लॉकडाउन के दौरान भारत के स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म उद्योग को समझना

लगभग हर विकासवादी चरण में यह माना जाता रहा है कि मनोरंजन का एक नया अवसर पुराने या पहले से मौजूद मनोरंजन के साधन को अप्रासंगिक या लाभहीन बना देगा। इसकी शुरुआत टेलीविजन के आगमन से हुई।
कहते हैं कि हर चीज़ के दो पहलू होते हैं। ऐसे समय में जबकि लॉकडाउन हमारे नियमित दैनिक जीवन के लिए परेशानी पैदा कर रहा है, इसने हमें एक चीज तो अवश्य ही दिया है, जो हम अक्सर अपने आप से मांगते रहते हैं, लेकिन वह पर्याप्त रूप से कभी नहीं मिलता- और वह है समय! तो लॉकडाउन ने हमें अब अपने अपेक्षित शौक को पूरा करने के लिए पर्याप्त समय दे दिया है। मतलब जिसकी जिसमें रूचि है, वह उसमें अब समय दे सकता है। मसलन- बुक रीडिंग, राइटिंग, ड्राइंग और पेंटिंग, कुकिंग वगैरह वगैरह।
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लेकिन एक शौक ऐसा भी है जिसे आप इस दौरान पूरा नहीं कर सकते, और वो है थिएटर में मूवी का आनंद। लेकिन घबराइये नहीं। उसका भी विकल्प आज बहुतायत से उपलब्ध है। वैसे तो आप अपने टीवी पर कई सारी फिल्में देख सकते है, लेकिन अगर आपकी पसंद किसी विशेष मूवी में है तो उसके लिए आपको स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म की तरफ जाना होगा, जहाँ पर आपको ढेर सारी फिल्में मिल सकती हैं। और वो हैं बहुत सारी अलग-अलग तरह की वेबसीरीज। अब चूँकि लोग हॉल में जाकर मूवी तो देख नहीं सकते, लिहाजा, बहुत सारे स्ट्रीमिंग प्लेटफार्म आपकी टीवी पर उपलब्ध हैं जो हर तरह की फिल्में आपको घर बैठे मनोरंजन के लिए परोस रहे हैं। हाँ, उसके लिए आपको सब्सक्रिप्शन चार्ज देना पड़ेगा।
लगभग हर विकासवादी चरण में यह माना जाता रहा है कि मनोरंजन का एक नया अवसर पुराने या पहले से मौजूद मनोरंजन के साधन को अप्रासंगिक या लाभहीन बना देगा। इसकी शुरुआत टेलीविजन के आगमन से हुई। इसके बाद केबल टेलीविजन को काफी संख्या में लोगों ने स्वीकारा और वीडियो लाइब्रेरी, निजी टेलीविजन चैनलों के प्रसार और डायरेक्ट-टू-होम (डीटीएच) सेवाओं के माध्यम से घर पर फिल्में देखी गईं। और अब एक नवीनतम दावेदार के रूप में स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों को काफी संख्या में स्वीकृति मिल रही है, जो थिएटर के अस्तित्व के लिए एक खतरा बन सकता है- खासकर लॉकडाउन के दौरान।
आज कोरोनावायरस के संक्रमण के संभावित खतरे के कारण लोग सामूहिक गतिविधियों जैसे शादी, सगाई, या लंबे समय तक थिएटर में फिल्में देखने से बचने की कोशिश कर रहे हैं। इन नई वास्तविकताओं को देखते हुए कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न ऐसे हैं जो दर्शकों के दिमाग में आते हैं कि क्या स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म ही हमारे द्वारा फिल्मों को देखने के तरीके को परिभाषित या निर्धारित करेंगे।
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लॉकडाउन के कारण मुझे लगता है कि ग्राहकों की औसत आयु बढ़ गई है। मुझे यकीन है कि आज नए ग्राहकों का एक उचित हिस्सा 35-55 आयु वर्ग में होगा। इससे पहले ग्राहकों की औसत आयु 30 से कम होती थी। इसका मतलब है कि ऐसे लोगों की संख्या बढ़ रही है जो स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म द्वारा दी जाने वाली सामग्री के आकर्षक और बेहतर उत्पादन मूल्य को स्वीकार कर रहे हैं। लॉकडाउन के बाद से यह स्पष्ट हो गया है कि स्ट्रीमिंग या ओटीटी प्लेटफार्मों के बारे में जागरूकता और महत्व बढ़ गया है। उद्योग के फिल्म-निर्माताओं का तो ये भी मानना है कि लॉकडाउन स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म के लिए एक अप्रत्यक्ष वरदान (blessing in disguise) साबित हो गया है।
भारत में सर्वश्रेष्ठ ऑनलाइन वीडियो स्ट्रीमिंग प्लेटफार्मों के नाम इस प्रकार हैं:
1. नेटफ्लिक्स
2. अमेजन प्राइम
3. डिज्नी + हॉटस्टार
4. एएलटी बालाजी
5. ज़ी 5
6. वूट
7. सोनी लिव
8. बिग फ्लिक्स
9. इरोस नाउ
10. जिओ सिनेमा
11. एमएक्स प्लेयर
एक मायने में स्ट्रीमिंग प्लेटफॉर्म केवल टेलीविजन चैनलों की तरह ही होते हैं। वे डिजिटल प्लेटफॉर्म पर कार्यक्रम दिखाते हैं। अंतर केवल ये है कि ओटीटी प्लेटफ़ॉर्म दर्शकों को उनकी सहूलियत और पसंद के हिसाब से सामग्री प्रदान करता है, मतलब- वे कब, कहाँ, कैसे और क्या क्या चाहते हैं। इसका मतलब यह है कि दर्शकों को किसी भी समय और किसी भी श्रृंखला की कहानी को देखने की सुविधा और स्वतंत्रता है।
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लेकिन अगर राजस्व या इनकम की बात करें तो डिजिटल रिलीज में थिएटर रिलीज की अपेक्षा ज्यादा रिटर्न नहीं मिलता है। एक विश्लेषण के अनुसार, एक फिल्म पर कुल राजस्व का लगभग 75% बड़े स्क्रीन सिनेमा रिलीज से आता है, जबकि डिजिटल 13% और बाकी टेलीविजन और उपग्रह प्रसारण से आता है। हालांकि, वेब श्रृंखला का बजट लगभग फिल्म के बजट के समान ही होता है। एक वेब श्रृंखला को फिल्म के रूप में ही शूट किया जाता है और एपिसोडिक प्रारूप में कट और संपादित किया जाता है। इसके लिए अधिक धन की आवश्यकता होती है, जहां प्रत्येक एपिसोड के आधार पर धन उपलब्ध कराया जाता है।
आने वाले वर्षों में मनोरंजन के इन साधनों की सफलता और दीर्घायु का इस प्रश्न से परीक्षण किया जा सकता है कि क्या दर्शक प्रोग्राम इसलिए देख रहे हैं क्योंकि उनके पास समय है या सामग्री इतनी अच्छी है कि दर्शक इसे देखने के लिए समय निकाल रहे हैं।
जे. पी. शुक्ला
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