लादेन का एबटाबाद परिसर ISI के नियंत्रण में था: पुस्तक

[email protected] । Apr 28 2016 5:40PM

एक नयी पुस्तक में दावा किया गया है कि ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद स्थित ठिकाना आईएसआई के नियंत्रण में था और सेना के एक डॉक्टर ने आतंकवादी का इलाज किया था।

वाशिंगटन। एक नयी पुस्तक में दावा किया गया है कि ओसामा बिन लादेन का एबटाबाद स्थित ठिकाना आईएसआई के नियंत्रण में था और वर्ष 2011 में अमेरिकी कमांडो द्वारा मारे जाने से पहले पाकिस्तानी सेना के एक डॉक्टर ने दुनिया के सबसे खूंखार आतंकवादी का इलाज किया था। यहां तक कि मेजर रैंक के डॉक्टर आमिर अजीज को ढाई करोड़ डॉलर की इनामी राशि का एक हिस्सा सीआईए द्वारा दिया गया था क्योंकि अंतिम तौर पर डीएनए नमूने से ही अल कायदा प्रमुख की पहचान हो सकी थी।

मशहूर खोजी पत्रकार सेमूर हर्ष ने अपनी हालिया किताब, ‘‘द किलिंग ऑफ ओसामा बिन लादेन’ में दावा किया है कि कुछ कबायली नेताओं को रिश्वत देकर आईएसआई ने वर्ष 2006 में बिन लादेन को कब्जे में ले लिया था। उस समय वह बहुत बीमार बताया गया था। सेमूर हर्ष ने एक अवकाश प्राप्त पाकिस्तानी सैन्य अधिकारी से बातचीत के आधार पर दावा किया है कि शुरुआत में आईएसआई ने एबटाबाद में ओसामा को उसके ठिकाने पर चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पाकिस्तानी सेना के एक मेजर को आसपास के इलाके में जाने का आदेश दिया था। उस दौरान पाकिस्तानी नेतृत्व और खासकर सेना प्रमुख और आईएसआई प्रमुख बार-बार अमेरिका के समक्ष यह बात दोहराते रहे कि उन्हें बिन लादेन के ठिकाने के बारे में कुछ भी नहीं मालूम।

हर्ष ने अपने किताब में लिखा है, ‘‘वाशिंगटन में यह समझ रही है कि आईएसआई के लोगों का यह मानना है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए अफगानिस्तान के भीतर तालिबान नेतृत्व से संबंध बनाये रखना अनिवार्य है। आईएसआई का सामरिक उद्देश्य काबुल में भारत के प्रभाव को संतुलित करना है।’’ उन्होंने लिखा है कि पाकिस्तान में तालिबान को एक ऐसे स्रोत के रूप में देखा जाता है जो कश्मीर के मुद्दे पर टकराव में भारत के खिलाफ उसका समर्थन करेंगे। उन्होंने सेना के एक वरिष्ठ सेवानिवृत्त अधिकारी को उद्धत करते हुए लिखा है, ‘‘पाकिस्तानी ये भी जानते हैं कि अमेरिका के साथ मजबूत रिश्ता भारत की आक्रामकता के खिलाफ उनका ट्रंप कार्ड है। वे कभी भी हम लोगों से व्यक्तिगत संबंध खत्म नहीं करना चाहेंगे।’’ हर्ष ने दावा किया है कि सीआईए को बिन लादेन के ठिकाने के बारे में पाकिस्तान के एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी से जानकारी मिली जिन्होंने बहुत हद तक इस रहस्य का खुलासा अमेरिका के ढाई करोड़ डालर की इनामी राशि की पेशकश के बदले किया। वह अधिकारी अभी वाशिंगटन के निकट अपने परिवार के साथ रह रहा है। हर्ष ने कहा कि अमेरिकी खुफिया अधिकारियों और अन्य स्रोतों से प्राप्त की गयी उनकी जानकारी की जांच आईएसआई के पूर्व प्रमुख असद दुर्रानी द्वारा की गयी।

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