Vaikuntha Chaturdashi 2025 : कल मनाई जाएगी बैकुंठ चतुर्दशी, शुभ मुहूर्त में करें पूजा, हर मनोकामना होगी पूरी

Vaikuntha Chaturdashi 2025
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बैकुंठ चतुर्दशी 2025, जो 4 नवंबर को मनाई जाएगी, भगवान विष्णु और शिव की पूजा के लिए समर्पित है, जिसका हिंदू धर्म में अत्यधिक महत्व है। इस दिन विधिवत पूजा और मंत्र जाप, जैसे 'ओम श्री विष्णवे नमः' और 'ओम नमः शिवाय', से मोक्ष की प्राप्ति और स्वर्ग के द्वार खुलने की मान्यता है।

हिंदू धर्म में बैकुंठ चतुर्दशी का महत्व सबसे अधिक माना गया है।शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को बैकुंठ चतुर्दशी मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करने का खास महत्व होता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, बैकुंठ चतुर्दशी पर विधिवत रुप से पूजा व व्रत करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही स्वर्ग के द्वार खुल जाते हैं। देवउठनी एकादशी पर श्री विष्णु 4 माह बाद योग निद्रा से जागे हैं। इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिवजी और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। आइए आपको बताते हैं बैकुंठ चतुर्दशी पर पूजा कैसे करें और शुभ मुहूर्त।

बैकुंठ चतुर्दशी 2025 पूजा का शुभ मुहूर्त

हिंदू पंचांग के अनुसार, 3 नवंबर, सोमवार मध्यरात्रि के बाद 2 बजकर 6 मिनट से चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ होगा और इसका समापन मंगलवार को रात में 11 बजकर 37 मिनट पर होगा। इस बार बैकुंठ चतुर्दशी 4 नवंबर यानी के कल मनाई जाएही। पूजा करने का शुभ मुहूर्त इस बार शाम को 5 बजकर 35 मिनट से लेकर 7 बजकर 34 मिनट तक रहेगा। बता दें कि, जो लोग मासिक शिवरात्रि का व्रत करते हैं उनके लिए 3 नवंबर को व्रत करना श्रेष्ठ रहेगा।

 

बैकुंठ चतुर्दशी पूजा विधि

  - सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करने के करने के बाद स्वच्छ कपड़े धारण करें और पूजा के स्थल को साफ करके, गंगाजल को छिड़काव करें।

   - इसके बाद मंदिर में एक चौकी पर लाल या पीले रंग कपड़ा बिछा लीजिए। अब  श्री विष्णु और भगवान शिवजी की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें।

   - अब प्रतिमा के समक्ष एक घी का दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प जरुर लें। इसके बाद भगवान विष्णु को एक कमल का फूल अर्पित करें और शिवजी को बेलपत्र चढ़ाएं।

  - फिर आप भगवान विष्णु के मंत्र 'ओम श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि, तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्।' का कम से कम 108 बार जाप करें।

  - इसके बाद भगवान शिव के मंत्र 'ओम नमः शिवाय' का भा जाप करें। अब आप बैकुंठ चतुर्दशी व्रत कथा पढ़े। इसके बाद श्री विष्णु और भगवान शिव की आरती करें।

 - अंत में पूजा में किसी भी प्रकार की भूल चूक हुई है, तो क्षमा मांग लें।

 - इसके साथ ही भगवान की पूजा में जा में धूप, दीप, चंदन, इत्र, गाय का दूध, केसर, दही और मिश्री से अभिषेक करना काफी शुभ माना जाता है। प्रभु को मखाने की खीर का भोग लगाएं। 

वैकुंठ चतुर्दशी के दिन सुख समृद्धि बढ़ाने के उपाय

देवीपुराण के अनुसार, इस दिन जौ के आटे की रोटी बनाकर मां पार्वती को भोग लगाया जाता है और प्रसाद में वो रोटी खायी जाती है। मां पार्वती को भोग लगाकर जौ की रोटी प्रसाद में जो खाते है उनके घर में सुख और संम्पति बढ़ जाती है। इसके साथ ही व्यक्ति की सेहत भी बढ़िया होती है।  वैकुंठ चतुर्दशी के दिन अपने-अपने घर में जौ की रोटी बनाकर मां पार्वती को भोग लगाते समय ये मंत्र बोलें –

 - ॐ पार्वत्यै नम:

 - ॐ गौरयै नम:

 - ॐ उमायै नम:

-  ॐ शंकरप्रियायै नम:

 - ॐ अंबिकायै नम:

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