अमेरिकी रिपोर्ट में खुलासा, अफगानिस्तान में कमजोर सरकार बनाना चाहता है पाकिस्तान

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[email protected] । Nov 6 2019 10:49AM

सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एक मजबूत और एकीकृत अफगानिस्तान (विशेष रूप से काबुल में पश्तून प्रभुत्व वाली सरकार का नेतृत्व) के बजाए कमजोर और अस्थिर अफगानिस्तान को अधिक तरजीह देता है।

वाशिंगटन। अमेरिकी संसद की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने दशकों से अफगानिस्तान में एक सक्रिय लेकिन नकारात्मक भूमिका निभाई है और इस्लामाबाद काबुल में एक कमजोर सरकार चाहता है। कांग्रेस की शोध सेवा (सीआरएस) ने अफगानिस्तान पर अपनी ताजा रिपोर्ट में पाकिस्तान को अफगानिस्तान का सबसे महत्वपूर्ण पड़ोसी देश बताया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान ने कई दशकों तक अफगानिस्तान के मामलों में सक्रिय, लेकिन कई लिहाज से एक नकारात्मक भूमिका निभाई।

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सीआरएस महत्वपूर्ण विषयों पर अमेरिकी सांसदों के लिए रिपोर्ट तैयार करती है, ताकि ताकि उन्हें सही फैसले लेने में आसानी हो। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान की सुरक्षा सेवाओं ने अफगानिस्तान के विद्रोही समूहों, विशेष रूप से हक्कानी नेटवर्क, के साथ संबंध बनाए रखे, जो अमेरिका द्वारा घोषित एक विदेशी आतंकी संगठन (एफटीओ) है और अब आधिकारिक रूप से तालिबान का एक अर्ध-स्वायत्त घटक बन गया है।

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सीआरएस की रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान एक मजबूत और एकीकृत अफगानिस्तान (विशेष रूप से काबुल में पश्तून प्रभुत्व वाली सरकार का नेतृत्व) के बजाए कमजोर और अस्थिर अफगानिस्तान को अधिक तरजीह देता है। भारत के बारे में रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में भारत की कूटनीतिक और वाणिज्यिक उपस्थिति है, और अमेरिका इसका समर्थन करता है तथा इससे पाकिस्तान को घेरेबंदी की चिंता सताती है। अफगानिस्तान में भारत के हित काफी हद तक पाकिस्तान के साथ उसकी व्यापक क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्विता से जुड़े हैं।

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