क्या है गुरुवार व्रत विधि और क्या है इस व्रत का महत्त्व?

Thursday vrat poojan vidhi aur mahatva
अर्चना दुबे । Jul 17 2018 4:48PM

ब्रहस्पतिवार को विष्णु भगवान एवं बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, कुवारी लडकियां इस व्रत को इसलिए करती हैं जिससे की उनके विवाह में आने वाली रुकावटें दूर हो जाएगी।

दोस्तों आज के व्यस्त जीवन शैली में हमारे पास बहुत कम समय होता है, जिस वजह से हम काफी लम्बी पूजा के लिए समय नही निकाल पाते हैं। इसलिए मैं आपको बताऊंगी कि अगर आपको बृहस्पतिवार का व्रत करना है तो किस तरह से आसानी के साथ आप यह व्रत कर सकते हैं, एवं कितने व्रत करने चाहिए? क्या महत्त्व है इस व्रत का? कब से शुरू करना चाहिए और व्रत में क्या क्या नही करना चाहिए, क्या खाना चाहिए एवं उद्यापन कैसे करना चाहिए।

ब्रहस्पतिवार को विष्णु भगवान एवं बृहस्पति देव दोनों की पूजा होती है जिससे घर में सुख समृद्धि बनी रहती है, कुवारी लडकियां इस व्रत को इसलिए करती हैं जिससे की उनके विवाह में आने वाली रुकावटें दूर हो जाएगी। ऐसा कहा जाता है की अगर आप 1 वर्ष में गुरुवार का व्रत करते हैं तो आपके घर में कभी भी पैसे रुपयों की कमी नही होती और आपका पर्स कभी खली नही होता।

अब सवाल उठता है कि कितने गुरुवार व्रत करें, तो बता दें आपको एक वर्ष में 16 गुरुवार व्रत करने चाहिए। 16 गुरुवार व्रत करने से आपको मनोवांछित फल मिलते हैं और व्रत पूरे करके 17वें गुरुवार को उद्द्यापन करना चाहिए।

इस व्रत को शुरू करने का शुभ समय- पूष या पौष के महीने को छोड़कर जो कि दिसम्बर या जनवरी में आता है को छोड़कर आप इस व्रत को किसी भी माह के शुक्लपक्ष के प्रथम गुरुवार से शुरू कर सकते हैं। शुक्ल पक्ष बहुत ही शुभ समय होता है किसी भी नए कार्य को शुरू करने का।

व्रत की विधि– व्रत की विधि के लिए आपको बहुत ही कम सामग्री चाहिए होगी जैसे की चने की दाल, गुड़, हल्दी, थोड़े से केले, एक उपला हवन करने के लिए और भगवान विष्णु की फोटो और अगर केले का पेड़ हो तो बहोत ही अच्छा है। व्रत वाले दिन सुबह उठकर स्नान आदि कार्यों से निवृत्त होकर सबसे पहले आप भगवान के आगे बैठ जाइये, और भगवान को साफ करिए चावल एवं पीले फूल लेकर 16 गुरुवार व्रत करने का संकल्प करिए एवं उन्हें छोटा पीला वस्त्र अर्पण करिए और अगर केले के पेड़ के सामने पूजा कर रहें हैं तो भी छोटा पीला कपड़ा चढ़ाइए। आज कल लोगों के घर छोटे होते हैं तो आम तौर पर उनके घरों में केले का पेड़ नहीं होता इसलिए आप अपने घर के मंदिर में ही व्रत की विधि कर सकते हैं। एक लोटे में जल रख लीजिये उसमे थोड़ी हल्दी डालकर विष्णु भगवान या केले के पेड़ की जड़ को स्नान कराइए। अब उसी लोटे में गुड़ एवं चने की दाल डाल के रख लीजिये और अगर आप केले के पेड़ की पूजा कर रहें हैं तो उसी पे चढ़ा दीजिये। तिलक करिए भगवन का हल्दी या चन्दन से, पीला चावल जरुर चढ़ाएं, घी का दीपक जलाये, कथा पढ़िए। कथा के बाद उपले पे हवन करिए, गाय के उपले को गर्म करके उसपे घी डालिए और जैसे ही अग्नि प्रज्वलित हो जाये उसमे हवन सामग्री के साथ गुड़ एवं चने की भी आहुति देनी होती है, 5 7 या 11 ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ, हवन के बाद आरती कर लीजिये और अंत में क्षमा प्रार्थना करिए, पूजा पूरी होने के बाद आपके लोटे में जो पानी है उसे अपने घर के आस पास के केले के पेड़ पे चढ़ा दीजिये।

इस दिन आप केले के पेड़ की पूजा करते हैं इसलिए गलती से भी केला न खाएं आप इसे केवल पूजा में चढ़ा सकते हैं एवं प्रसाद में बाट सकते हैं, अगर कोई गाय मिले तो उसे चने की दाल और गुड़ जरुर खिलाएं इससे बहोत पुण्य मिलता है,

बालों में तेल नहीं लगाना चाहिए।

बालों को धोना नहीं चाहिए।

बाल कटवाने नहीं चाहिए।

घर में पोछा नहीं लागेना चाहिए।

कपडे धोबी को नहीं देने चाहिए।

नमक एवं खट्टा नहीं खाना चाहिए।

पीला या मीठा खा सकते हैं। 

चने की दाल की पूड़ी या पराठा एक समय खा सकते हैं।

पुरुष यह व्रत लगातार 16 गुरुवार कर सकते हैं परन्तु महिलाओं या लड़कियों को यह व्रत तभी करना चाहिए जब वो पूजा कर सकती हैं, मुश्किल दिनों में यह व्रत नही करना चाहिए।

उद्द्यापन विधि – उद्द्यापन के एक दिन पहले 5 चीजें लाकर रख लीजिये- चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता और पीला कपड़ा और अपनी सामर्थ्य के अनुसार दक्षिणा रख दीजिये। फिर गुरुवार को हर व्रत की तरह यथावत पूजा के बाद प्रार्थना करिए की आपने संकल्प के अनुसार अपने व्रत पूरे कर लिए हैं और भगवान आप पर कृपा बनाये रखें, और आज आप पूजन का उद्यापन करने जा रहे हैं और पूजा में ये सारी सामग्री भगवान विष्णु को चढ़ाकर किसी ब्राह्मण को दान करके उनका आशीर्वाद लीजिये।

इस विधि से व्रत करने से आपके सभी कष्ट दूर होंगे एवं आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाएंगी।

- अर्चना दुबे

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