Chaitra Purnima 2025: चैत्र पूर्णिमा पर चंद्रदेव की पूजा का होता है विशेष महत्व, जानिए मुहूर्त और पूजन विधि

Chaitra Purnima 2025
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चैत्र पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से चंद्रदेव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। बताया जाता है कि इस दिन चंद्रमा भी अपनी पूर्ण कलाओं के साथ नजर आता है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की पूजा करने और जल और दूध का अर्घ्य देने से जातक को मानसिक शांति मिलती है।

इस बार 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा का व्रत किया जा रहा है। बता दें कि यह हिंदू नववर्ष की पहली पूर्णिमा है। वहीं इस दिन हनुमान जन्मोत्सव का पर्व भी मनाया जा रहा है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक चैत्र पूर्णिमा पर हनुमान जी का जन्म हुआ था। चैत्र पूर्णिमा के दिन मुख्य रूप से चंद्रदेव की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व होता है। बताया जाता है कि इस दिन चंद्रमा भी अपनी पूर्ण कलाओं के साथ नजर आता है। इसलिए चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रदेव की पूजा करने और जल और दूध का अर्घ्य देने से जातक को मानसिक शांति मिलती है। तो आइए जानते हैं चैत्र पूर्णिमा की तिथि, मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में...

तिथि

इस बार 12 अप्रैल 2025 की सुबह 03:20 मिनट पर चैत्र पूर्णिमा तिथि की शुरूआत हो रही है। वहीं 13 अप्रैल 2025 की सुबह 05:52 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। इसलिए 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा व्रत किया जा रहा है।

चंद्रोदय का समय

हिंदू पंचांग के मुताबिक 12 अप्रैल 2025 को चैत्र पूर्णिमा के दिन चंद्रोदय का समय शाम 06:18 मिनट पर होगा। वहीं इस मौके पर हस्त नक्षत्र का योग बन रहा है, जोकि शाम 06:07 मिनट तक बना रहेगा। वहीं रात 08:39 मिनट तक व्याघात योग भी बन रहा है।

पूजन विधि

बता दें कि चैत्र पूर्णिमा के दिन सुबह किसी पवित्र नदी में स्नान करें। अगर आप किसी पवित्र नदी पर स्नान नहीं कर सकते हैं, तो आप पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर सकते हैं। फिर एक लकड़ी की चौकी पर साफ कपड़ा बिछाकर उस पर भगवान श्रीहरि विष्णु की मूर्ति स्थापित करें। फिर उनका गंगाजल से अभिषेक करें और फल-फूल, मिठाई अर्पित करें और घी का दीपक जलाएं। इसके बाद श्रीहरि विष्णु के मंत्रों का जाप करें और आरती करें। अब भगवान की आरती करें और तुलसी दल डालकर उनको खीर अर्पित करें। वहीं रात के समय में चंद्रदेव की आराधना करें और एक कच्चे लोटे में दूध डालकर चंद्रदेव को अर्घ्य दें। फिर जरूरतमंद लोगों को दान-दक्षिणा दें।

चंद्र मंत्र

ॐ ऐं क्लीं सोमाय नम:।।

ॐ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम:।।

दधिशंख तुषाराभं क्षीरॊदार्णव संभवम्।

नमामि शशिनं सॊमं शम्भोर्मकुट भूषणम्॥

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