करवा चौथ के इफेक्ट्स (व्यंग्य)

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संतोष उत्सुक । Oct 18 2019 2:54PM

एक संजीदा श्रीमान का व्यवहारिक सुझाव था कि जिन पतियों को बीपी, शुगर या अन्य बीमारियों की दवाई नियमित लेने की आदत है वे लेते रहें करवा चौथ के व्रत पर भरोसा न करें। वैसे भी जिन महत्त्वहीन व महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को सुरक्षा कर्मचारी मिले हुए हैं वे भी करवाचौथ की व्रतनुमा सुरक्षा पर विश्वास बिलकुल नहीं करते।

करवा चौथ के सही तरीके से सम्पन्न होने या निबटने के परिणाम क्या होते या हो सकते हैं यह एक गहन विषय रहा है । इसके अच्छे प्रभाव तो तत्काल पता लग जाते हैं लेकिन इसके बुरे प्रभाव जल्दी पता नहीं चलते बिल्कुल नोट बंदी, जीएसटी या बजट के इफेक्ट्स की तरह। हो सकता है वर्तमान ‘करवा चौथ वर्ष’ भी बीत जाए और करवा चौथ का सुअसर या कुअसर पता ही न चले। करवा चौथ वर्ष का मतलब है इस करवा की सुबह से लेकर अगले वर्ष के करवा की पिछली शाम तक। जिनका करवा चौथ वर्ष सफल और सुफल रहता है उनकी ज़िंदगी में बारह महीने अच्छे दिन और सुखद रात की बहार रहती है। उनका ज्यादा ज़िक्र क्या करना बात तो उनकी करनी ज़रूरी है जिनको पता ही नहीं चलता कि करवा चौथ के आफ्टर इफेक्ट्स वास्तव में क्या रहे। उन्हें लगना शुरू हो गया होगा कि वह फिर से पुराने नोट बदलने के लिए बैंक के सामने खड़े हैं, यह पता होते हुए भी कि बैंक नोट बदलेगा नहीं। उन्हें इस बार का करवा चौथ धीमी गति की ग्रोथ की तरह कन्फ्यूज़ कर गया है। उन्हें सुरक्षात्मक उपाय भी नहीं सूझ रहे। 

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अवकाश न होने के कारण व्यक्तिगत स्तर पर  बातचीत नहीं हो पाई लेकिन व्हाट्सएप पर यह ज्ञान किसी अनुभवी ने बांट दिया कि एक तरह से देखा जाए तो यह त्यौहार महिला विरोधी है क्यूंकि उस दिन ईमानदारी से व्रत रखने वाली ‘यौवनाएं’ एक ही दिन में शारीरिक स्तर पर निढाल हो जाती हैं क्योंकि रोज़ भी फिट रहने के चक्कर में वे ठोस पदार्थ नहीं खा सकतीं। उस दिन लगता है व्रत के माध्यम से पति को लम्बी उम्र मिलने का उपक्रम हो या न हो दूसरे आफ्टर इफेक्ट्स ज़रूर होने लगते हैं।  

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एक संजीदा श्रीमान का व्यवहारिक सुझाव था कि जिन पतियों को बीपी, शुगर या अन्य बीमारियों की दवाई नियमित लेने की आदत है वे लेते रहें करवा चौथ के व्रत पर भरोसा न करें। वैसे भी जिन महत्त्वहीन व महत्त्वपूर्ण व्यक्तियों को सुरक्षा कर्मचारी मिले हुए हैं वे भी करवाचौथ की व्रतनुमा सुरक्षा पर विश्वास बिलकुल नहीं करते। हालांकि भाषण में उन्हें भारतीय संस्कृति का उल्लेख अवश्य करना पड़ता है। इधर जिनके सामाजिक जीवन में करवा चौथ का व्रत रखने की मनाही है वे भी इस दिन की चकाचौंध से आकर्षित होती ही हैं और अपने पति की लंबी उम्र और साथ रहने की दुआ तो करती ही हैं। कुछ नई तरह के पति अपनी पत्नी का साथ निभाने के लिए यह व्रत करते हैं, क्या वास्तव में एक दूसरे की लम्बी उम्र के लिए या....? व्रत से अगले दिन ही किसी न किसी बात पर पंगा होने पर, बढ़ने पर अनेक वैवाहिक जीवन लडखडाते हुए फिर अगले करवा चौथ की दहलीज़ तक पहुँच जाया करते हैं और पति से ‘मार’ खाती या पति को ‘मार’ खिलाती पत्नी फिर इस ग़ज़ब व्रत के अच्छे इफेक्ट्स के लिए उसी ‘नाकारा’ आदमी के लिए व्रत करती देखी जाती है। देखा जाए तो यमराजजी कहीं इतने आराम से मान जाते हैं?

- संतोष उत्सुक

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