रुद्राक्ष पहनने से दूर होती है जीवन की सारी समस्याएं, जानें कौन से रुद्राक्ष से मिलता है क्या लाभ

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रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उस पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। रूद्राक्ष धारण करने से जीवन की हर समस्या समाप्त हो जाती है और वक्ती को धन और वैभव की प्राप्ति होती है। रूद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं और हर प्रकार के रूद्राक्ष का अपना एक अलग महत्व है

हिन्दू धर्म में रूद्राक्ष का विशेष महत्व है। इसे भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार रूद्राक्ष से चतुर्वर्ग यानी धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है। रूद्राक्ष को अनेक नामों से जाना जाता है जैसे - रुद्राक्ष, शिवाक्ष, नीलकंठाक्ष और हराक्ष। यह दो शब्दों को मिलाकर बना है रूद्र मतलब शिव और अक्ष मतलब आँख। शास्त्रों के अनुसार रूद्राक्ष भगवान शिव की नेत्रों से गिरे आंसू से निर्मित हुआ है। रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति की समस्त मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उस पर भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। रूद्राक्ष धारण करने से जीवन की हर समस्या समाप्त हो जाती है और वक्ती को धन और वैभव की प्राप्ति होती है। रूद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं और हर प्रकार के रूद्राक्ष का अपना एक अलग महत्व है। आइए जानते हैं रूद्राक्ष के किनते प्रकार हैं और कौन सा रूद्राक्ष धारण करने से क्या लाभ मिलता है - 

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एक मुखी रुद्राक्ष 

ज्योतिषशास्त्रों के अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष बहुत दुर्लभ माना जाता है और इसे साक्षात् शिव का रूप माना गया है। माना जाता है कि इसे धारण करने से धन-दौलत, शक्ति और यश की प्राप्ति होती है। ऐसा भी कहा जाता है कि एकमुखी रुद्राक्ष धारण करने वाला व्यक्ति इंद्रियों पर विजय प्राप्त कर लेता है। इसे धारण करने से  सूर्य जनित दोषों का निवारण होता है। एकमुखी रूद्राक्ष धारण करने से आध्यात्मिक ज्ञान, एकाग्रता और मनोबल में वृद्धि होती है।  

दो मुखी रुद्राक्ष 

ज्योतिषशात्रों में दो मुखी रूद्राक्ष को अर्धनारीश्वर का रूप माना गया है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति पर भगवान शिव और माता पार्वती की कृपा सदैव बनी रहती है। दोमुखी रुद्राक्ष धारण करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और माता लक्ष्मी का वास रहता है। दोमुखी रुद्राक्ष वैवाहिक सुख और संतान जन्म, गर्भ रक्षा आदि के लिए लाभकारी माना गया है। 

तीन मुखी रुद्राक्ष 

शास्त्रों के अनुसार  तीन मुखी रुद्राक्ष को अग्नि के समान माना गया है| शिवपुराण के अनुसार तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करने से कठिन साधाना के बराबर फल मिलता है। इसे धारण करने से अग्नि देव प्रसन्न रहते हैं और ऊर्जा और आत्मबल की प्राप्ति होती है। इस रूद्राक्ष को धारण करने से तेज, बुद्धि और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है। इसे धारण करने से दरिद्रता दूर होती है और सेहत व उच्च शिक्षा में अनुकूल फल मिलता है। तीन मुखी रूद्राक्ष सब पापों को नष्ट करता है।  


चार मुखी रुद्राक्ष

चार मुखी रूद्राक्ष को ब्रह्मा का स्वरूप माना जाता है। इसे चतुर्वर्ग फल देने वाला माना गया है और इसे धारण करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। चार मुखी रुद्राक्ष धारण करने से व्यक्ति के ज्ञान, बुद्धि, धन और वैभव में वृद्धि होती है। इसे धारण करने से वाणी में मधुरता आती है और आरोग्य की प्राप्ति होती है। 

पांच मुखी रुद्राक्ष 

शास्त्रों के अनुसार पंचमुखी रुद्राक्ष को साक्षात् रूद्र कालाग्नि‍ का स्वरुप माना गया है। इसे धारण करने से जीवन की हर परेशानी से छुटकारा मिलता है। पांच मुखी रुद्राक्ष से व्यक्ति को जीवन में सुख-शांति और मनवांछित फल मिलते हैं। इसे धारण करने से बृहस्पति की प्रतिकूलता दूर होती है और सब पापों से मुक्ति मिलती है।   

छह मुखी रूद्राक्ष 

छह मुखी रूद्राक्ष को कार्तिकेय का रूप माना जाता है। इस रूद्राक्ष को धारण करने से शुक्र ग्रह के अशुभ फल समाप्त होते हैं और व्यक्ति को ऋद्धि-सिद्धि की प्राप्ति होती है। छह मुखी रूद्राक्ष ब्रह्महत्या के पाप से मुक्ति दिलाने वाला है। इसे धारण करने से व्यक्ति आरोग्य और दीर्घायु प्राप्त होती है। 

सात मुखी रुद्राक्ष 

शास्त्रों में सात मुखी रुद्राक्ष को सप्तमातृकाओं का स्वरुप बताया गया है। इसे धारण करने से माता लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है। जिन लोगों को अत्याधिक धन की हानि हुई हो उनके लिए सात मुखी रूद्राक्ष धारण करना फलकारी होता है। इसे धारण करने से शनि की प्रतिकूलता समाप्त होती है और दरिद्रता दूर होती है। सात मुखी रूद्राक्ष धारण करने से कालसर्प योग की शांति में सहायता मिलती है।

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आठ मुखी रुद्राक्ष 

शिवपुराण के अनुसार अष्टमुखी रुद्राक्ष को भैरव का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से राहु ग्रह की प्रतिकूलता समाप्त होती है और अकाल मृत्यु का भय दूर होता है। आठ मुखी रुद्राक्ष में माँ गंगा का अधिवास माना जाता है। यह रूद्राक्ष धारण करने से दीर्घायु और आरोग्य प्राप्त होता है। यह रूद्राक्ष पितृदोष को दूर करता है। 

नौ मुखी रुद्राक्ष

ज्योतिषशात्रों में नौ मुखी रुद्राक्ष को महाशक्ति के नौ रूपों का स्वरूप माना गया है। इस रूद्राक्ष को धारण करने से समाज में मान-सम्मान और सभी सुख-सुविधाओं की प्राप्ति होती है। नौ मुखी रूद्राक्ष केतु के अशुभ फलों को समाप्त करने वाला है। इसे धारण करने से व्यक्ति के ऐश्वर्य, सुख और धन-धान्य में वृद्धि होती है।

दस मुखी रुद्राक्ष

दस मुखी रुद्राक्ष को साक्षात विष्णु का स्वरूप माना जाता है। इसे धारण करने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और उसे जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति होती है। इसे धारण करने से सभी ग्रहों के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं। दस मुखी रूद्राक्ष धारण करने से मानसिक शांति, भाग्योदय तथा स्वास्थ्य में अनुकूल फल मिलते हैं। 

ग्यारह मुखी रुद्राक्ष

शिवपुराण के अनुसार ग्यारहमुखी रुद्राक्ष में साक्षात रुद्रदेव का वास है। इसे धारण करने से व्यक्ति को सभी क्षेत्रों में सफलता और शत्रुओं पर विजय प्राप्त होती है। ऐसा माना जाता है कि ग्यारह मुखी रुद्राक्ष को धारण करने से कई हजार यज्ञों के बराबर फल मिलता है। ग्यारह मुखी रुद्राक्ष भगवान इंद्र का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से बल, तेज और आध्यात्मिक ज्ञान में वृद्धि होती है। 

बारह मुखी रुद्राक्ष 

शास्त्रों के अनुसार बारह मुखी रुद्राक्ष को भगवान विष्णु का स्वरूप माना गया है। बारहमुखी रूद्राक्ष धारण करने से सब पापों का नाश होता है। इसे धारण करने वाले व्यक्ति को दोनों लोकों का सुख प्राप्त होता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के जीवन में सुख-समृद्धि, आध्यात्मिक ज्ञान, स्वास्थ्य, भाग्य और मनोबल में वृद्धि होती है।  

तेरह मुखी रुद्राक्ष 

ज्योतिषशास्त्र में तरह मुखी रूद्राक्ष को विश्वदेव का स्वरूप कहा गया है। इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति को सौभाग्य और सफलता प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष सभी मनोकामनाओं को पूरा करने वाला है। इसे धारण करने से धन, यश और वैभव की प्राप्ति होती है। तरह मुखी रूद्राक्ष समस्त कामनाओं और सिद्धियों को प्रदान करने वाला है। 

चौदह मुखी रुद्राक्ष 

चौदह मुखी रूद्राक्ष को स्वयं शिव का स्वरूप माना गया है। इसे धारण करने से मनुष्य शिव के समान पवित्र हो जाता है और उसे समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। इस रूद्राक्ष में भगवान हनुमान का वास माना गया है। इसे धारण करने से शनि और मंगल के अशुभ फल समाप्त हो जाते हैं।

- प्रिया मिश्रा 

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