रक्षाबंधन पर रहता है बहनों के या राखी के आने का इंतजार

शुभा दुबे । Aug 17 2016 4:02PM

भाइयों को भी रक्षाबंधन पर बहन के आने का या उसकी भेजी हुई राखी के आने का बेसब्री से इंतजार होता है। छोटे बच्चों को तो यह त्यौहार इसलिए भी पसंद होता है क्योंकि उन्हें अपने मनपसंद कार्टून कैरेक्टरों की राखी पहनने को मिलती है।

रक्षाबंधन पर्व भाई बहन के प्रेम और विश्वास का प्रतीक है। श्रावण मास की पूर्णिमा को पड़ने वाले इस पर्व के लिए बहनें सप्ताह भर पहले से ही तैयारियों में जुट जाती हैं। यदि भाई दूर रहता है तो उसे महीने भर पहले ही राखी भेज दी जाती है। भाइयों को भी रक्षाबंधन पर बहन के आने का या उसकी भेजी हुई राखी के आने का बेसब्री से इंतजार होता है। छोटे बच्चों को तो यह त्यौहार इसलिए भी पसंद होता है क्योंकि उन्हें अपने मनपसंद कार्टून कैरेक्टरों की राखी पहनने को मिलती है। रक्षाबंधन पर पूरा बाजार रंग बिरंगी राखियों से भर जाता है इसमें अधिकतर चीन में बनी राखियां होती हैं यह आकर्षक तो लगती हैं लेकिन भगवा अथवा लाल, पीले धागे की सुंदरता के आगे यह फीकी नजर आती हैं।

इस दिन बहनें अपने भाई के हाथ पर राखी बांधकर जहां उनकी उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना करती हैं वहीं भाई भी सदैव अपनी बहन की रक्षा की प्रतिज्ञा लेता है और उपहार स्वरूप बहन की मनपसंद वस्तु देकर उसे प्रसन्न करता है। इस दिन बहनों को चाहिए कि वह सुबह हनुमानजी और पितरों की पूजा करें और उनके ऊपर जल, रोली, मोली, चावल, फूल, प्रसाद, नारियल, राखी, दक्षिणा, धूपबत्ती, दीपक जलाकर पूजा करें यदि घर में ठाकुर जी का मंदिर हो तो उसकी पूजा भी करें।

इस दिन सुबह बहनें तैयार होकर पूजा की थाली सजाती हैं। इस थाली में राखी, रोली, हल्दी, चावल और मिठाई रखी जाती है। भाई की आरती उतारने के लिए थाली में दीपक भी रखा जाता है। इस पर्व के दिन बहनें व्रत भी रखती हैं और भाई को राखी बांधने के बाद ही कुछ खाती हैं। भाई को साफ आसन पर बिठा कर उसे टीका करना चाहिए और फिर राखी बांधनी चाहिए। इसके बाद उस पर से कोई भी वस्तु अथवा पैसा न्यौछावर करके उसे गरीबों में दे दें। इस पर्व की एक और खासियत यह है कि यह धर्म, जाति और देश की सीमाओं से परे है। राखी के रूप में बहन द्वारा बांधा गया धागा धन, शक्ति, हर्ष और विजय देने में समर्थ माना जाता है। रक्षा बंधन के अवसर पर कुछ विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं जैसे घेवर, शकरपारे, नमकपारे और घुघनी। घेवर सावन का विशेष मिष्ठान्न है।

इस पर्व से जुड़े कुछ पौराणिक प्रसंग भी हैं जिनमें प्रमुख है भविष्य पुराण में वर्णित देव दानव युद्ध का प्रसंग। इसमें कहा गया है कि एक बार देव और दानवों में जब युद्ध शुरू हुआ तब दानव हावी हो रहे थे। यह देख भगवान इन्द्र की पत्नी इंद्राणी ने रेशम का धागा मंत्रों की शक्ति से पवित्र कर अपने पति के हाथ पर बांध दिया। वह श्रावण पूर्णिमा का दिन था। लोगों का विश्वास है कि इंद्र इस लड़ाई में इसी धागे की मंत्र शक्ति से विजयी हुए थे। माना जाता है कि उसी दिन से श्रावण पूर्णिमा के दिन यह धागा बांधने की प्रथा चली आ रही है।

रक्षा बंधन पर्व से जुड़ा एक ऐतिहासिक प्रसंग भी काफी लोकप्रिय है जिसके अनुसार, मेवाड़ की महारानी कर्मावती को एक बार बहादुर शाह की ओर से मेवाड़ पर हमला करने की पूर्व सूचना मिली। रानी चूंकि लड़ने में असमर्थ थीं तो उन्होंने मुगल राजा हुमायूं को राखी भेज कर रक्षा की याचना की। हुमायूं ने मुसलमान होते हुए भी राखी की लाज रखी और मेवाड़ पहुंच कर बहादुर शाह के विरुद्ध मेवाड़ की ओर से लड़ते हुए कर्मावती और उसके राज्य की रक्षा की।

रक्षा बंधन पर भाई की ओर से बहन की रक्षा का वचन लेने से भी एक प्रसंग जुड़ा हुआ है जिसमें कहा गया है कि जब भगवान श्रीकृष्ण ने सुदर्शन चक्र से शिशुपाल का वध किया तब उनकी तर्जनी में चोट आ गई। द्रौपदी ने उस समय अपनी साड़ी फाड़कर उनकी उंगली पर पट्टी बांध दी। यह श्रावण मास की पूर्णिमा का दिन था। बाद में भगवान श्रीकृष्ण ने इस उपकार का बदला चीरहरण के समय उनकी साड़ी को बढ़ाकर चुकाया।

रक्षाबंधन जीवन को प्रगति और मैत्री की ओर ले जाने वाला एकता का एक बड़ा पवित्र त्योहार है। रक्षा का अर्थ है बचाव। मध्यकालीन भारत में जहां कुछ स्थानों पर, महिलाएं असुरक्षित महसूस करती थीं, वे पुरूषों को अपना भाई मानते हुए उनकी कलाई पर राखी बांधती थीं। इस प्रकार राखी भाई और बहन के बीच प्यार के बंधन को मजबूत बनाती है, तथा इस भावनात्मक बंधन को पुनर्जीवित करती है। इस दिन ब्राह्मण अपने पवित्र जनेऊ बदलते हैं और एक बार पुनः धर्मग्रन्थों के अध्ययन के प्रति स्वयं को समर्पित करते हैं।

- शुभा दुबे

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