Narasimha Jayanti 2025: 11 मई को मनाई जाएगी नृसिंह चतुर्दशी, भगवान नरसिंह की पूजा करने से आती है घर में सुख-समृद्धि

भगवान नरसिंह को फल, मिठाई, विशेष रूप से गुड़ और चना अर्पित करें। पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें। घी का दीपक जलाएं। भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करें। अंत में भगवान नरसिंह की आरती करें। पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए माफी मांगे।
हर साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नृसिंह जयंती का पर्व मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी तिथि पर भगवान विष्णु ने नृसिंह रूप में अवतार लिया था। इस अवतार में भगवान का स्वरूप आधे शेर का और आधे मनुष्य का था। भगवान विष्णु ने ये अवतार अपने भक्त प्रह्लाद को बचाने और हिरण्यकश्यिपु का वध करने के लिए लिया था। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि यह दिन भगवान विष्णु के उग्र स्वरूप भगवान नरसिंह को समर्पित है। यह दिन बुराई पर अच्छाई की विजय और भक्तों की रक्षा के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। इस साल नरसिंह जयंती रविवार, 11 मई को मनाई जाएगी, जो हर साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को पड़ती है। नरसिंह जयंती का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। व्रत का पारण अगले दिन सूर्योदय के बाद किया जाता है। नरसिंह जयंती बेहद शुभ मानी जाती है।
नरसिंह जयंती
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग गणना के आधार पर वैशाख माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि 10 मई को शाम 05:29 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 11 मई को रात 09:19 मिनट पर होगा। ऐसे में इस साल यह पर्व 11 मई को ही मनाया जाएगा।
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पूजा विधि
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। पूजा स्थल को साफ करें और गंगाजल से पवित्र करें। एक वेदी पर लाल या पीला कपड़ा बिछाएं। भगवान नरसिंह की प्रतिमा स्थापित करें। अगर नरसिंह जी की प्रतिमा न हो तो भगवान विष्णु की तस्वीर भी स्थापित कर सकते हैं। पूजा शुरू करने से पहले व्रत और पूजा का संकल्प लें। भगवान नरसिंह की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराएं। चंदन, कुमकुम, हल्दी और गुलाल आदि चीजें अर्पित करें। उन्हें पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनाएं और पीले फूलों की माला चढ़ाएं। भगवान नरसिंह को फल, मिठाई, विशेष रूप से गुड़ और चना अर्पित करें। पूजा में तुलसी दल जरूर शामिल करें। घी का दीपक जलाएं। भगवान नरसिंह के मंत्रों का जाप करें। अंत में भगवान नरसिंह की आरती करें। पूजा के दौरान हुई गलतियों के लिए माफी मांगे। अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान करें।
इन मंत्रों का करें जाप
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्यु मृत्युं नमाम्यहम्।।
ॐ नृम नरसिंहाय शत्रुबल विदीर्नाय नमः
ॐ नृम मलोल नरसिंहाय पूरय-पूरय
पौराणिक कथा
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह अवतार लिया था। उसमें भगवान नरसिंह का आधा शरीर मनुष्य का और आधा शरीर सिंह का था। वे हिरण्यकश्यप के अत्याचारों से मुक्ति दिलाने के लिए दोपहर के समय खंभा फाड़कर प्रकट हुए थे। उन्होंने घर की दहलीज पर हिरण्यकश्यप को अपने जंघे पर लिटाकर दोनों हाथों के नखों से उसका पेट फाड़ दिया था। हिरण्यकश्यप को वरदान था कि उसे मनुष्य या जानवर, दिन या रात में, अस्त्र या शस्त्र से नहीं मारा जा सकता था। इस वजह श्रीहरि ने सबसे अनोखा स्वरूप नरसिंह का धारण किया था।
महत्व
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि नरसिंह जयंती के दिन भगवान नरसिंह की पूजा करने से भक्तों के अंदर का भय दूर होता है। भगवान नरसिंह की कृपा से जीवन में आने वाले संकटों का नाश होता है। वे अपने भक्तों की रक्षा करते हैं। उनकी पूजा करने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं और लाइफ में आने वाले कष्टों से छुटकारा मिलता है। इसके अलावा नरसिंह जयंती के दिन व्रत रखने और भगवान नरसिंह की पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती है और साथ ही ग्रह-दोष से भी मुक्ति मिलती है।
- डा. अनीष व्यास
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक
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