Aurangzeb Incarnation: जिस औरंगजेब को लेकर महाराष्ट्र में मचा बवाल, उसकी कहानी जान लीजिए

महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी भी आती है। जिसके बाद इतिहासकारों का भी काम बढ़ जाता है कि ये औरंगजेब के नाम को लेकर तीन सदियां बीतने के बाद भी बवाल थम क्यों नहीं रहा। बाबर जिसके नाम के यहां पर एक मुगल सल्तनत शुरू हुई।
हमारे देश में इतिहास को लेकर नए सिरे से दिलचस्पी पैदा हो गई है या पैदा की जा रही है। जिसका जैसा मत उसकी वैसी व्याख्या। इसके इर्द-गिर्द सियासत, राजनीति व अस्तित्व की पहचान है। कैसे एक सोशल मीडिया पोस्ट लॉ एंड ऑर्डर का सबब बन जाती है। कोल्हापुर में कानून व्यवस्था बिगड़ जाती है। महाराष्ट्र की राजनीतिक पार्टियों की बयानबाजी भी आती है। जिसके बाद इतिहासकारों का भी काम बढ़ जाता है कि ये औरंगजेब के नाम को लेकर तीन सदियां बीतने के बाद भी बवाल थम क्यों नहीं रहा। बाबर जिसके नाम के यहां पर एक मुगल सल्तनत शुरू हुई। उसके पोते का पोता जिसके दौर में मुगलिया सल्तनत सबसे ज्यादा बड़ी थी। वो कितना क्रूर था, कितना खूंखार था, इससे कितनी कहानियां जुड़ी हैं। क्यों वो मध्यकाल के सबसे बड़े खलनायक के तौर पर पेश किया जाता है।
कोल्हापुर में क्यों हो गया बवाल
जगह कोल्हापुर का छत्रपति शिवाजी महाराज चौक, वक्त सुबह के 10 बजे देखते ही देखते हिन्दू संगठनों का औरंगजेब के खिलाफ सबसे बड़ा विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। हालात बेकाबू होता देख पुलिस को बल प्रयोग भी करना पड़ा। प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस से छोड़ने के साथ ही लाठीचार्ज भी किया गया। पूरा विवाद तीन नाबालिग लड़कों के व्हाट्सअप स्टेटस से शुरू हुआ था। तीन नाबालिग लड़कों ने औरंगजेब पर रील बनाई और सोशल मीडिया पर डाल दिया। इसके बाद हिन्दू संगठनों ने बंद का आह्वान किया। बवाल बढ़ा और पुलिस ने लाठियां भांजी।
राजनीतिक बयानबाजी
सूबे के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पूरी घटना को लेकर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के कुछ जिलों में औरंगजेब की औलादें पैदा हुई हैं। वे औरंगजेब की फोटो दिखाते, रखते और स्टेटस लगाते हैं। इस कारण समाज में दुर्भावना और तनाव पैदा हो रहा है। सवाल यह है कि अचानक औरंगजेब की इतनी औलादें कहां से पैदा हो गई हैं। इसका असली मालिक कौन है वह हम ढूंढेंगे। विपक्षी दलों की ओर से भी इस घटना पर प्रतिक्रिया आई। अपने संपादकीय में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी ने कहा कि भाजपा पिछले महीने कर्नाटक में भगवान हनुमान की गदा लहराने के बावजूद विधानसभा चुनाव हार गई और इसलिए, पार्टी को महाराष्ट्र में औरंगजेब की जरूरत है। एनसीपी ने भी राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर सवाल उठाए।
ऐसा बादशाह जिसे भारतीयों ने कभी स्वीकार नहीं किया
इतिहास का जिक्र होता है तो औरंगजेब और उसकी क्रूरता के किस्सों का जिक्र भी अक्सर होता है। भारत में कई राजा हुए और इन राजाओं के बीच कई भयंकर युद्ध भी हुए। अक्सर यही होता था कि एक ताकतवर सेना कमजोर सेना को हरा देती थी। औरंगजेब छठा मुगल शासक था। वो एकलौता ऐसा बादशाह था जिसे भारतीयों ने कभी स्वीकार नहीं किया था। औरंगजेब ने सत्ता पाने के लिए अपने पिता शाहजहां को जेल में बंद करवा दिया। इसके बाद औरंगजेब ने अपने आई दारा शिकोह को देशद्रोह के आरोप में सूली पर चढ़ा दिया। दूसरे भाई मुराद को भी विष देकर मरवा दिया। उसने परिवार के कई लोगों की हत्या करके राजगद्दी हासिल की। औरंगजेब का केवल एक लक्ष्य था कि वो पूरे भारत पर राज करे। उसने कई छोटे बड़े राज्यों का दमन किया।
अय्याशी के मामले में भी था नं 1
सादगी का दिखावा करने वाला औरंगजेब असल मेंअव्वल दर्जे का अय्याश था। उसने अपने शासन काल में क्रूरता की हद कर दी थी। उसने हिन्दू औरतों पर बहुत अत्याचार किए। उसकी अय्याशी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 1669 में जब उसने मंदिर को गिराने का आदेश दिया था तब कई हिंदु मारे भी गए थे। उसने यह आदेश भी दिया था कि उनकी पत्नियां अपनी। इज्जत बचाने के लिए आत्महत्या ना कर सके।
अपने भाई का सिर कलम करवा दिया
औरंगजेब के क्रूर शासक की छवि इसलिए भी बनी कि उसने सत्ता पाने के लिए अपने ही भाईयों का कत्ल करवा दिया। शाहजहां के चार बेटे थे। दारा शिकोह, शाह शुजा, औरंगजेब, मुराद बख्श। शाहजहां अपने बड़े बेटे दारा शिकोह को अपनी गद्दी सौंपना चाहता था। दारा शिकोह की खूबियों की वजह से पिता शाहजहां उन्हें बेहद पसंद किया करते थे। लेकिन दारा शिकोह के भाई औरंगजेब को ये कतई मंजूर नहीं था। औरंगजेब ने अपने भाई मुराद बख्श के साथ मिलकर दारा शिकोह को मौत की सजा देकर जबरन बादशाह बन गया। औरंगजेब ने जब साल 1659 में एक भरोसेमंद सिपाही के जरिए दारा शिकोह कलम करवा दिया था तब सिर आगरा में दफ्नाया गया था और धड़ को दिल्ली में।
संभाजी महाराज की निर्मम हत्या
ये उस समय की बात है जब औरंगजेब की दक्षिण भारत को जीतने की महत्वकांक्षा हिलोरें मार रही थी। करीब 3 लाख सैनिकों की भारी सेना को लेकर वो बुरहानपुर में डेरा डाल कर बैठा हुआ था। शिवाजी की मृत्यु के बाद उत्साहित मुगल बादशाह औरंगजेब को लगता है कि मराठों को हराने का इससे बढ़िया मौका नहीं मिलेगा। उस दौर में सारे षड़यंत्रों से लड़ते हुए आखिरकार शिवाजी के पुत्र सांभाजी महाराज ने मराठा साम्राज्य पर काबिज होने में सफलता पाई थी। लगातार आठ साल तक लड़ने के बावजूद औरंगजेब मराठों के गौरव रायगढ़ सहित उनके सैकड़ों किलों का कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। इससे वह इतना ज्यादा निराश होता है कि मराठों को घुटने टेकने पर मजबूर करने तक अपने सिर के ताज को त्यागने का प्रण ले लेता है। संभाजी से नाराज उनका साला गनोजी शिर्के धोखे से अपने जीजा को मुगलों के हवाले कर देता हैं। उन्हें बंधक बनाकर औरंगजेब के सामने पेश किया जाता है। उन्हें कई दिन तक अमानवीय यातनाएं दी जाती हैं। सबसे पहले तो संभाजी महाराज की जीभ काट कर उन्हें रात भर तड़पने के लिए छोड़ दिया गया। फिर लोहे की गर्म सलाखें घोपकर उनकी आंखें तक निकाल ली जाती हैं, लेकिन वे मुगलों के सामने घुटने नहीं टेकेते हैं।
कैसे हुआ क्रूर शासक का अंत
क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने जीवन भर हिंसा की। उसकी मौत 3 मार्च 1707 को महाराष्ट्र के अहमदनगर में हुई थी। औरंगाबाद में ही उसकी कब्र बनाई गई। महाराष्ट्र सरकार ने इसी औरंगाबाद का नाम बदलकर छत्रपति संभाजीनगर किया।
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