कंपनियां बना रही अपनी मिलिशिया यूनिट, अब क्या नया करने की फिराक में है चीन, दोहराना चाहता है इतिहास

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Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Feb 21 2024 1:41PM

1949 में पार्टी के सत्ता हासिल करने के बाद सशस्त्र बल समूहों ने कम्युनिस्ट पार्टी को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अपने पैर जमाने में मदद की। उन्होंने कम्युनिस्ट विरोधी विद्रोहों पर नकेल कसी और सभी को पार्टी लाइन का पालन करने के लिए बाध्य किया।

कहा जाता है कि एक तस्वीर हजार शब्दों के बराबर की होती है। ये मौखिक विवरण की तुलना में इसके अर्थ या सार को अधिक प्रभावी ढंग से व्यक्त करता है। उस वाक्या को भला कौन भूल सकता है जब रूस की प्राइवेट आर्मी वैगनर के चीफ 62 वर्षीय येवगेनी प्रिगोझिन ने दुनिया की एक बड़ी महाशक्ति रूस के प्रमुख नेता को  उखाड़ फेंकने के लिए बड़ी संख्या में सैनिकों को तैनात करने की कसम खाते नजर आए थे। प्राइवेट आर्मी की जब भी बात आती है तो रूस का वैगनर ग्रुप और अमेरिका की एकेडमी दो ऐसी जानी मानी कंपनियां है जो हाल के सालों में विवादों में रही हैं। वहीं एक मुल्क ऐसा भी है जो हमारे पड़ोस में है, ये मुल्क जिसने कोरोना के मामले में लापरवाही बरती और पूरी दुनिया को इसका खामियाजा  भुगतना पड़ा। जो पूरी दुनिया में कभी कारोबार फैलाने के नाम पर तो कभी किसी मदद को देने के नाम पर घुसपैठ कर चुका है। जो अपने यहां के अल्पसंख्यकों के खिलाफ अत्याचार करता रहता है। वो मुल्क जो आर्थिक मोर्च पर कई तरह की दिक्कतों का सामना कर रहा है। लेकिन 1970 के दशक के बाद एक नई चीन की ओर फिर से उसने अपने कदम बढ़ा दिए हैं। हम बात चीन की कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि चीन अपने पुराने ढर्रे पर लौट रहा है। चीन की कंपनियां अपनी-अपनी वॉलंटियर आर्मी बनाने में जुटी है। 1970 के दशक में ये चीन में बेहद ही आम थी। देश के कई सरकारी स्वामित्व वाले उद्यमों और एक निजी फर्म ने पिछले वर्ष में घरेलू लड़ाकू बलों की स्थापना की है।

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चीन की प्राइवेट आर्मी के बारे में क्या जानते हैं आप?

निजी इकाइयों को पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज (पीएएफ) के रूप में जाना जाता है। वे उन नागरिकों से बने हैं जो अपनी नियमित नौकरी जारी रखते हैं और दुनिया की सबसे बड़ी चीन की सेना के लिए एक आरक्षित बल के रूप में कार्य करते हैं। सीएनएन की एक रिपोर्ट के अनुसार, पीपुल्स आर्म्ड फोर्सेज से युद्ध के दौरान सहायता, राष्ट्रीय आपदाओं के दौरान संचालन और सामाजिक व्यवस्था बनाए रखने में मदद जैसे मिशनों के लिए उपलब्ध होने की उम्मीद है। एफटी की एक अन्य रिपोर्ट में कहा गया है कि ये निजी सेनाएं नागरिक सुरक्षा गतिविधियां चलाती हैं और सैन्य भर्ती, पदोन्नति और प्रशिक्षण में योगदान देती हैं। हालाँकि, इन बलों के सदस्य अभी चीन के बाहर काम नहीं करते हैं। वे काफी हद तक अमेरिका के नेशनल गार्ड की तरह हैं, एक राज्य-आधारित बल जो अमेरिकी सेना के निजी लड़ाकू रिजर्व के रूप में कार्य करता है। पिछले साल से चीन के निजी मिलिशिया में वृद्धि हुई है। अक्टूबर 2023 में चीनी रक्षा मंत्रालय ने इन इकाइयों को राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों (एसओई) में शामिल करने पर जोर देने की पुष्टि की। धिकांश निजी बल एसओई द्वारा स्थापित किए जाते हैं, दिसंबर में यिली ग्रुप अपनी इकाई स्थापित करने वाली पहली निजी कंपनी बन गई। दुनिया के शीर्ष डेयरी उत्पादकों में से एक, कंपनी को राज्य द्वारा नियंत्रित नहीं किया जाता है, लेकिन होहोट में स्थानीय सरकार, जहां यह स्थित है।

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माओ की रेड आर्मी

1949 में पार्टी के सत्ता हासिल करने के बाद सशस्त्र बल समूहों ने कम्युनिस्ट पार्टी को ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में अपने पैर जमाने में मदद की। उन्होंने कम्युनिस्ट विरोधी विद्रोहों पर नकेल कसी और सभी को पार्टी लाइन का पालन करने के लिए बाध्य किया। चेंग ने वीओए को बताया कि कभी-कभी ये समूह ग्रामीणों और कारखाने के श्रमिकों के खिलाफ लाठी, बंदूक और अन्य उपकरणों का इस्तेमाल करते थे, जो अभी भी किया जा सकता है। 6 मई 1966 को माओ ने चीन में सांस्कृतिक क्रांति की शुरुआत की जिसे कल्चरल रिव्यलूशन के नाम से भी जाना जाता है। उसी दिन ‘16 मई की सूचना’ नाम से एक विज्ञप्ति जारी की गयी। उसमें कहा गया था कि विज्ञान, शिक्षा, साहित्य, कला, समाचार, पुस्तक-प्रकाशन इत्यादि कई क्षेत्रों का नेतृत्व अब ‘सर्वहारा वर्ग के हाथों में नहीं रह गया है. उन्हें चला रहे सारे बुद्धिजीवी साम्यवाद-विरोधी हैं, जनता के शत्रु प्रतिक्रांतिवादियों का ढेर हैं। माओ लिखित ‘लाल पुस्तक’ लिये बच्चे और छात्र सांस्कृतिक क्रांति के ‘लाल रक्षक’ (रेड गार्ड) कहलाते थे। हर दिन हज़ारों-लाखों की संख्या में गांवों-शहरों की सड़कों पर निकल कर माओ के कथित ‘शत्रुओं’ को ढूंढते हुए वे उन पर टूट पड़ते थे। 18 जून 1966 को विश्वविद्यालयों के 60 वरिष्ठ प्रोफ़ेसरों की अपराधियों जैसी सुनवाई के बाद सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर उन्हें लातों-मुक्कों से मारा गया। चीन की ये सांस्कृतिक क्रांति 9 सितंबर 1976 को माओ की मौत के साथ खत्म हो गई। 

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चीनी कंपनियाँ इस तरह के फोर्स क्यों बना रही

जैसे-जैसे चीन की अर्थव्यवस्था धीमी होती जा रही है, वहां की जनता में सामाजिक असंतोष बढ़ रहा है। ताइवान और संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ तनाव बढ़ने के कारण विदेशों में भी संघर्ष की चिंता है। विश्लेषकों का कहना है कि इन कॉर्पोरेट ताकतों की स्थापना मुद्दों पर बीजिंग की चिंताओं को उजागर करती है। इसे महामारी के बाद समाज पर कम्युनिस्ट पार्टी की पकड़ मजबूत करने के चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के प्रयासों के हिस्से के रूप में भी देखा जा रहा है। 2023 में चीन की इकॉनमी 5.2 फीसदी की रफ्तार से बढ़ी। लेकिन देश की इकॉनमी को कई मोर्चों पर चुनौतियां का सामना करना पड़ रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर संकट में है। युवा बेरोजगारी चरम पर है। डिफ्लेशन का दबाव है। कॉरपोरेट डिफॉल्ट बढ़ रहा है और स्थानीय सरकारें कर्ज में  डूबी हैं। 

चीन क्या कह रहा है?

चीनी रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता वू कियान ने अक्टूबर 2023 में कहा था कि पीएएफडी बढ़ाने का प्रयास राष्ट्रीय रक्षा के लिए चीन के पूरे देश के दृष्टिकोण का हिस्सा था और मिलिशिया बड़े पैमाने पर लामबंदी से लेकर प्रतिक्रिया तक हर चीज के लिए उपलब्ध हैं।  चीन की राज्य समाचार एजेंसी शिन्हुआ द्वारा दिए गए एक बयान में, उन्होंने कहा कि राज्य के स्वामित्व वाले उद्यमों में कॉर्पोरेट ब्रिगेड की स्थापना राष्ट्रीय रक्षा दायित्वों को पूरा करने और राष्ट्रीय रक्षा निर्माण को मजबूत करने" के लिए आवश्यक थी। उन्होंने कहा कि  स्वामित्व वाले उद्यमों के भीतर पीपुल्स सशस्त्र बल इकाइयां राष्ट्रीय रक्षा प्रणाली का एक घटक है, यह उद्यमों के भीतर पार्टी का सशस्त्र कार्य विभाग है, साथ ही उद्यमों के भीतर सरकार की भर्ती शाखा भी है। कड़े कोविड-19-संबंधित प्रतिबंधों को विरोध प्रदर्शनों और जनता के गुस्से का सामना करना पड़ा, जो कि कम्युनिस्ट राष्ट्र में असामान्य है। जब से चीन संपत्ति मंदी का सामना कर रहा है और अपस्फीति, युवा बेरोजगारी और कॉर्पोरेट डिफॉल्ट से जूझ रहा है तब से प्रदर्शन और बढ़ गए हैं। श्रमिकों के विरोध प्रदर्शनों पर नज़र रखने वाली हांगकांग स्थित गैर-लाभकारी संस्था, चाइना लेबर बुलेटिन के आंकड़ों के अनुसार, 2023 में श्रमिक हड़तालें बढ़कर 1,794 हो गई हैं, जो एक साल पहले दर्ज की गई 830 से दोगुनी से भी अधिक है। एशिया सोसाइटी पॉलिसी इंस्टीट्यूट के सेंटर फॉर चाइना एनालिसिस में चीनी राजनीति के फेलो नील थॉमस ने सीएनएन को बताया कि कॉर्पोरेट मिलिशिया की वापसी राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ आर्थिक विकास को बेहतर ढंग से एकीकृत करने की आवश्यकता पर शी के बढ़ते फोकस को दर्शाती है क्योंकि देश अधिक कठिन भविष्य का सामना कर रहा है। निजी सेनाएँ कम्युनिस्ट पार्टी को विरोध प्रदर्शनों और कर्मचारियों की हड़तालों को अधिक प्रभावी ढंग से रोकने में मदद कर सकती हैं। पूर्व और दक्षिण एशिया दोनों में अमेरिकी राजनयिक के रूप में भी काम करने वाले सेवानिवृत्त अमेरिकी मरीन कर्नल ग्रांट न्यूशम ने कहा कि निजी सेनाएं सत्ता संभालने के बाद से शी जिनपिंग के नियंत्रण को मजबूत करने और मजबूत करने के प्रयासों का हिस्सा हैं। उन्होंने वॉयस ऑफ अमेरिका (वीओए) को बताया, "यह नियंत्रण अंततः हिंसा और धमकी के संभावित या वास्तविक उपयोग पर निर्भर है। एसओई में इन सशस्त्र बल इकाइयों के होने से नियंत्रण बढ़ता है और नियंत्रण मजबूत होता है, और हिंसा का मनोवैज्ञानिक खतरा होता है।

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