India Big Action on China: मोदी के चीन जाने से पहले जिनपिंग का बड़ा धोखा, एक्शन में भारत

चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उच्चस्तरीय बैठकें करने और उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान का दौरा करने के बाद 20 अगस्त को पाकिस्तान पहुँचे।
पांच साल बाद चीन के विदेश मंत्री भारत पहुंचे। इस दौरान उन्होंने भारत के एनएसए अजित डोभाल, विदेश मंत्री एस जयशंकर और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक से मुलाकात की। लेकिन इस मुलाकात में कुछ बातें ऐसी भी हुई जिसने पाकिस्तान में खलबली मचा दी। वहीं दूसरी तरफ भारत और रूस के विदेश मंत्रियों ने मॉस्को में वार्ता की। लेकिन इस मुलाकातों से इतर एक और खिचड़ी भारत के पड़ोस में पकती नजर आई। पाकिस्तान और चीन के विदेश मंत्रियों ने इस्लामाबाद में मुलाकात की। चीनी विदेश मंत्री वांग यी भारत के विदेश मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उच्चस्तरीय बैठकें करने और उसके बाद अफ़ग़ानिस्तान का दौरा करने के बाद 20 अगस्त को पाकिस्तान पहुँचे।
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भारत अपने पड़ोस में हो रहे इन घटनाक्रमों पर कड़ी नज़र रख रहा है। इस्लामाबाद में, वांग यी ने पाकिस्तान के उप-प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री इशाक डार के साथ विदेश मंत्रियों की रणनीतिक वार्ता के छठे दौर में भाग लिया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, दोनों पक्षों ने पाकिस्तान-चीन संबंधों के संपूर्ण पहलुओं की समीक्षा की और महत्वपूर्ण क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) 2.0, व्यापार एवं आर्थिक संबंधों, बहुपक्षीय सहयोग और लोगों के बीच संबंधों सहित द्विपक्षीय सहयोग के विभिन्न पहलुओं पर गहन विचारों का आदान-प्रदान भी किया।
पाकिस्तान और चीन के बीच सदाबहार रणनीतिक सहयोग साझेदारी पर प्रकाश डालते हुए, दोनों नेताओं ने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि दोनों देशों के बीच मित्रता क्षेत्रीय शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, और उनकी पारस्परिक प्रगति एवं समृद्धि के लिए अपरिहार्य है। उन्होंने द्विपक्षीय और बहुपक्षीय मंचों पर घनिष्ठ समन्वय और संवाद जारी रखने की भी प्रतिबद्धता जताई। हालाँकि, इस बैठक का भारत पर सीधा प्रभाव पड़ेगा, खासकर इसलिए क्योंकि चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) से होकर गुजरता है, जिस पर भारत अपना दावा करता है। भारत ने इस परियोजना का लगातार विरोध किया है और इसे अपनी संप्रभुता का उल्लंघन बताया है।
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विशेषज्ञों के अनुसार, सीपीईसी ढांचे के तहत पाकिस्तान और चीन के बीच बढ़ती नज़दीकी भारत के लिए एक नई सुरक्षा चुनौती पेश करती है, खासकर ऐसे समय में जब भारत-चीन सीमा पर तनाव बना हुआ है और भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हैं। जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज में कूटनीति के प्रोफेसर डॉ. अभिषेक श्रीवास्तव, भारत के लिए सीपीईसी के रणनीतिक निहितार्थों की व्याख्या करते हैं।
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