प्यार (वैलेंटाइन डे पर कविता)
प्यार को सदैव दिल से जोड़कर देखा जाता रहा है, दिमाग से नहीं। प्यार के संबंध में अक्सर यह भी कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है और यह ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, जात-पात इत्यादि सामाजिक बंधनों की परवाह नहीं करता।
प्यार को सदैव दिल से जोड़कर देखा जाता रहा है, दिमाग से नहीं। प्यार के संबंध में अक्सर यह भी कहा जाता है कि प्यार अंधा होता है और यह ऊंच-नीच, अमीरी-गरीबी, जात-पात इत्यादि सामाजिक बंधनों की परवाह नहीं करता। कवियत्री ने कविता में प्यार की परिभाषा को बहुत ही सुंदर ढंग से प्रस्तुत किया है।
दिल बेकरार
आकर्षण या ये है प्यार
उसकी आवाज़
जैसे साज़
हर लफ्ज़
अनछुआ स्पर्श
गुनगुनाती बातें
बढ़ती चहातें
करे मेरा
दिल बेकरार
आकर्षण या ये है प्यार
गुदगुदाती नज़र
गहरा असर
प्यासी आँखें
दिल झाँके
बिन ज़ुबां
करें बयां
प्रेम आहट
अटूट चाहत
करे मेरा
दिल बेकरार
आकर्षण या ये है प्यार
उसकी मुस्कान
मेरे प्राण
खनकती हँसी
करे दिलकशी
ढाए कहर
हर पहर
खुशदिल इंसान
ज़िंदादिल अरमान
करे मेरा
दिल बेकरार
आकर्षण या ये है प्यार
करते बात
उसके जज़्बात
चाँदनी सराबोर
कशिश डोर
जागी उमंग
उसके संग
सुहानी फुहार
मन हार
प्रेम पुकार
असीम दुलार
करे मेरा
दिल बेकरार
आकर्षण या ये है प्यार
उसकी यारी
बेहद प्यारी
हमदर्द हमराज़
नया आगाज़
खोए होश
उमड़ता जोश
हुई मदहोश
उसकी आगोश
करे मेरा
दिल बेकरार
आकर्षण या ये है प्यार
हमसफ़र हमनवा
मेरा जहाँ
इक तन
इक मन
नया सवेरा
चाहत घेरा
करे मेरा
दिल बेकरार
आकर्षण नहीं ये है प्यार
- मृदुला घई
लेखिका श्रम मंत्रालय में एम्प्लाइज प्रोविडेंट फण्ड कमिश्नर के पद पर कार्यरत हैं
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