रेलवे के विस्टाडोम कोच को लेकर कश्मीर में उत्साह, पर पत्थरबाजों को डर भी

40-seeter see-through Vistadome coach to hit Kashmir rail line in May

शीशे वाले रेल कोच अर्थात विस्टाडोम में बैठ कर कश्मीर की खूबसूरती को निहारने के सपने पर उन पत्थरबाजों का साया मंडराने लगा है जो कश्मीर में पर्यटकों के कदमों को अपनी पत्थरबाजी से रोकने लगे हैं।

शीशे वाले रेल कोच अर्थात विस्टाडोम में बैठ कर कश्मीर की खूबसूरती को निहारने के सपने पर उन पत्थरबाजों का साया मंडराने लगा है जो कश्मीर में पर्यटकों के कदमों को अपनी पत्थरबाजी से रोकने लगे हैं। हालांकि रेलवे ने अगले महीने से इस सेवा को आरंभ करने की घोषणा तो की है पर अतीत के अनुभवों के चलते उसे डर भी सता रहा है। दरअसल रेलवे पत्थरबाजों के कारण रेलवे की संपत्ति को होने वाले नुक्सान को भुला नहीं पाई है।

कश्मीर घूमने आने वाले पर्यटक अब वादी के प्राकृतिक सौंदर्य का मजा पारदर्शी शीशे की बड़ी-बड़ी खिड़कियों और शीशे की छत वाली कोच जिसे विस्टाडोम कोच कहते हैं, में बैठ कर ले सकते हैं। विस्टाडोम कोच की सुविधा मई में बनिहाल-बारामुल्ला रेलवे सेक्शन पर उपलब्ध हो जाएगी। राज्य पर्यटन विभाग और रेलवे मंत्रालय की ओर से शुरू की जा रही सुविधा का ऐलान पिछले वर्ष जून में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने किया था।

कश्मीर की यात्रा करने वाले पर्यटक अब अगले महीने से वहां के विस्मयकारी ग्रामीण परिदृश्य का बखूबी नजारा देख पायेंगे। क्योंकि पर्यटन विभाग और रेलवे, यहां की एकमात्र रेल लाइन पर विस्टाडोम कोच शुरु कर रहे हैं। पिछले साल जून में तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने जम्मू में एक कार्यक्रम के दौरान जम्मू कश्मीर के लिए विस्टाडोम कोच की घोषणा की थी।

पर्यटन निदेशक (कश्मीर) महमूद शाह ने पत्रकारों को बताया था कि विस्टाडोम कोच यहां पहुंच गया है और उसे मई में शुरु किया जाएगा। कुछ दिन पहले मध्य कश्मीर के बडगाम रेलवे स्टेशन पर 40 सीटों वाले इस कोच का निरीक्षण कर चुके शाह ने कहा कि ‘देखें कोच के माध्यम से’ सेवा यात्रियों को रोचक अनुभव प्रदान करेगी।

पर इतना जरूर था कि कश्मीर में पत्थरबाजों से इस कोच को कैसे बचाया जाएगा के सवाल पर अभी भी मंथन चल रहा है। दरअसल कश्मीर में रेलवे की संपत्ति तथा रेलें भी पिछले कुछ अरसे से पत्थरबाजों के निशाने पर रही हैं और रेलवे को करोड़ों का नुक्सान इन पत्थरबाजों के कारण झेलना पड़ा है।

कश्मीर के पर्यटन निदेशक डॉ. महमूद शाह ने बताया कि 40 सीटों की क्षमता वाली विस्टाडोम कोच कश्मीर में पहुंच चुकी है। इसका एक बार ट्रायल हो चुका है। यह कोच वातानुकूलित है। इसकी खिड़कियां मोटे पारदर्शी शीशे की हैं जो सामान्य से कहीं ज्यादा बड़ी हैं। इसकी छत भी शीशे की और इसमें ऑवजर्वेशन लाउंच और घूमने वाली सीटों की व्यवस्था है। इसमें स्वचालित स्लाइोडग दरवाजे हैं। एलईडी स्क्रीन और जीपीएस की सुविधा भी है। यात्री अपनी इच्छानुसार भोजन और जलपान की प्री बुकिंग भी कर सकते हैं।

रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि एक बार विस्टाडोम कोच की सेवा औपचारिक रूप से शुरू होने के बाद इच्छुक व्यक्ति रेलवे की वेबसाइट पर ऑनलाइन बुकिंग करा सकते हैं। इस वातानुकूलित कोच में शीशे की बड़ी बड़ी खिड़कियां, शीशे की छत, अवलोकन क्षेत्र, घुमावदार सीटें हैं ताकि यात्री बारामूला से बनिहाल के 135 किलोमीटर लंबे मार्ग में आकर्षक सुंदर परिदृश्य का मजा ले पाएं। विशेष तौर पर डिजायन किये गए इस डिब्बे में आरामदेह झुकी हुई सीटें हैं जिसे आसपास का नजारा देखने के लिए 360 डिग्री पर घुमाया जा सकता है।  

पर्यटन निदेशक ने कहा कि हम कश्मीर में पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए सिर्फ विस्टाडोम की सेवा ही शुरू नहीं कर रहे बल्कि कश्मीर के इतिहास को लाइट एंड साउंड शो के जरिये भी पर्यटकों तक पहुंचाने जा रहे हैं। यह शेरे कश्मीर इंटरनेशनल कन्वेंशन सेंटर में नियमित रूप से होगा। इसकी तैयारियां अंतिम चरण में हैं। उम्मीद है कि यह भी अगले माह शुरू हो जाएगा। इन प्रयासों और सुविधाओं से कश्मीर में पर्यटकों की आमद बढ़ाने में मदद मिलेगी। पर वे पत्थरबाजों के खतरे पर चुप्पी जरूर साध लेते थे।

-सुरेश एस डुग्गर

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