Pakistan के इन 9 ठिकानों को ही टारगेट के लिए क्यों चुना गया? स्टैंडऑफ वेपन से कैसे बिना घुसे घुस-घुस कर मारा

पहलगाम की वादियों में जब लाल सिंदूर बिखरा था तो वो एक आतंकवादी हमला नहीं था। भारत की आत्मा पर आघात था। भारत का धैर्य जवाब दे गया था और इसके बाद भारत ने लाल मस्जिद से लेकर लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद के तमाम अड्डों को राख में बदल दिया। भारत ने बताया कि इस बार हमला आतंकियों पर हुआ है। लेकिन पाकिस्तान अपनी नापाक हरकते खत्म नहीं करेगा तो फिर भारत हर एक खून का बदला खून से लेगा।
पहलगाम की वादियों में जब लाल सिंदूर बिखरा था तो वो एक आतंकवादी हमला नहीं था। भारत की आत्मा पर आघात था। भारत का धैर्य जवाब दे गया था और इसके बाद भारत ने लाल मस्जिद से लेकर लश्कर ए तैयबा, जैश ए मोहम्मद के तमाम अड्डों को राख में बदल दिया। भारत ने बताया कि इस बार हमला आतंकियों पर हुआ है। लेकिन पाकिस्तान अपनी नापाक हरकते खत्म नहीं करेगा तो फिर भारत हर एक खून का बदला खून से लेगा। लेकिन भारत के एक्शन के बाद सबसे बड़ा सवाल कि करीब नौ लाख वर्ग किलोमीटर में फैले पाकिस्तान के नौ ठिकानों को क्यों चुना गया?
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भारत के एयरस्पेस में रहकर ही स्टैंडऑफ वेपन से अटैक
आर्मी और एयरफोर्स की स्ट्राइक एक वक्त पर एक साथ हुई। फाइटर जेट ने भारत के एयरस्पेस में रहकर ही स्टैंडऑफ वेपन (यानी अपनी जगह पर रहकर ही मार कर सकते हैं) से वार किया। माना जा रहा है कि फाइटर जेट मिराज-2000 से स्पाइस 2000 बम का इस्तेमाल किया गया। यह इस्राइली बम है, जिसका इस्तेमाल बालाकोट एयरस्ट्राइक में भी किया गया था। स्पाइस-2000 में 60 किलोमीटर तक की ग्लाइड रेंज है, जिसका मतलब है कि फाइटर जेट को दुश्मन के एयर स्पेस में प्रवेश किए बिना 1 को छोड़ा जा सकता है। रफाल फाइटर जेट का इस्तेमाल किया गया है।
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1. पीओजेके में सवाई नाला कैंप, मुजफ्फराबादः ये लाइन ऑफ कंट्रोल से 30 किलोमीटर दूर है। ये लश्कर-ए-तैबा का ट्रेनिंग सेंटर था। 20 अक्टूबर 2024 सोनमर्ग, 24 अक्टूबर 2024 गुलमर्ग में आतंकी हमले और 22 अप्रैल को पहलगाम में हमले में शामिल आतंकियों ने यहीं से ट्रेनिंग ली थी।
2. पीओजेके में सेदना बिलाल कैंप: जैश-ए-मोहम्मद का स्टेजिंग एरिया है। यहां आतंकियों को हथियारों, विस्फोटकों और जंगल में सर्वाइवल की ट्रेनिंग दी जाती थी।
3. पीओजेके में कोटली गुलपुरः ये एलओसी से करीब 30 किलोमीटर दूर था। ये लश्कर-ए-तैबा का बेस था, जो रजौरी, पुंछ में सक्रिय था। 20 अप्रैल 2023, 9 जून 2024 में तीर्थयात्रियों के बस हमले में शामिल आतंकियों को यहीं ट्रेंड किया गया था। मुंबई अटैक का मास्टरमांड जकिउर रहमान यहां लगातार आता रहता था।
4. पीओजेके, बिंबर: ये एलओसी से करीब 9 किलोमीटर दूर है। यहां पर हथियार चलाने, IED और जंगल सर्वाइवल की ट्रेनिंग दी जाती थी।
5. पीओजेके में अब्बास कैंप, कोटली: ये एलओसी से 13 किलोमीटर दूर है। यहां आतंकी संगठन लश्कर का फिदायीन तैयार होता था। इसकी कैपिसिटी 50 आतंकियों को ट्रेंड करने की थी।
6. पाकिस्तान में सरजल कैंप, सियालकोटः इंटरनेशनल बॉर्डर से 6 किलोमीटर दूर है। सांभा-कठुआ के सामने। मार्च 2025 में जम्मू-कश्मीर पुलिस के 4 जवानों की हत्या में शामिल आतंकियों को यही ट्रेंड किया गया था।
7. पाकिस्तान में महमूना जोया कैंप, सियालकोट: यह इंटरनेशनल बॉर्डर से 12 किलोमीटर दूर है। यहां हिजबुल मुजाहिद्दीन का बड़ा कैंप था। कटुवा, जम्मू में आतंक फैलाने का नियंत्रण केंद्र था। पठानकोट एयरफोर्स बेस पर हुआ हमला भी इसी कैंप से प्लान और डायरेक्ट किया गया था।
8. पाकिस्तान में मरकज तयिबा, मुरीदकेः इंटरनेशनल बॉर्डर से 25 किलोमीटर दूर है। लश्कर का हेडक्वॉर्टर था। मुंबई हमले के आतंकी यहीं से प्रशिक्षित हुए थे। अजमल कसाब, डेविड हेडली भी यहां ट्रेंड हुए थे। स्ट्राइक का जो विडियो दिखाया गया, उसमें दिखाई दे रहा है कि यहां एक के बाद एक कुल चार हिट किए गए।
9. पाकिस्तान में मरकज सुभानअल्ला, बहावलपुरः यह इंटरनेशनल बॉर्डर से 100 किलोमीटर दूर है। आतंकी संगठन जैश का मुख्यालय था। यहां आतंकियों की रिक्रूटमेंट, इन डाक्टिरेशन, ट्रेनिंग का केंद्र भी था।
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