आतंकवाद पर भारत और जापान का सख्त रुख, कहा- पाकिस्तान करे ठोस कार्रवाई

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[email protected] । Dec 1 2019 3:07PM

अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया, जबकि जापान का नेतृत्व वहां के विदेश मंत्री तोशीमित्शु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो ने किया।

नयी दिल्ली। भारत एवं जापान ने विदेश और रक्षा मंत्री स्तर की पहली वार्ता में पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी संगठनों से क्षेत्रीय शांति को पैदा हो रहे खतरों पर शनिवार को चर्चा की और उससे उनके खिलाफ ‘‘ठोस एवं स्थिर’’ कार्रवाई करने को कहा। दोनों देशों ने पाकिस्तान से विशेष रूप से अपील की है कि वह ‘वित्तीय कार्रवाई कार्य दल’ द्वारा बताए कदम उठाने समेत आतंकवाद से निपटने के लिए अपनी अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का ‘‘पूरा पालन’’ करे।

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अधिकारियों ने बताया कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व किया, जबकि जापान का नेतृत्व वहां के विदेश मंत्री तोशीमित्शु मोतेगी और रक्षा मंत्री तारो कोनो ने किया। पिछले साल 13वें भारत-जापान वार्षिक सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे द्वारा लिये गये एक फैसले के बाद नयी ‘टू प्लस टू’ रूपरेखा के तहत वार्ता हुई।

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भारत और जापान ने एक संयुक्त बयान में कहा कि मंत्रियों ने सभी देशों की ओर से यह सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता को रेखांकित किया कि उनके नियंत्रण वाले किसी क्षेत्र का इस्तेमाल किसी अन्य देश पर आतंकवादी हमले करने के लिए नहीं किया जाए।’’ बयान में कहा गया कि उन्होंने इस संदर्भ में पाकिस्तान से आतंकवादी गतिविधियों को अंजाम दे रहे आतंकवादी नेटवर्कों से क्षेत्रीय सुरक्षा को पैदा हो रहे खतरे को रेखांकित किया और उससे अपील की कि वह आतंकवादी नेटवर्कों के खिलाफ ठोस एवं स्थायी कदम उठाए एवं एफएटीएफ के प्रति प्रतिबद्धताओं समेत अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का पूरा पालन करे।

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भारत एवं जापान ने सभी देशों से अपील की कि वे आतकंवादियों की पनाहगाह और उनके बुनियादी ढांचे को नष्ट करने, आतंकवादी नेटवर्कों को बाधित करने, उन्हें वित्तीय मदद देने वाले माध्यमों को समाप्त करने और आतंकवादियों की सीमा पार गतिविधियां रोकने के लिए ठोस कदम उठाएं। संयुक्त बयान में कहा गया कि मंत्रियों ने आतंकवाद के बढ़ते खतरे की कड़ी निंदा की और इस बात को स्वीकार किया कि यह क्षेत्र में शांति एवं सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है।

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