यमन में हवाई हमले से गहराया युद्ध का खतरा

[email protected] । Oct 12 2016 11:05AM

छत ढह गईं, दीवारें गिर गईं और वहां आग लग गई। हड़बड़ी में लोग बाहर निकलने की कोशिश ही कर रहे थे कि दूसरी मिसाइल आकर गिरी और कई अन्य लोगों की जान चली गई।

सना। उस दिन 1000 से भी ज्यादा शोकाकुल लोग अंतिम संस्कार वाले हॉल में जुटे थे। इनमें यमन के विद्रोही आंदोलन के सबसे ताकतवर लोग भी शामिल थे। कुरान पढ़ने जा रहे अली अल-अकवा ने ऊपर उड़ते युद्धक विमानों की आवाजें सुनीं लेकिन यह युद्धरत सना के लिए कोई नई बात नहीं थी। उसने सोचा कि अंतिम संस्कार समारोह तो सुरक्षित ही होगा। कुछ ही क्षण बाद एक बड़ा विस्फोट हुआ और शरीरों के परखच्चे उड़ गए।

छत ढह गईं, दीवारें गिर गईं और वहां आग लग गई। हड़बड़ी में लोग बाहर निकलने की कोशिश ही कर रहे थे कि दूसरी मिसाइल आकर गिरी और कई अन्य लोगों की जान चली गई। शनिवार को हुए हवाई हमले में लगभग 140 लोग मारे गए थे और 600 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। यह हमला सऊदी अरब और उसके सहयोगियों द्वारा यमन में मार्च 2015 में हवाई अभियान शुरू किए जाने के बाद से अब तक का सबसे घातक हमला था। गठबंधन शिया हूथी विद्रोहियों को उखाड़ फेंकने की कोशिश कर रहा है। इन विद्रोहियों ने राजधानी पर और उत्तरी यमन के अधिकतर हिस्से पर कब्जा किया हुआ है। इन्होंने राष्ट्रपति आबेद रबो मंसूर हादी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त सरकार से यह कब्जा लिया है।

ऐसा लगता है कि गठबंधन अंतिम संस्कार में मौजूद हूथी सैन्य नेतृत्व और उसके सहयोगियों के एक बड़े तबके को मिटाने की उम्मीद कर रहा था। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि यह हमला इस युद्ध को और अधिक गहरा सकता है। युद्ध को प्रसार देने की कोशिश के तहत हूथियों ने जवाबी कार्रवाई करते हुए पड़ोसी सऊदी अरब और अमेरिकी युद्ध पोतों पर रॉकेट दागे हैं। कई यमनी लोगों का कहना है कि एक संकल्प की दिशा में कदम बढ़ाने की एकमात्र उम्मीद यही है कि सऊदी अरब का शीर्ष सहयोगी अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश सैन्य बिक्री बंद करे और रियाद पर दबाव बनाए कि वह युद्ध में ढील दे और वार्ताओं की ओर बढ़े।

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