D-4 की चाल, ISRO की नजर और फायर एंड फर्गेट ब्रह्मोस पर संदेह नहीं करते, किसी को भी मात दे सकते हैं

भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। पाकिस्तान की एक भी मिसाइल भारत को चीर नहीं पाई। ये बता रहा है कि भारत का एयर डिफेंस सिस्टम कितना मजबूत है।
पाकिस्तान में बैठे आतंकवादियों के खिलाफ न तो भारत का ऑपरेशन सिंदूर खत्म हुआ है और ना ही हिंदुस्तान का बदला। पाकिस्तान में बैठे आतंकियों के खिलाफ भारत की कार्रवाई जारी रहेगी। इस बात का ऐलान बहुत पहले ही हो चुका है। जरूरत पड़ी तो हर स्तर पर जाकर पाकिस्तान से भिड़ने की तैयारी भारत कर लेगा। ये कई बार भारत साबित भी कर चुका है। भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने पूरी दुनिया को चौंका दिया है। पाकिस्तान की एक भी मिसाइल भारत को चीर नहीं पाई। ये बता रहा है कि भारत का एयर डिफेंस सिस्टम कितना मजबूत है। दुनियाभर के लिए ये रिसर्च का विषय भी बन गया है कि कैसे भारत ने अपने एयर डिफेंस सिस्टम को कितना मजबूत बना लिया है। ऑपरेशन सिंदूर में सिर्फ इंडियन आम्ड फोर्सेस की ताकत ही नहीं दिखी बल्कि इससे भारत की डिफेंस इंडस्ट्री को भी बड़ा पुश मिला है। दुनियाभर की नजरें इस ऑपरेशन पर थी। जिस तरह भारत की आम्र्ड फोर्सेस ने पाकिस्तान की तरफ से हुए हर हमले को नाकाम किया और भारत की तरफ के हुई लगभग हर स्ट्राइक सटीक हुई, उसमें स्वदेशी हथियार और भूमिका रही। साथ ही किस तरह भारत के एयर डिफेंस सिस्टम ने तुर्की के ड्रोन और चीन की मिसाइल को नाकाम किया, उस पर भी दुनिया भर में चर्चा हो रही है।
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एसेट्स को कोई नुकसान नहीं, 23 मिनट में मिशन को किया पूरा
किस तरह भारत ने पाकिस्तान के चीन से लिए हुए एचक्यू-9 रडारों को भी फेल किया और सटीक स्ट्राइक की, इसका डिफेंस इंडस्ट्री के लोग अलग अलग विश्लेषण में लगे हैं। पिछले कुछ सालों में भारत ने स्वदेशी डिफेंस इंडस्ट्री पर वहुत फोकस किया था और रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर वनने के लिए कई कदम उठाए। स्वदेशी आकाश मिसाइल सिस्टम, डी-4 एंटी ड्रोन सिस्टम, स्वदेशी लॉइटरिंग एम्युनिशन, कामेकाजी ड्रोन स्काई स्ट्राइकर सहित आकाशतीर की चर्चा हो रही है। साथ ही भारत और रूस के जॉइंट वेंचर ब्रह्मोस का भी इस ऑपरेशन में कॉम्बेट डेव्यू हुआ। सभी स्ट्राइक बिना किसी इंडियन एसेट्स (भारतीय संपत्ति) के नुकसान के सफलतापूर्वक की गई। जो हमारी निगरानी, प्लानिंग और डिलीवरी सिस्टम की प्रभावशीलता को दशति हैं।ऑपरेशन सिंदूर में जब 9 आतंकी ठिकानों पर स्ट्राइक की गई तब इंडियन एयरफोर्स ने पाकिस्तान के चीन मेड एयर डिफेंस सिस्टम को बाईपास किया और जाम करते हुए मिशन 23 मिनट में सफलतापूर्वक पूरा कर लिया। सेटेलाइट और ड्रोन तकनीक के बिना यह संभव नहीं है।
फायर एंड फर्गेट मिसाइल ब्रह्मोस
दुनिया के सबसे ताकतवर सुपरसोनिक मिसाइल की ताकत कुछ ऐसी है कि चीन जैसा देश भी इसका सामना करने से कतराता है। ब्रह्मोस एयरोस्पेस भारत-रूस संयुक्त उद्यम है और यह सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलों का उत्पादन करता है जिन्हें पनडुब्बियों, पोतों, विमानों या जमीन से प्रक्षेपित किया जा सकता है। यह मिसाइल ध्वनि की गति से लगभग तीन गुना की गति से उड़ान भरती है। यह संस्करण लगभग 290 किलोमीटर दूरी तक मार सकता है। सर्जिकल स्ट्राइक के लिए अचूक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल। दो वैरिएंट हैं। 450 से 800 किमी तक रेंजा जमीन, समुद्र व हवा से दाग सकते हैं। कीमत 15 से 30 करोड़ रुपए। सबसे खास बात ये है कि यह मिसाइल स्टील्थ टेक्नोलॉजी के साथ एडवांस्ड गाइडेंस सिस्टम से भी लैस है और यह आसानी से दुश्मन देश के रडार को धोखा दे सकती है। यह मिसाइल 10 मीटर से लेकर 15 किलोमीटर तक की ऊंचाई पर उड़ान भरने में सक्षम है। ब्रह्मोस मिसाइल को ‘फायर एंड फर्गेट’ मिसाइल भी कहा जाता है। इसका मतलब है कि एक बार इसे फायर कर दिया गया तो फिर आपको कोई चिंता करने की बात नहीं, अपने लक्ष्य को भेदने के बाद ही यह मिसाइल रुकेगी।
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भारत का आयरन डोम आकाश
भारत द्वारा पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) के अंदर आतंकी ठिकानों को निशाना बनाकर समन्वित और सटीक हमले करने के एक दिन बाद, इस्लामाबाद ने जवाबी हमला किया - देश के नागरिक और सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाया। पड़ोसी देश ने भारत पर कहर बरपाने के लिए ड्रोन और मिसाइलों का एक झुंड - ज़्यादातर चीनी और तुर्की - को छोड़ दिया। हालाँकि, आकाश मिसाइल प्रणाली ने इन हमलों को विफल कर दिया, जिससे इसकी प्रभावशीलता का पता चला। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन द्वारा विकसित और सरकारी कंपनी भारत डायनेमिक्स द्वारा निर्मित, आकाश एक छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल (एसएएम) है और यह भारत की बहुस्तरीय वायु रक्षा प्रणाली का एक हिस्सा है।
IAF का सुपरस्टार समर
समर यानी की सर्फेस टू एयर मिसाइल फॉ़र एसार्ड रिटैलिएशन भारतीय वायुसेना की एक स्वदेशी विकसित एयर डिफेंस सिस्टम है। समर मिसाइल सिस्टम का काम भारत की ओर आसमान से आने वाले दुश्मनों को हवा में ही ढेर कर देना है। एक छोटी मिसाइल है, जिससे हेलीकॉप्टरों, ड्रोन, लड़ाकू विमानों तक को निशाना बनाया जा सकता है। छोटा लेकिन बेहद पॉवरफुल हथियार होने के कारण इसे, भारतीय वायुसेना का सुपर स्टार भी कहा जाता है। समर मिसाइल के दो वर्जन हैं, जिनमें एक का वजन लगभग 105 किलो है। वहीं समर-2 का वजन लगभग 253 किलो तक हो सकता है।
डी-4 - ड्रोन ड्रिस्ट्रायर
आपने एंटी मिसाइल सिस्टम के बारे में तो सुना होगा जिसका इस्तेमाल दुश्मन की मिसाइलों को आसमान में ही तबाह करने के लिए किया जाता है। ठीक उसी तरह काम करता है - एंटी ड्रोन सिस्टम। भारत की आकाश मिसाइल प्रणाली और समर के साथ-साथ देश ने पाकिस्तान के हवाई हमलों की बारिश को विफल करने के लिए डीआरडीओ द्वारा विकसित डी-4 एंटी-ड्रोन सिस्टम भी तैनात किया है। डी-4 एंटी-ड्रोन सिस्टम एक ड्रोन डिटेक्ट, डिटर, डिस्ट्रॉय (डी4) सिस्टम इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और स्पूफिंग तकनीकों का उपयोग करके साधारण ड्रोन के साथ-साथ मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहनों (यूसीएवी) को भी निष्क्रिय करने की क्षमता है। यह लेजर निर्देशित ऊर्जा हथियार भी दाग सकता है।
आकाशतीर से 6 नोड पूरे ऑपरेशन में रहे एक्टिव
पूरे ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इंडियन आर्मी के 6 आकाशतीर नोड ने पूरे वेस्टर्न बॉर्डर पर 24 घंटे निगरानी की और एयर डिफेंस को कंट्रोल कर मोर्चा संभाले रखा। सूत्रों के मुताबिक आकाशतीर से 6 नोड लद्दाख, कश्मीर, जम्मू सेक्टर, पठानकोट एरिया, आदमपुर एरिया और जैसलमेर-बाड़मेर एरिया में सक्रिय रहे। इंडियन आर्मी के ये आकाशतीर नोड इंडियन एयरफोर्स के इंटिग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से जुड़े हुए थे। आकाशतीर को इंडियन आर्मी के लिए भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड ने डिवेलप किया। इसमें सेटेलाइट कम्युनिकेशन, लाइन कम्युनिकेशन और रेडियो कम्युनिकेशन है। आर्मी के सभी एयर डिफेंस रडार का डेटा इसमें आ जाता है और ये इसे एयरफोर्स के इंटिग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम से कनेक्ट करता है।
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आसमान से पूरे पाकिस्तान पर नजर
हर कोई भारत के स्वदेशी आक्रामक हथियारों के बारे में बात कर रहा है और यह सही भी है। लेकिन किसी को यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत के उपग्रहों ने ऑपरेशन सिंदूर में भी मदद की थी। जैसा कि इसरो के अध्यक्ष वी नारायणन ने उल्लेख किया कि देश के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक उद्देश्य के लिए कम से कम 10 उपग्रहों का उपयोग किया गया था। उन्होंने कहा कि आप सभी हमारे पड़ोसियों के बारे में जानते हैं। अगर हमें अपने देश की सुरक्षा सुनिश्चित करनी है, तो हमें अपने उपग्रहों के माध्यम से सेवा करनी होगी। हमें अपने 7,000 किलोमीटर के समुद्री तट क्षेत्रों की निगरानी करनी होगी। हमें पूरे उत्तरी भाग की लगातार निगरानी करनी होगी। उपग्रह और ड्रोन तकनीक के बिना हम इसे हासिल नहीं कर सकते।
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