखते हुए पहले तो लोगों को भरोसा ही नहीं हुआ और जब यकीन आया तो लोग मिठाई बांटते नजर आए। भाजपा के कार्यकर्ता तो बाकायदा जश्न मनाते नजर आये। रामपुर के छोटे से कार्यकर्ता से लेकर लखनऊ तक बैठे भाजपा के दिगग्ज नेता यह दावा करते नजर आए कि यूपी में योगी राज है, कानून का राज है और अब आजम खान जैसे हर नेता को जेल ही जाना पड़ेगा।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मीडिया सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने आजम खान के जेल जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सत्ता का दुरुपयोग करने वालों को भ्रम टूट रहा है। आजम खान का जेल जाना भ्रष्टाचार पर सरकार के जीरो टॉलरेंस का नतीजा है। संदेश साफ है, दोषी कितना भी ताकतवर हो, सरकार उसके प्रति नरमी नहीं बरतेगी। यह भी पूरी तरह से सच है कि आजम खान के जेल जाने के बाद उनकी ताकत का तिलिस्म भी टूटेगा और राजनीतिक वर्चस्व भी। सपा मुखिया अखिलेश यादव इसे बखूबी समझ रहे हैं इसलिए फिलहाल तो सपा इसे बदले की कार्रवाई भी बता रही है और साथ ही अदालत से न्याय मिलेगा, यह भरोसा भी जता रही है। लेकिन आने वाले दिनों में सपा मुखिया के सामने दुविधा लगतार बढ़ती ही चली जाएगी कि वो अपनी पार्टी के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे के पक्ष में खड़े हो या नहीं और खड़े हो भी तो कैसे...क्योंकि कमजोर आजम खान सपा के किसी मतलब के नहीं रह जाएंगे। इसे ही कहते हैं राजनीति में वक्त बदलना और वक्त को तो बदलना ही है।

-संतोष पाठक

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)

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