वर्ष 2023 में 59 दिन बजेंगी शहनाई, 15 जनवरी से शुरू होंगे मांगलिक कार्य

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ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इनके अलावा 5 अनसूझे मुहूर्त भी हैं। इसमें विवाह करना शुभ एवं कल्याणकारी रहेगा। प्रत्येक वर्ष में कुल पांच स्वयं सिद्ध मुहूर्त होते हैं। इनमें फुलेरा दौज, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी, विजया दशमी और अक्षय तृतीया शामिल हैं।

मलमास के चलते 14 जनवरी तक मांगलिक कार्यों पर विराम लगा हुआ है। अब मांगलिक कार्य 15 जनवरी से शुरू होंगे। मलमास 14 जनवरी 2023 की रात 8:45 बजे तक रहेगा। नए साल यानि वर्ष 2023 का पहला सावा 15 जनवरी को होगा। पाल बालाजी ज्योतिष संस्थान जयपुर जोधपुर के निदेशक ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार साल 2023 में विवाह के कुल 59 शुभ मुहूर्त हैं। इनमें जनवरी में 9, फरवरी में 13, मई में 14, जून में 11, नवंबर में 5 और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त हैं। नए साल के मई माह में सर्वाधिक 14 सावे होंगे। इस बीच, बसंत पंचमी, रामनवमी, भड़ल्या नवमी, अक्षय तृतीया सहित कई अबूझ सावे भी होंगे। मार्च 2023 में होलाष्टक और अप्रैल में खरमास लगने पर मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 29 जून से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। अधिकमास होने से पांच महीने चातुर्मास रहेगा। इससे देवशयनी एकादशी 29 जून से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी तक सावे नहीं हो सकेंगे। देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद लग्न मुहूर्त शुरू होंगे।

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि इनके अलावा 5 अनसूझे मुहूर्त भी हैं। इसमें विवाह करना शुभ एवं कल्याणकारी रहेगा। प्रत्येक वर्ष में कुल पांच स्वयं सिद्ध मुहूर्त होते हैं। इनमें फुलेरा दौज, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी, विजया दशमी और अक्षय तृतीया शामिल हैं। इन पांच दिनों में मुहूर्त न होते हुए भी शुभ कार्य किए जा सकते हैं। यह दिवस अपने आप में ही सिद्ध मुहूर्त हैं। 26 जनवरी वसंत पंचमी, 21 फरवरी फुलेरा दौज, 22 अप्रैल अक्षय तृतीया, 27 जून भड़ल्या नवमी और 23 नवंबर देवउठनी एकादशी है।

ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि 26 जनवरी बसंत पंचमी को शादियों का अबूझ मुहूर्त है। 18 फरवरी महाशिवरात्रि पर परिघ व शिवयोग में वर्षों बाद शादी के लिए अबूझ मुहूर्त रहेगा। इस दिन विवाह समारोह की तिथि बेहद शुभ है। 15 मार्च से 14 अप्रैल तक मीन के सूर्य खरमास में शादियां बंद रहेंगी। गुरू शुक्र 21 मार्च से 29 अप्रैल तक अस्त रहेंगे। 22 अप्रैल को अक्षय तृतीया शादी का अबूझ मुहूर्त माना गया है। ज्योतिष शास्त्र अनुसार गुरू अस्त होने के कारण शादी वर्जित मानी गई हैं। शादियां नहीं होंगी। 27 जून भड़ली नवमी गुप्त नवरात्र में शादी का अबूझ मुहूर्त। 29 जून देवशयनी एकादशी से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी रहेगा। चातुर्मास में कर्क, सिंह, कन्या, तुला के सूर्य में चार माह शादियां बंद रहेंगी। 16 दिसंबर से 14 जनवरी 2024 तक धनु के सूर्य खरमास में विवाह बंद रहेंगे।

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विवाह शुभ मुहूर्त 2023

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि पंचांग के अनुसार साल 2023 में विवाह के कुल 59 शुभ मुहूर्त हैं। इनमें जनवरी में 9, फरवरी में 13, मई में 14, जून में 11, नवंबर में 5 और दिसंबर में 7 विवाह मुहूर्त हैं। 

जनवरी - 15, 16, 18, 19, 25, 26, 27, 30, 31

फरवरी - 6, 7, 8, 9 10, 12, 13, 14, 15, 17, 22 23, 28

मई- 4, 6, 8, 9, 10, 11, 15, 16, 20, 21, 22, 27, 29, 30

जून- 1, 3, 5, 6, 7, 11, 12, 23, 24, 26, 27

नवंबर - 23, 24, 27, 28, 29

दिसंबर- 5, 6, 7 8, 9, 11, 15

शादी के लिए 10 रेखा सावा सबसे मंगलकारी

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि शादी-विवाह को आज भी परिवारों में शुभ मुहूर्त में मंगलकारी मानते हैं। सबसे बेहतर 10 रेखा सावा रहता है। विवाह मुहूर्त में मार्च में सबसे कम दो दिन शहनाई बजेंगी। साथ ही बसंत पंचमी, रामनवमी, भड़ल्या नवमी, अक्षय तृतीया सहित कई अबूझ सावे होंगे। मार्च 2023 में होलाष्टक और अप्रैल में खरमास लगने पर मांगलिक कार्य नहीं होंगे। 29 जून से चातुर्मास शुरू हो जाएगा। अधिकमास होने से पांच महीने चातुर्मास रहेगा। इससे देवशयनी एकादशी 29 जून से 23 नवंबर देवउठनी एकादशी तक सावे नहीं हो सकेंगे। देवउठनी एकादशी का अबूझ सावा रहेगा। इसके बाद लग्न मुहूर्त शुरू होंगे। ज्योतिष के मुहूर्त चिंतामणी ग्रंथ में रेखीय सावों का जिक्र है। इसमें यह माना जाता है कि 10 रेखा सावा में यानी जिसमें एक भी दोष नहीं होते हैं। वो 10 रेखा सावा होता है।

ग्रह-नक्षतों की मौजूदगी के अनुसार होता है रेखा का निर्धारण

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि ग्रह-नक्षत्र वैवाहिक जीवन को प्रभावित करते हैं। ग्रह-नक्षत्रों की मौजूदगी के अनुसार रेखा का निर्धारण होता है। सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त दस रेखाओं का माना जाता है। नौ रेखाओं का सावा भी उत्तम माना है। सात से आठ रेखाओं का मुहूर्त मध्यम मानते हैं। इनमें लता, पात, युति, वेध, जामित्र, पंच बाण, तारा, उपग्रह दोष, कांति साम्य एवं दग्धा तिथि, इन 10 तरह के दोषों का विचार के बाद ही विवाह का शुभ मुहूर्त रेखीय के आधार पर निकाला जाता है। जितनी ज्यादा रेखाएं होंगी, मुहूर्त उतना ही शुद्ध होता है। अगर किसी जातक के गुण मिलान भी नहीं हो तो 10 रेखा में शुद्ध लगन देकर विवाह को प्राथमिकता प्रदान करते हैं

- डा. अनीष व्यास

भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्ल़ेषक

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