ट्रंप ने मोदी को बताया था Tough Negotiator, बाइडेन प्रशासन भी भारत की कुछ आर्थिक नीतियों से चिंतित

Antony Blinken

आपको याद हो तो पिछले साल गुजरात में हुए 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को Tough Negotiator (कठिन वार्ताकार) बताया था।

नयी दिल्ली। अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने अपने दो दिवसीय भारत यात्रा के दौरान अफगानिस्तान में तेजी से बदल रहे सुरक्षा परिदृश्य, हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भागीदारी को बढ़ावा देने और कोविड-19 महामारी से निपटने के प्रयासों समेत कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर बातचीत की। वहीं ऐसी भी जानकारियां भी हैं कि विदेश मंत्री जयशंकर और एंटनी ब्लिंकन के बीच हुई वार्ता में मौजूदा कारोबारी रिश्तों को लेकर कुछ तल्ख मुद्दे भी उठे। 

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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक एंटनी ब्लिंकन ने भारत सरकार की प्रस्तावित ई-कामर्स नीति लेकर आपत्ति दर्ज कराई है। हालांकि भारत की तरफ से इन मुद्दों को सुलझाने का आश्वासन दिया गया है। बताया जा रहा है कि आगामी ट्रेड समझौते में इस समस्या का समाधान निकाला जाएगा। हालांकि ट्रेड वार्ता कब होगी ? इसके बारे में अभी कोई जानकारी नहीं है। आपको याद हो तो पिछले साल गुजरात में हुए 'नमस्ते ट्रंप' कार्यक्रम में तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को Tough Negotiator (कठिन वार्ताकार) बताया था। लेकिन अब कुछ आर्थिक नीतियों को लेकर बाइडेन प्रशासन ने भी चिंता जाहिर की।

ट्रंप ने कहा था कि हम जल्द ही एक बड़ा व्यापार सौदा करेंगे, जिस पर वर्तमान में बातचीत की जा रही है। प्रधान मंत्री मोदी कठिन वार्ताकार हैं।

एस जयंशकर ने एंटनी ब्लिंकन के साथ हुई बातचीत की जानकारी देते हुए कहा था कि हमारी द्विपक्षीय साझेदारी इस स्तर तक बढ़ी है कि यह हमें बड़े मुद्दों से मिलकर निपटने में सक्षम बनाती है। उन्होंने कहा था कि कोरोना महामारी स्वभाविक रूप से खास प्राथमिकता है। हमने कोविड से उत्पन्न यात्रा चुनौतियों पर चर्चा की। जयशंकर ने कहा था कि हमारी नजर अफगानिस्तान, हिंद-प्रशांत और खाड़ी क्षेत्र पर है।

वहीं, संयुक्त मीडिया ब्रीफिंग में एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि दुनिया में कुछ ही ऐसे संबंध है जो अमेरिका भारत के बीच के रिश्ते से अधिक अहम हैं। साथ ही उन्होंने कहा था कि भारत और अमेरिका के कदम ही 21वीं सदी और उसके बाद के दौर का स्वरूप तय करेंगे और यही वजह है कि भारत के साथ साझेदारी मजबूत करना होगा। इसके अलावा उन्होंने दोनों देशों के बीच उत्पन्न कारोबारी अड़चनों को दूर करने की दिशा पर लगातार काम करना होगा। इस बारे में भी हमारी बातचीत हुी है। 

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उन्होंने कहा था कि अगर हम कारोबार व निवेश के लिए सही माहौल का निर्माण करते हैं तो हमारे देश की निजी क्षेत्र की कंपनियां साथ-साथ बहुत कुछ हासिल कर सकती हैं।

अफगानिस्तान मुद्दे पर हुई बात

भारत यात्रा के दौरान एंटनी ब्लिंकन ने कहा था कि अफगान के नेतृत्व और अफगानिस्तान के स्वामित्व वाली शांति प्रक्रिया वहां होनी चाहिए। भारत इस स्थिति का पिछले कई वर्षों से पक्षधर रहा है। उन्होंने कहा था कि शांतिपूर्ण, सुरक्षित और स्थिर अफगानिस्तान में भारत और अमेरिका की गहरी रुचि है। एक नेता और क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण साझेदार के रूप में भारत ने अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया है और आगे भी ऐसा करना जारी रखेगा तथा हम अफगान लोगों के हितों को कायम रखने व गठबंधन सेनाओं की देश से वापसी के बाद क्षेत्रीय स्थिरता के लिये साथ काम करना जारी रखेंगे।

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