अशरफ गनी की कहानी: राष्ट्रपति से भगोड़ा तक...

Ashraf Ghani
अभिनय आकाश । Aug 23 2021 6:17PM

अशरफ गनी के पिता शाह पेशंद थे। मां कावकाबा लोदिन थीं। वे लोदी वंश से हैं। अहमदजई के दादा 20वीं शताब्दी की शुरूआत में राजा जहीर शाह के पिता, राजा मोहम्मद नादिर शाह को सत्ता में लेकर आए।

तालिबान के कब्जे के बाद चर्चा का विषय यही रहा कि आखिर अफगानिस्तान हार कैसे गया। जब अफगानिस्तान के लोग अपनी जान बचाकर भाग रहे थे तब वहां के 72 साल के राष्ट्रपति अशरफ गनी एक प्राइवेट विमान से देश छोड़कर भाग गए। लोग उम्मीद करते थे कि उनके राष्ट्रपति लड़ेंगे। लेकिन रसिया के मीडिया के मुताबिक अशरफ गमनी राष्ट्रपति भवन से हेलीकॉप्टर से काबुल एयरपोर्ट पहुंचे और इस हेलीकॉप्टर में उन्होंने भारी मात्रा में कैश रखा हुआ था। सारा पैसा वो हेलीकॉप्टर और गाड़ियों में भरकर ले गए। अशरफ गनी इतना सारा पैसा अपने साथ लेकर पहुंचे थे कि हेलीकॉप्टर और गाड़ियों में भी इतनी जगह नहीं बची कि वो सारा पैसा वहां पर रखा जा सके। जब वो हवाई जहाज में बैठे तो उन्हें काफी पैसा रनवे पर ही छोड़ देना पड़ा क्योंकि इतनी जगह नहीं बची थी।

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शुरूआती जीवन

अशरफ गनी के पिता शाह पेशंद थे। मां कावकाबा लोदिन थीं। वे लोदी वंश से हैं। अहमदजई के दादा 20वीं शताब्दी की शुरूआत में राजा जहीर शाह के पिता, राजा मोहम्मद नादिर शाह को सत्ता में लेकर आए। उनके पिता शाह पेशंद राज जहीर शाह के शासन में मंत्री रहे। 1950 के दशक के अंत से लेकर 1973 में राजा के अपदस्थ होने तक वे परिवहन मंत्री बने रहे। राजा की सत्ता उखड़ जाने के बाद अहमदज़ई और उनके परिवार ने निर्वासित राजा और शाही लोगों के साथ मिलकर एक समूह का गठन किया। जो एक राजनीतिक संगठन के रूप में विकसित होने लगा। अशरफ गनी का जन्म 19 मई 1949 को हुआ था। ।  गनी ने पहली बार 1977 में छोड़ दिया, जब कम्युनिस्टों ने अपना अधिग्रहण शुरू किया और देश के पुनर्निर्माण के अपने सपने को पूरा करने के लिए अशरफ 24 साल बाद 2002 में रूला के साथ तालिबान के निर्वासित होते ही देश लौट आए। गनी एक पूर्व अमेरिकी नागरिक हैं औऱ साल 2009 में अफगान राष्ट्रपति पद के लिए अपनी नागरिकता छोड़ दी थी। पहले हामिद करजई के नेतृत्व में वित्त मंत्री, 2009 में राष्ट्रपति पद के लिए एक असफल उम्मीदवार थे, और फिर 2014 में उस विवादित चुनाव के विजेता थे। अफगान मूर्ख नहीं थे। उन्हें सिर्फ नौकरी की जरूरत थी। लोग, गनी ने 2005 में कहा, स्वभाव से अंतर्राष्ट्रीयवादी हैं- "वे ग्रामीण अमेरिकियों की तुलना में कॉलेज की डिग्री और अधिकांश यूरोपीय लोगों की तुलना में बहुत अधिक परिष्कृत हैं। राष्ट्रपति बनने से गनी को उनके दिमाग में चमकने वाले देश पर शासन करने का मौका मिला। अफगानिस्तान एक खाली स्लेट था। गनी ने उस पर अपने सुंदर रेखाचित्रों को डूडल बनाना शुरू किया।

भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगते रहे

अशरफ गनी और उनके परिवार पर पहले भी भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े आरोप लगते रहे हैं। 2019 में उनकी सरकार ने एक ऐसी माइनिंग कंपनी को ठेका दे दिया था जिसमें अशरफ गनी के भाई की हिस्सेदारी थी। इसके अलावा अमेरिका से मिलने वाली मदद का भी उन्होंने गलत इस्तेमाल किया और बहुत पैसा खुद ही खा गए। जिस पैसे से सेना को अपग्रेड किया जाना था और हथियार दिए जाने थे। उस पैसे से अशरफ गनी और उनके करीबी लोग ऐश करते रहे। 2014 और 2019 में जब उन्होंने राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ा तो इस दौरान भी उनपर बहुत धांधली के आरोप लगे थे।  

अशरफ गनी अफगान संकट के जिम्मेदार 

गनी ने काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद 15 अगस्त को अफगानिस्तान छोड़ दिया। 2014 में पहली बार राष्ट्रपति बने गनी ने अफगानिस्तान की बागडोर हामिद करजाई से ली थी। अशरफ गनी ने युद्ध खत्म करने को अपनी प्राथमिकता तो बनाया लेकिन ऐसा कर नहीं पाए। 2020 में जब कतर की राजधानी दोहा में शांति प्रक्रिया शुरू हुई, तो वो तालिबान से बातचीत करने में संकोच कर रहे थे। गनी को उनके बदलते मूड के लिए जाना जाता है। उनके इन्हीं मूड की वजह से तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे तालिबान के साथ समझौता कर लिया था।

 क्यों डरकर भागे गनी?

सवाल यह है कि अशरफ गनी को डरने की जरूरत क्या है। दरअसल अशरफ गनी अफगानी भले ही हों सोच के स्तर पर वो पश्चिमी देशों के करीब रहे हैं। अमेरिका में वो लंबे समय तक अध्ययन और उससे जुड़े दूसरे कार्यों में व्यस्त रहे। अब उन्हें अफगानिस्तान की कमान मिली तो तालिबानी धड़ों ने यह समझा कि अशरफ गनी भी दूसरे नजीबुल्लाह हैं, लिहाजा जब काबुल पर तालिबान का कब्जा हो गया तो उन्हें लगा कि अब उन्हें देश छोड़ देना चाहिए। 

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अशरफ गनी का परिवार

अशरफ गनी की पत्नी रूला साडे गनी अफगानिस्तान की प्रथम महिला रहीं हैं। वह लोकप्रियता से दूर शांत जीवन पसंद करती हैं। रूला साडे गनी एक लेबनानी ईसाई हैं। 1970 के दशक में बेरूत में अमेरिकी विश्वविद्यालय में वे गनी से मिली थीं। वह 2015 में टाइम मैगजीन की 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की सूची में थीं। अशरफ गनी के बेटे हैं। उनकी राजनीति में कोई दिलचस्पी नहीं है। वह प्रोफेसर हैं और प्रिंसटन से पोस्ट-डॉक्टरेट हैं। अशरफ गनी की बेटी मरियम एक दार्शनिक-कवि, कलाकार और फिल्म निर्माता हैं। वे अमेरिका में ही पैदा हुईं और उन्हें अमेरिका की नागरिकता हासिल है। अफगान नागरिकों को अपने भाग्य-भरोसे छोड़कर मरियम अमेरिका में आलीशान जिंदगी जी रही हैं। 31 जनवरी 1992 को जन्मे सुल्तान गनी हशमत गनी अहमदजई के बेटे हैं। वह बेहद कम उम्र में  ही राजनीति में आ गए। 

 भाई ने तालिबान से मिलाया हाथ

तालिबान को समर्थन देने वाले अशरफ गनी अहमदजई के भाई हशमत गनी अहमदजई  एक राजनेता हैं। तालिबान को समर्थन देने वाले अशरफ गनी अहमदजई के भाई हशमत गनी अहमदजई  एक राजनेता हैं। रिपोर्ट्स के अनुसार हशमत गनी ने तालिबानी नेता खलील-उर-रहमानऔर धार्मिक नेता मुफ्ती महमूद जाकिर की उपस्थिति में आतंकवादी समूह के लिए अपने समर्थन की घोषणा की है।-अभिनय आकाश

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