बांग्लादेश, नेपाल, पाकिस्तान पैसे-पॉवर का लालच दिखा सभी को अपने पाले में ला रहा चीन, नेबरहुड फर्स्ट के तहत भारत को पहले पड़ोस की सुध लेनी होगी

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अभिनय आकाश । Jul 1 2025 1:06PM

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विस्तार करने और तालिबान शासित इस्लामिक अमीरात में क्षेत्रिए सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन यानी की सार्क का गठन 8 दिसंबर 1985 को बांग्लादेश के ढाका में अपने चार्जर को अपनाने के माध्यम से किया गया।

पाकिस्तान और चीन से जुड़ी एक बड़ी जानकारी सामने आई है। भारत के खिलाफ एक बड़ी साजिश की तैयारी है। खबर है कि सार्क की जगह एक नया क्षेत्रिय ब्लॉग बनाने की कोशिश की जा रही है। इसमें भारत एक प्रमुख सदस्य था। लेकिन अब जानकारी ये है कि भारत के विरोध में एक नया कॉकस खड़ा किया जा रहा है। पाकिस्तान की एक्सप्रेस ट्रिब्यून के मुताबिक सूत्रों का कहना है कि हाल ही में 19 जून को चीन के कुनमिंग में पाकिस्तान, चीन और बांग्लादेश की तीन-तरफा बैठक इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम थी। इस बैठक का उद्देश्य अन्य पूर्व सार्क को इस नए संगठन में शामिल होने का निमंत्रण देना था। लेकिन कुछ दिन पहले, बांग्लादेश के विदेश सलाहकार एम तौहीद हुसैन ने इस नए संगठन के बनने की बात को खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था, हम कोई गठबंधन नहीं बना रहे है। हुसैन ने बताया कि यह बैठक राजनीतिक नहीं, बल्कि आधिकारिक स्तर की थी। इस बैठक में गठबंधन बनाने की कोई बात नहीं हुई थी। बताया गया है कि चीन और पाकिस्तान इस प्रस्ताव में भारत को भी आमंत्रित करने की योजना बना रहे हैं। 

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19वां सार्क शिखर सम्मेलन हो गया था रद्द

चीन पाकिस्तान आर्थिक गलियारे का विस्तार करने और तालिबान शासित इस्लामिक अमीरात में क्षेत्रिए सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था। दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन यानी की सार्क का गठन 8 दिसंबर 1985 को बांग्लादेश के ढाका में अपने चार्जर को अपनाने के माध्यम से किया गया। इसके साथ संस्थापक सदस्य थे। जबकि अफगानिस्तान साल 2007 में समूह में शामिल हुआ। सार्क 2016 से ही निष्क्रिय है। हालांकि साल 2014 में  काठमांडू शिखर सम्मेलन के बाद से सार्क नेताओं की मुलाकात नहीं हुई है। लेकिन भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी ने 2020 में कोविड-19 आपातकालीन कोष का प्रस्ताव करने के लिए पहली बार सार्क वीडियो कॉन्फ्रेंस की शुरुआत की थी। उन्होेंने भारत के योगदान के रूप में 10 मिलियन डॉलर देने का वादा किया। 19वां सार्क शिखर सम्मेलन उस वर्ष नवंबर में इस्लामाबाद में आयोजित होने वाला था। लेकिन पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित उरी आतंकी हमले के कारण भारत ने बहिष्कार करने का फैसला किया। अफगानिस्तान, बांग्लादेश और भूटान ने क्षेत्रिए हस्तक्षेप की चिताओं का हवाला देते हुए इससे हाथ खींच लिए थे। शिखर सम्मेलन रद्द किया गया और तब से इसे फिर से शेड्यूल नहीं किया गया। 

श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान को भी शामिल किया जा सकता

दक्षिण एशिया-चीन सहयोग पर आधारित ये संगठन सार्क (दक्षिण एशियाई सहयोग संगठन) का चीनी जवाब माना जा रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार अगस्त में इस प्रस्तावित सार्क अलायंस की इस्लामाबाद में बैठक प्रस्तावित है। इसमें श्रीलंका, मालदीव और अफगानिस्तान को भी शामिल किया जा सकता है। चीन इन तीनों देशों में अपने राजदूतों के जरिए पिछले कुछ समय से कवायद छेड़े हुए है। बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान और मालदीव इस संगठन में शामिल होने के लिए सैद्धांतिक मंजूरी दे चुके हैं।

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 नेबरहुड फर्स्ट पर जोर देना जरूरी

चीन सुपरपावर मॉडल पर काम कर रहा है। सालों से अमेरिका दुनिया में अपने ब्लॉक के देशों की संख्या बढ़ा रहा है। चीन का आउटरीच अब हमारे पड़ोस तक आ चुका है। पाकिस्तान व बांग्लादेश के साथ सार्क को बदल कर नया गठजोड़ बना रहा है। दक्षिण एशिया में पाकिस्तान चीन का सबसे बड़ा चमचा है। बांग्लादेश को भी पाकिस्तान ने साध कर चीन के पाले में बैठा दिया है। नेपाल, भूटान और श्रीलंका पर भी चीन की छाया पड़ चुकी है। अब भारत को काउंटर पॉलिसी पर काम करना होगा। यानी नेबरहुड फर्स्ट। पहले पड़ोस की सुध लेनी होगी। 

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