Russia चाहता है चीन से सैन्य सहायता, इस सौदे से चीन को भी फायदा हो सकता है

Russia wants military aid from China
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अमेरिकी नौसेना द्वारा एक चीनी गुब्बारे को मार गिराए जाने के एक महीने से भी कम समय के बाद यह सार्वजनिक खुलासा हुआ, जो कथित तौर पर जासूसी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसने अमेरिका और चीन के बीच मौजूदा तनाव को और बढ़ा दिया।

फरवरी 2023 के अंत में बाइडेन प्रशासन द्वारा सार्वजनिक की गई जानकारी के अनुसार चीन रूस को हथियार, गोला-बारूद और ड्रोन भेजने पर विचार कर रहा है। चीन की सैन्य सहायता यूक्रेन में रूस के युद्ध का सीधे समर्थन करेगी। अमेरिकी नौसेना द्वारा एक चीनी गुब्बारे को मार गिराए जाने के एक महीने से भी कम समय के बाद यह सार्वजनिक खुलासा हुआ, जो कथित तौर पर जासूसी उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था, जिसने अमेरिका और चीन के बीच मौजूदा तनाव को और बढ़ा दिया।

यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब रूस यूक्रेन पर अपने युद्ध में जान और माल दोनो के नुकसान का सामना कर रहा है। इन असफलताओं ने रूस को मदद लेने के लिए प्रेरित किया है। रूस ने उत्तर कोरिया और पड़ोसी देश बेलारूस जैसे सहयोगियों से हथियार और अन्य सैन्य समर्थन हासिल करने की कोशिश की। रूस ने भारत और चीन जैसे तटस्थ देशों की ओर भी रुख किया है, जिन्हें वह अपना तेल और गैस बेच सकता है और अधिक पैसा ला सकता है। चीन ने सार्वजनिक रूप से रूस को सैन्य सहायता देने के निर्णय की घोषणा नहीं की है।

मैं अंतरराष्ट्रीय संबंधों का विद्वान हूं जिसका काम अमेरिका और चीन के बीच बढ़ती प्रतिस्पर्धा पर केंद्रित है। मेरे शोध के आधार पर, मुझे यकीन है कि रूस चीन द्वारा दी जाने वाली किसी भी सहायता का स्वागत करेगा। संभावित दीर्घकालिक लाभों, जोखिमों और पश्चिमी शक्तियों के प्रभाव को ध्यान में रखते हुए, यूक्रेन युद्ध में शामिल होने के बारे में चीन के निर्णय की सावधानीपूर्वक गणना की जाएगी। लेकिन मुझे लगता है कि रूस का समर्थन करने या न करने का चीन का विकल्प मुख्य रूप से दो बातों पर निर्भर करता है: यूक्रेन संघर्ष विश्व राजनीति में चीन के समग्र विकास को कैसे प्रभावित करेगा, और ताइवान पर आक्रमण करने में उसकी रुचि।

संघर्षरत सेना को भारी मात्रा में सैन्य सहायता देने का चीन का फैसला सस्ता नहीं है। अमेरिका ने 2022 में यूक्रेन को सहायता पर 75 अरब अमरीकी डालर से अधिक खर्च किए। लेकिन युद्ध की लागत के बावजूद, चीन कुछ कारणों से रूस को सैन्य हार्डवेयर की आपूर्ति करने पर विचार कर रहा है। आर्थिक रूप से, रूस में चीन के हितों में धन, ऊर्जा और व्यापार के अवसर शामिल हैं। शीत युद्ध के दौरान, अमेरिका ने दोनों देशों के बीच दूरियां बढ़ाने का काम किया। हालाँकि, शीत युद्ध के बाद, रूस और चीन करीब आए और आर्थिक रूप से आपस में जुड़ गए।

रूस द्वारा फरवरी 2022 में यूक्रेन पर पूर्ण पैमाने पर आक्रमण शुरू करने के बाद से चीन ने रूस-समर्थक तटस्थता बनाए रखी है। यानी, चीन आधिकारिक तौर पर तटस्थ है और संघर्ष में योगदान नहीं दे रहा है, लेकिन यूक्रेन दुनिया को जो बता रहा है, उसकी अनदेखी करते हुए उसके सरकारी अधिकारी अभी भी रूस की युद्ध कथा और प्रचार की बोल रहे हैं। चीन ने युद्ध में पश्चिमी हस्तक्षेप की आलोचना की है। इसने संघर्ष के लिए एक शांति योजना भी प्रस्तावित की है - जो वास्तव में रूस को यूक्रेन से अपने सैनिकों को हटाने के लिए नहीं कहती है। अब तक चीन ने रूस को सैन्य सहायता भेजने में आनाकानी की है।

इस नीति को उलटना चीन की आधिकारिक तटस्थता की पिछली नीति से पीछे हटना होगा। यूक्रेन में रूसी सफलता वैश्विक राजनीति और शक्ति को फिर से आकार देने के चीन के लक्ष्यों के अनुकूल होगी, और एक आर्थिक और सैन्य नेता के रूप में चीन के स्वयं के उत्थान में मदद कर सकती है। फरवरी 2022 में, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीजिंग में शीतकालीन ओलंपिक में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। उन्होंने वैश्विक राजनीति को फिर से आकार देने के लिए एक संयुक्त दस्तावेज जारी किया।

यह लंबा बयान एक नेता के रूप में अमेरिका के बिना दुनिया के साझा मूल्यों और दृष्टिकोण की बात करता है, जिसमें चीन और रूस अधिक नियंत्रण और प्रभाव रखते हैं। चीन और रूस के विदेश मंत्रियों ने 2 मार्च, 2023 को मुलाकात की और चीन की सरकार ने एक बयान जारी किया, जिसमें इस बिंदु को फिर दोहराया गया। इसमें कहा गया कि दोनों देशों ने मजबूत और स्थिर विकास बनाए रखा है और प्रमुख-देशों के संबंधों के लिए एक नया प्रतिमान स्थापित किया है। ”

राजनीतिक वैज्ञानिक और मानवाधिकार विद्वान रूस या चीन को लोकतंत्र या राजनीतिक रूप से स्वतंत्र नहीं मानते हैं। लेकिन दोनों देशों ने लोकतंत्र की अपनी-अपनी परंपराओं की सराहना की है और कहा है कि वे एक ऐसी दुनिया के विरोध में खड़े हैं जहां अमेरिका लोकतंत्र के अपने संस्करण और मानवाधिकारों को एकमात्र विकल्प के रूप में पेश करता है। ताइवान कारक एक अन्य कारण, जिसकी वजह से चीन चाहता है कि रूस यूक्रेन में सफल हो क्योंकि रूस की जीत ताइवान या अन्य क्षेत्रों पर कब्जा करने की किसी भी योजना में चीन को अधिक बाहरी समर्थन देगी।

ताइवान चीन के तट पर एक द्वीप है जो स्वतंत्रता का दावा करता है, लेकिन चीन का कहना है कि यह केवल एक अलग हुआ प्रांत है जिस पर वह फिर नियंत्रण हासिल करना चाहता है। यदि रूस ने यूक्रेन युद्ध को जितनी जल्दी योजना बनाई थी उतनी जल्दी जीत लिया होता, तो इससे चीन के लिए ताइवान पर इसी तरह के आक्रमण का प्रयास करने का मार्ग प्रशस्त हो सकता था। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। फिर भी लंबे समय तक रूस-यूक्रेन युद्ध ताइवान में चीन के लिए अमेरिकी धन, सैन्य संसाधनों और द्वीप से ध्यान हटाकर एक नए प्रकार का अवसर प्रस्तुत कर सकता है।

चीनी विदेश मंत्री किन गैंग ने 7 मार्च, 2023 को तर्क दिया कि अमेरिका ताइवान को हथियार बेचता है, तो चीन के रूस को हथियार बेचने में क्या हर्ज है। कुछ आलोचकों का कहना है कि यूक्रेन को सहायता देने के बाद अब अमेरिका के लिए ताइवान पर कब्जे की चीन की किसी भी कोशिश के खिलाफ ताइवान का बचाव करना कठिन होगा। जबकि ताइवान पर चीन का आक्रमण अल्पावधि में असंभव प्रतीत होता है - और कुछ विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा कदम चीन के लिए विनाशकारी होगा - ताइवान और आसपास के क्षेत्रों में अमेरिका और चीन दोनों के निहित स्वार्थ हैं।

अमेरिका और चीन ने दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में अधिक सैन्य उपस्थिति स्थापित करने के लिए हालिया कदम उठाए हैं। चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य बल का जमाव बढ़ा दिया है। अमेरिका ने हाल ही में घोषणा की कि वह फिलीपींस में सैनिकों और सैन्य उपकरणों को तैनात करेगा, जो एक रणनीतिक सैन्य अड्डा है जो ताइवान के करीब है। पश्चिमी दबाव पिछले कुछ महीनों में, बाइडेन प्रशासन और अन्य पश्चिमी शक्तियों ने चीन को चेतावनी दी है कि उसे यूक्रेन संघर्ष में शामिल नहीं होना चाहिए।

मार्च 2023 में, जर्मन चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़ ने सार्वजनिक रूप से चीन को चेतावनी दी थी कि अगर वह इसमें शामिल होता है तो उसे इसके परिणाम भुगतने होंगे। यह देखते हुए कि चीन ने अभी तक आधिकारिक तौर पर रूस का समर्थन करने के लिए कदम नहीं बढ़ाया है, ये प्रयास सफल दिखाई दे रहे हैं। हालांकि, शोध से पता चला है कि देश संघर्षों में तब हस्तक्षेप करते हैं जब उन्हें लगता है कि उनके हित प्रभावित हो सकते हैं और जब वे कोई बदलाव ला सकते हैं। यह एक ऐसा कारक हो सकता है जो चीन को रूस की लड़ाई में और अधिक शामिल होने के लिए प्रेरित करता है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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