Suella Braverman ब्रिटेन में छात्र वीजा की अवधि में कटौती करने पर विचार कर रही हैं: खबर

Suella Braverman
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खबरों के अनुसार इस कदम से ब्रेवरमैन का देश के शिक्षा विभाग के साथ टकराव हो सकता है। ब्रेवरमैन की प्रस्तावित समीक्षा के तहत नए ‘ग्रेजुएट वीजा रूट’ में कटौती की उम्मीद है। समाचार पत्र ‘द टाइम्स’ की एक खबर के मुताबिक, भारतीय मूल की गृहमंत्री ब्रेवरमैन ने ‘ग्रेजुएट वीजा रूट’ में ‘‘सुधार’’ की योजना तैयार की है।

ब्रिटेन की गृह मंत्री सुएला ब्रेवरमैन ब्रिटेन में अध्ययन के बाद छात्र वीजा के तहत विदेशी छात्रों के ठहरने की अवधि में कटौती करने संबंधी योजना पर विचार कर रही हैं। खबरों के अनुसार इस कदम से ब्रेवरमैन का देश के शिक्षा विभाग के साथ टकराव हो सकता है। ब्रेवरमैन की प्रस्तावित समीक्षा के तहत नए ‘ग्रेजुएट वीजा रूट’ में कटौती की उम्मीद है। समाचार पत्र ‘द टाइम्स’ की एक खबर के मुताबिक, भारतीय मूल की गृहमंत्री ब्रेवरमैन ने ‘ग्रेजुएट वीजा रूट’ में ‘‘सुधार’’ की योजना तैयार की है।

इस योजना के तहत छात्रों को कुशल नौकरी हासिल कर कार्य के लिए वीजा लेना होगा या छह महीने बाद ब्रिटेन से जाना होगा। खबर में कहा गया है कि ब्रिटेन का शिक्षा विभाग (डीएफई) इन बदलावों को रोकने की कोशिश कर रहा है, क्योंकि उन्हें इस बात चिंता सता रही है कि इससे अंतरराष्ट्रीय छात्रों में पढ़ाई के लिए ब्रिटेन के प्रति आकर्षित होने में कमी आ सकती है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (ओएनएस) के नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल विदेशी छात्रों के सबसे बड़े समूह के रूप में भारतीयों ने चीनी को पीछे छोड़ दिया था और जुलाई 2021 में शुरू किए गए नए ‘ग्रेजुएट वीजा रूट’ में भारतीयों का वर्चस्व था, जो दिए गए वीजा का 41 प्रतिशत हिस्सा था। पिछले सप्ताह प्रकाशित आंकड़ों से पता चला है कि ब्रिटेन में 6,80,000 विदेशी छात्र थे।

सरकार की 2019 की उच्च शिक्षा नीति में 2030 तक 6,00,000 छात्रों का लक्ष्य शामिल था, जिसे पिछले साल ही पूरा कर लिया गया था। ब्रिटेन के गृह विभाग के कार्यालय ने इस संबंध में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया, लेकिन एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारी अंक-आधारित प्रणाली ब्रिटेन की जरूरतों के अनुसार तैयार की गई है, जिसमें ब्रिटेन में दुनियाभर से शीर्ष-स्तरीय प्रतिभाओं को आकर्षित करना शामिल है।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।


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