चीन को चित करने का प्लान, साथ आए दो बलवान, अब होगा घमासान

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अभिनय आकाश । Jul 1 2020 4:26PM

अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ऐलान किया कि अमेरिका एशिया में अपनी फौज को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। साथ ही पोम्पियो ने चीन के आक्रामक रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि हम भारत और अपने मित्र देशों को चीन से खतरे के मद्देनजर अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर रहे हैं।

सुन हमला देश के ऊपर, बंदूक उठा चल देता हूं। है मौत का गम किसको, मैं खून धरा को देता हूं! किसी भी देश की सैन्य ताकत से उसके आवाम में सुरक्षा की भावना पैदा होती है और देश की रक्षा के खातिर अपने जान की बाजी लगाना त्याग का सबसे बड़ा उदाहरण भी माना जाता है। । प्राचीन धर्म ग्रंथों तक में लिखा गया है कि 'जननी, जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी' अर्थात माता और मातृभूमि का स्थान स्वर्ग से भी बढ़कर है। आज की दुनिया में किसी देश की ताकत का अंदाजा उसकी सैन्य ताकत से लगाया जाता है। इस लिहाज जिस देश की सेना जितनी बड़ी, अत्याधुनिक और संख्याबल में बड़ी होती है, उसे दुनिया में उतना ही ताकतवर माना जाता। 
दुनिया में वर्तमान कोरोना संकट के लिए पूरी दुनिया चीन को जिम्मेदार समझ रही है और उसपर लगातार आरोप लगाए जा रहे हैं। यूरोपीय देश, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया लगातार चीन के खिलाफ जांच और कार्रवाई की बात कह रहे हैं। चीन का नजदीकी माना जाने वाला रूस भी चीन से दूरी बनाए हुए है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के निशाने पर तो चीन है ही। भारत देश का इतिहास रहा है उसने कभी पहले किसी भी देश पर आक्रमण नहीं किया है। वहीं सुपावर बनने के ख्वाब देख रहा ड्रैगन का तो ये इतिहास ही रहा है कि वो दूसरे देशों की सीमाओं में घुसपैठ कर अपने जमीन विस्तार नीति को अंजाम देना। लेकिन चीन के विस्तारवादी मंसूबों पर नकेल कसने के लिए अमेरिका ने नाकेबंदी शुरू कर दी है। 

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अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने ऐलान किया कि अमेरिका एशिया में अपनी फौज को बढ़ाने की तैयारी कर रहा है। साथ ही पोम्पियो ने चीन के आक्रामक रवैये की आलोचना करते हुए कहा कि हम भारत और अपने मित्र देशों को चीन से खतरे के मद्देनजर अपने सैनिकों की तैनाती की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने चीन को सीधे तौर पर चेतावनी देते हुए कहा कि जरूरत पड़ी तो अमेरिकी सेना चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से मुकाबला करने को तैयार है।
अमेरिका ने किसको क्या संदेश दिया?
भारत को संदेश- खुलकर प्रधानमंत्री मोदी के साथ आए। 
पाकिस्तान को संदेश- आतंकवाद के दिन गिने-चुने।
दुनिया को संदेश- भारत-अमेरिका रणनीतिक साझेदारी।
भारतीय विपक्ष को संदेश- जब ट्रंप साथ तो विपक्ष ने क्यों खड़े किए हाथ।
चीन के बढ़ते कदम को रोकने के लिए अमेरिका ने एशियाई मुल्कों में अपनी फौज तैनात करने का साफ संकेत दे दिया है। इस योजना के तहत अमेरिका जर्मनी में अपने सैनिकों की संख्या करीब 52 हजार से घटाकर 25 हजार कर रहा है। माना जा रहा है कि इन्हीं सैनिकों में कुछ टुकड़ी एशिया में तैनात होगी। हालांकि पोम्पियो का कहना है कि इसे लेकर अमेरिका सभी पक्षों से बातचीत भी करेगा। अमेरिका की काफी पहले से साउछ सी चाइना में चल रहे संघर्ष पर नजर है। हाल ही में जापान के साथ साउथ चाइना सी में साझा युद्ध अभ्यास कर अमेरिका ने साफ संकेत दे दिया था कि चीन की महत्वकांक्षा पर उसकी नजर है। अमेरिका के विदेश मंत्री ने ये ऐलान ऐसे वक्त में किया है जब वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारत और चीन के बीच तनाव अपने चरम पर है। 15 जून को गलवान घाटी में हिंसक झड़प में भारत के 20 से ज्यादा सैनिक शहीद हो गए, जबकि चीन के भी 40 से ज्यादा सैनिकों की मौत हुई थी। लेकिन चीन अब तक इसे कबूल नहीं कर रहा है।  

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कहां तैनात हो सकती है अमेरिकी सेना
सूत्रों की मानें तो अमेरिका हिन्द महासागर स्थित सैन्य ठिकाने डियोगार्शिया पर पहली बार में 9500 सैनिकों को तैनात करेगा। इसके अलावा ताइवन भी अपने यहां सेना तैनाती के लिए जगह दे सकता है। बता दें कि अमेरिका के सैन्य ठिकाने जापान, दक्षिण कोरिया, डियोगार्शिया और फिलीपींस में है।
अमेरिका यूं ही नहीं भेज रहा सेना
ये बात तो पूरी दुनिया जानती है कि अमेरिका के पास सबसे आधुनिक सेना और हथियार है। दुनियाभर के देशों की सैन्य ताकत का आंकलन करने वाली ग्लोबल फायर पॉवर इंडेक्स के अनुसार 137 देशों की सूची में आर्मी, नेवी और एयरफोर्स के मामले में अमेरिका दुनिया के बाकी देशों से बहुत आगे है। अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के अनुसार, अमेरिका के दुनिया में 800 सैन्य ठिकाने हैं। इनमें 100 से ज्यादा खाड़ी देशों में हैं। जहां 60 से 70 हजार जवान तैनात हैं।
एशिया में किन-किन देशों को चीन से खतरा
एशिया में चीन की विस्तारवादी नीतियों से भारत को सबसे ज्यादा खतरा है। इसका प्रत्यक्ष उदाहरण लद्दाख में चीनी फौज के जमावड़े से मिल रहा है। इसके अलावा चीन और जापान में भी पूर्वी चीन सागर में स्थित द्वीपों को लेकर तनाव चरम पर है। हाल में ही जापान ने एक चीनी पनडुब्बी को अपने जलक्षेत्र से खदेड़ा था। चीन कई बार ताइवान पर भी खुलेआम सेना के प्रयोग की धमकी दे चुका है। इन दिनों चीनी फाइटर जेट्स ने भी कई बार ताइवान के हवाई क्षेत्र का उल्लंघन किया है। वहीं चीन का फिलीपींस, मलेशिया, इंडोनेशिया के साथ भी विवाद है।

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एशिया में 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक
फेडरेशन ऑफ अमेरिकन साइंटिस्ट्स, इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप के आंकड़ों के मुताबिक, पूरे एशिया में चीन के चारों ओर 2 लाख से ज्यादा अमेरिकी सेना के जवान हर वक्त मुस्तैद हैं और किसी भी अप्रत्याशित हालात से निपटने में भी सक्षम हैं। वहीं चीन की घेराबंदी में अमेरिका और अधिक संख्या में एशिया में अपनी सेना को तैनाक करने की तैयारी कर रहा है। इससे विवाद और गहराने के आसार हैं। 
जापान में अमेरिका की तीनों सेना मौजूद
जापान में द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद से ही अमेरिकी सेना मौजूद है। एक अनुमान के मुताबिक यहां अमेरिकी नेवी, एयरफोर्स और आर्मी के कुल 10 बेस हैं जहां एक लाख से ज्यादा अमेरिकी सैनिक तैनात हैं। अमेरिका और जापान में हुई संधि के अनुसार इस देश की रक्षा की जिम्मेदारी यूएस की है। यहां से साउथ चाइना सी पर भी अमेरिका आसानी से नजर रख सकता है।
अफगानिस्तान में अमेरिका के 14 हजार सैनिक
अफगानिस्तान में अमेरिका के 14 हजार सैनिक मौजूद हैं। इसके अलावा यहां गठबंधन सेनाओं के आठ हजार सैनिक भी हैं जो तालिबान के खिलाफ अक्सर कार्रवाईयों को अंजाम देते रहते हैं। हालांकि अमेरिका ने हाल के दिनों में अफगानिस्तान में तैनाक अपने सैनिकों की जानकारी नहीं दी है। अमेरिकी सैनिक बड़े पैमाने पर अफगानिस्तान की सेना को ट्रेनिंग भी दे रहे हैं।
इन देशों में भी अमेरिकी सेना तैनात
सिंगापुर
एसेसन द्वीप
कजाखिस्तान
भारत को हथियार उपलब्ध कराएगा इजरायल, फ्रांस और अमेरिका
भारत और चीन तनाव के बीच केंद्र सरकार ने सीमा पर हथियार और सैनिकों की तादाद बढ़ा दी है। वहीं भारत को रक्षा क्षेत्र में मजबूत करने और चीन को धूल चटाने के लिए दुनिया के कई देशों ने सरकार को सहयोग करने की पेशकश की है, जिसके बाद माना जा रहा है कि जल्द ही भारत को अमेरिका, फ्रांस और इजरायल से अत्याधुनिक हथियार मिल सकते हैं, जिससे सीमा पर चीन के मंसूबों को ध्वस्त किया जा सके। इकॉनोमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार रक्षा मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारत में जल्द ही फ्रांस और इजरायल से फाइटर विमान आएंगे। इसके अलावा सरकार ने आयुध के आपूर्ति को स्टॉक करने में जुटी है, जिससे किसी भी तरह के खतरे से निबटा जा सके। बताया जा रहा है कि सरकार जल्द ही 7560 करोड़ का रक्षा सौदा कर सकती है। अत्याधुनिक राफेल फाइटर जेट्स का पहला सेट संभवत: 27 जुलाई तक भारत पहुंचने की उम्मीद है। भारत के प्रमुख रक्षा आपूर्तिकर्ता इजराइल (जिसने कारगिल युद्ध के दौरान भी एक विश्वसनीय भागीदार के रूप में अपनी प्रतिबद्धता को दिखाया था) से एक बहुत आवश्यक वायु रक्षा प्रणाली प्रदान करने की उम्मीद है जिसे सीमा पर तैनात किया जाएगा।

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भारत ने तैनात किया आईबीजी- चीनी सीमा पर तनातनी के बीच सरकार ने लद्दाख (वास्तविक नियंत्रण रेखा) पर आईबीजी की तैनाती की है। बताया जा रहा है कि भारतीय सेना का इंटीग्रेटेड बैटल ग्रुप (आइबीजी) आदेश के 12 घंटे के भीतर ही दुश्मन को घर में घुसकर ढेर कर देगा। यह इसकी विशेष दक्षता में शामिल है। प्रतिरक्षा हो या आक्रमण, युद्ध जैसी किसी भी स्थिति से तुरंत निबटने में यह दस्ता हर क्षण तत्पर रहता है।
राफेल की सीमा पर हो सकती है तैनाती- बताया जा रहा है कि सुखोई के बाद सरकार चीन सीमा पर राफेल फाइटर प्लेन की भी तैनाती कर सकती है। राफेल फाइटर प्लेन हवा में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर माना जाता है।
कल तक युद्ध के लिए फड़फड़ा रहे ड्रैगन ने अमेरिकी सेना की तैनाती की खबरों के बाद चुप्पी साध ली। अमेरिकी जंगी बेड़ा समुद्र में खड़ा है उस ताईवान के पास जहां चीन ने सुपरपावर को नो एंट्री का बोर्ड दिखाया है। अब गेंद जिनपिंग के पाले में है और उन्हें तय करना है कि वो युद्ध चाहते हैं या फिर शांति। जिनपिंग जो चाहेंगे होगा वही। और उम्मीद तो ये कि जानी चाहिए कि फौजी तानाशाह खुदकुशी नहीं चुनेंगे। क्योंकि भारत-अमेरिका जैसे दो बलवानों की जोड़ी से युद्ध करने का मतलब तो यही होगा।

-अभिनय आकाश

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