फेंकूलाल वाईटी प्रोफेशनल (व्यंग्य)

neta
Prabhasakshi

फेंकूलाल के घर के भीतर घुसने ही वाला था कि नया नेम प्लेट देखकर दंग रह गया। मकान का नाम वीडियो निवास और मालिक के नाम पर फेंकूलाल, वाईटी प्रोफेशनल लिखा था। देखकर अजरज हुआ। डोर बेल दबाने पर– टिंग-टांग की जगह पर लाइक, कामेंट, शेयर एंड सब्सक्राइब की आवाज आ रही थी।

आज सहायता के लिए हाथ बढ़ाने वालों को बेवकूफ और बकरा बनाने वालों को महान माना जाता है। बात यह है कि हमारे पड़ोस में फेंकूलाल रहते हैं। घर में कार है, फिर भी बेकार चल रहे हैं। वह क्या है न कि पेट्रोल भैया महंगाई के आसमान पर ऐसे जा बैठे हैं, जैसे वही उनका स्थाई पता हो। कई दिन हुए फेंकूलाल या उनके घरवाले गली-मोहल्ले में दिखाई नहीं दिए। वैसे भी ज्यादा दिखने वाले को समाज ओछी नजर से देखता है। हूँ तो मैं उनका पड़ोसी। किंतु जरूरत पड़ने पर ही उनके पास जाता हूँ। भैया मैंने तो दुनियादारी का यही अर्थ गढ़ लिया है। वैसे मुझे समाज की ज्यादा चिंता नहीं है। चिंता इस बात की है कि कभी चीनी खत्म हो गई या फिर आटा कम पड़ जाए तो देने वाला तो कोई होना चाहिए। इसलिए बीच-बीच में फेंकूलाल की खबर लेता रहता हूँ।

फेंकूलाल के घर के भीतर घुसने ही वाला था कि नया नेम प्लेट देखकर दंग रह गया। मकान का नाम वीडियो निवास और मालिक के नाम पर फेंकूलाल, वाईटी प्रोफेशनल लिखा था। देखकर अजरज हुआ। डोर बेल दबाने पर– टिंग-टांग की जगह पर लाइक, कामेंट, शेयर एंड सब्सक्राइब की आवाज आ रही थी। फेंकूलाल ने खुद दरवाजा खोला। मैं कुछ कहता उससे पहले वे ही बोल पड़े। पूछा, नेमप्लेट कैसा लगा। प्लेट तो सबके होते हैं लेकिन ऐसे नेम सबके नहीं होते। मैंने मकान का नाम फेंकूलाल-जानकी निवास से बदलकर वीडियो निवास इसलिए कर दिया कि हमारे नाम से कोई कमाई नहीं हो रही थी। अब तो हमारी सारी कमाई वीडियो बनाने और अपलोड करने से हो रही है। इसलिए घर की दीवारें, पंखा, फर्श सब कुछ लाल रंग से पुतवा दिया है। उस पर सफेद रंग के तिकोने बनवा दिए हैं। मुझे समझते देर नहीं लगी कि यह सब चुड़ैल यूट्यूब का किया धराया है। यहाँ तक कि फेंकूलाल ने लाल कमीज पर सफेद तिकोनों की कढ़ाई करवा ली है। कारण पूछने पर बताया कि मैं आईटी प्रोफेशनल बनते-बनते रह गया। इसकी भरपाई वाईटी यानी यूट्यूब प्रोफेशनल बनकर कर रहा हूँ।

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मैंने देखा घर बड़ा शांत है। लगा घर पर फेंकूलाल के सिवाय कोई दूसरा नही है। पूछने पर पता चला कि सभी घर पर हैं। सब अपने-अपने कमरों के पिंजड़ों में बंद होकर अपनी-अपनी कमाई की कलाकारी दिखा रहे हैं। पत्नी पति को चाय पूछे न पूछे दुनिया भर को अपनी रेसिपी यूट्यूब पर खिला रही है। आज रसोई में बैंगन की रेसिपी बना रही है। इसे शूटिंग करने के लिए कैमरामेन कंधे पर कैमरा रखे उनकी कलाकारी को कैद कर रहा है। लड़की ब्यूटी पार्लर के सारे सामान अपने मुँह पर पोते खुद तो चुड़ैल लेकिन औरों को खूबसूरत दिखने के नुस्खे सिखा रही है। कुछ दिन पहले तक फेंकूलाल का बेटा नए जूतों के लिए उनकी चप्पलें घिसवाता था। लेकिन अब वह हर हफ्ते नए जूते खरीदता है। पहनता है। चलकर-बैठकर-उठकर दिखाता है। यह सब यूट्यूब में अपलोड करता है। इस तरह परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे को आमने-सामने कम यूट्यूब में ज्यादा देखते हैं। इसी से उनकी कमाई होती है। मुझे लगा कि फेंकूलाल भी यूट्यूब का कोई चैनल चला रहा है। किंतु उनके यह कहने पर मेरा भ्रम दूर हो गया कि हमें सभी को लाइक करना चाहिए। सभी के लिए अच्छे-अच्छे कमेंट करना चाहिए। उनकी अच्छाइयों को शेयर करते रहना चाहिए। यह सब चीजें बार-बार मिले इसके लिए सब्सक्राइब करना चाहिए। हम क्या लेकर आए थे और क्या लेकर जायेंगे। इसलिए लाइक, कमेंट, शेयर और सब्सक्राइब करना मत भूलो। यही हमारे जाने के बाद लोगों को याद रहता है। मैं अब तक समझता था कि एलआईसी एजेंट जीते जी स्वर्ग दिखाने का हुनर रखते हैं, किंतु फेंकूलाल को देखने के बाद मुझे एलआईसी एजेंट बेहतर लगने लगे।   

- डॉ. सुरेश कुमार मिश्रा ‘उरतृप्त’

(हिंदी अकादमी, तेलंगाना सरकार से सम्मानित नवयुवा व्यंग्यकार)

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