NSA डोभाल की अगुवाई में हुई प्लानिंग और बन गयी सहमति, जानें पाक के साथ बैक-डोर डिप्लोमेसी की कहानी
चीन के बाद पाकिस्तान के साथ शांति की एक पहल दिखाई दे रही है। ये साउथ ईस्ट एशिया ही नहीं बल्कि एशिया पेसेफिक के लिए भी बड़ी बात है। लेकिन क्या हो गया आखिर ऐसा कि दोनों देशों के बीच इतनी आसानी से सहमति बन गई।
भारत और पाकिस्तान नियंत्रण रेखा पर गोलीबारी नहीं करने पर राजी हो गए हैं। दोनों देशों के बीच साल 2003 का युद्ध विराम समझौता अब सख्ती के साथ लागू होगा। दोनों देशों के डीजीएमओ के बीच बात हुई और युद्ध विराम पर नए सिरे से सहमति बनी। युद्ध विराम का समझौता दोनों देश मानेंगे। चीन के बाद पाकिस्तान के साथ शांति की एक पहल दिखाई दे रही है। ये साउथ ईस्ट एशिया ही नहीं बल्कि एशिया पेसेफिक के लिए भी बड़ी बात है। लेकिन क्या हो गया आखिर ऐसा कि दोनों देशों के बीच इतनी आसानी से सहमति बन गई। एक रिपोर्ट की मानें तो इस्लामाबाद में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और उनके समकक्ष ने सीमाओं पर शांति सुनिश्चित करने के लिए बैक-चैनल बातचीत करने के एक महीने बाद भारत और पाकिस्तान के सैन्य संचालन महानिदेशकों के बीच बैठक में संघर्षविराम को लेकर फैसला किया गया है। हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार एनएसए डोभाल और पाकिस्तानी प्रधानमंत्री के नेशनल सिक्योरिटी डिविजन के स्पेशल असिस्टेंट मोईद सईद सीधे या फिर इंटेलिजेंस के वार्ताकारों के माध्यम से संपर्क में रहे हैं। दोनों देशों के डीएमआरओ के संयुक्त बयान इन वार्तालापों का पहला परिणाम है जिसमें किसी तीसरे देश में कम से कम आमने-सामने की बैठक भी शामिल थी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और विदेश मंत्री एस जयशंकर सहित सरकार के शीर्ष नेताओं को ही केवल इस बात की जानकारी थी। पहला संकेत जो कि बैक-चैनल वार्ता के ट्रैक पर होने का पहला संकेत इस महीने की शुरुआत में आया था, 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल क़मर जावेद बाजवा ने भारत के खिलाफ अपने कड़े बोल जारी रखे थे। लेकिन अचानक से 2 फरवीर को जनरल बाजवा ने भारत के साथ शांति का राग छेड़ दिया। जनरल बाजवा ने कहा कि पाकिस्तान और भारत को कश्मीर मुद्दे को गरिमापूर्ण और शांतिपूर्ण तरीके से हल करना चाहिए। इसके साथ ही हाल के हफ्तों में जम्मू और कश्मीर में सीमा पर संघर्ष विराम उल्लंघन में कमी आई है।
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जिसके बाद ये समझौता सामने आया। दोनों देशों की सेना के एक संयुक्त बयान में कहा गया है कि दोनों ही पक्ष नियंत्रण रेखा और दूसरे सेक्टर्स में सभी समझौतों, आपसी समझ और संघर्ष विराम का 24-25 फरवरी की मध्यरात्रि से सख्ती से पालन करेंगे। भारत और पाकिस्तान के डॉयरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस (डीजीएमओ) के बीच 2003 के बीच भी सीजफायर को लेकर सहमचि बनी थी। साल 2018 में इसी तरह के समझौते पर हस्ताक्षर किए गए। इस समझौते की बड़ी बातें आपको बताते हैं।
पाकिस्तान और भारत नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम, सभी समझौते, सहमति का कड़ाई से पालन करने और मौजूदा व्यवस्था के जरिए किसी भी ‘‘अप्रत्याशित स्थिति का समाधान करने या गलतफहमी को दूर करने’’ पर राजी हुए हैं।
दोनों पक्ष बुधवार मध्यरात्रि से सभी समझौते, सहमति और एलओसी तथा अन्य क्षेत्रों में संघर्षविराम का कड़ाई से पालन करने पर सहमत हुए।
दोनों पक्ष ने दोहराया कि ‘‘किसी भी अप्रत्याशित स्थिति से निपटने या गलतफहमी दूर करने के लिए’’ हॉटलाइन संपर्क और ‘फ्लैग मीटिंग’ व्यवस्था का इस्तेमाल किया जाएगा।
‘डॉन’ अखबार ने पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता मेजर जनरल बाबर इफ्तिखार के हवाले से कहा है, ‘‘1987 से ही भारत और पाकिस्तान के बीच हॉटलाइन स्तर पर संपर्क हो रहा है। इस स्थापित तंत्र के जरिए दोनों देशों के डीजीएमओ संपर्क में रहते हैं।’’
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अब एलओसी पर नहीं चलेगी गोली
- पिछले साल पाकिस्तान ने 5133 बार युद्ध विराम का उल्लंघन किया था।
- पिछले वर्ष पाकिस्तानी गोलीबारी में 21 नागरिकों की मौत हुई थी।
- पिछले वर्ष की पाकिस्तानी गोलीबारी में 71 नागरिक घायल हुए थे।
- 2020 से सीमा पार से गोलीबारी में सुरक्षाबलों के 24 जवान शहीद हुए।
- 2020 में सीमा पार से गोलीबारी में 126 जवान घायल हुए।
जम्मू कश्मीर में सीजफायर उल्लंघन
2018 2019 2020
2140 3479 5133
2003 में मुशर्रफ और वाजपेयी के बीच हुआ था समझौता
90 के दशक में कश्मीर आतंकवाद के दौर से गुजर रहा था और पाकिस्तान इसका खुलकर समर्थन भी कर रहा था। पीओके और भारतीय सीमा से सटे पाकिस्तानी इलाकों में पाक सेना खुद आतंकियों के ट्रेनिंग कैंप चला रही थी। इसी दौरान भारत और पाक सेनाओं के बीच लगातार संघर्ष विराम उल्लंघन की घटनाएं सामने आ रही थी। साल 2002 का दौर था भारत और पाकिस्तान कारगिल के बाद एक और जंग की ओर बढ़ रहे थे। इसकी वजह थी दिसंबर 2001 में भारतीय संसद पर हमला। भारत ने पाकिस्तान की इंटेलीजेंस एजेंसी आईएसआई पर हमले की साजिश का आरोप लगाया था। जुलाई 2001 में अटल बिहारी वाजपेयी और परवेज मुशर्रफ आगरा सम्मेलन के दौरान मिले। इस सम्मेलन के बाद दोनों देशों के बीच तनाव में कुछ कमी देखने को मिली। आगरा समिट के बाद हुए संसद हमले के बावजूद अटल बिहारी वाजपेयी की पहल के बाद भारत और पाकिस्तान ने साल 2003 में एलओसी पर एक औपचारिक युद्धविराम का ऐलान किया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 25 नवंबर 2003 की आधी रात से युद्धविराम लागू हुआ था। हालांकि सीजफायर की इन बढ़ती घटनाओं के बीच बीते 5 सालों में इसका कोई खास महत्व नहीं रह गया था। 25 नवंबर 2003 की आधी रात से भारत और पाकिस्तान के बीच लागू हुए युद्धविराम का मकसद एलओसी पर 90 के दशक से जारी गोलीबारी को बंद करना था। ये समझौता 450 मील लंबी एलओसी, इंटरनेशनल बॉर्डर और सियाचिन ग्लेशियर पर भी लागू हुआ। इस समझौते से दो दिन पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मीर जफरुल्ला खान जमाली ने ईद के मौके पर युद्ध विराम की पेशकश की थी। युद्ध विराम के बाद ईद की मिठाईयां भी बांटी गई थी। नवंबर 2003 में वाजपेयी की पहल पर भारत ने जो सीबीएम पेश किए थे उनमें हवाई, रेल और समुद्री संपर्क के अलावा खेल-कूद संबंध जिनमें क्रिकेट श्रृंखला भी शामिल थे। दिल्ली और लाहौर के बीच ज्यादा बसें और श्रीनगर से पीओके की राजधानी मुजफ्फराबाद तक बस सेवा शुरू करना शामिल था। जनवरी 2004 को अटल बिहारी वाजपेयी सार्क की बैठक के लिए पाकिस्तान गए और दोनों देशों ने मिलकर एक साझा बयान भी जारी किया था। लेकिन पाकिस्तान की तरफ से लगातार इसका उल्लंघन होता रहा। अब एक बार फिर से बातचीत के बाद ये ठोस सहमति बनी है।
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चीन से पेंगोंग पर समझौता
भारत और चीन के बीच एलएसी पर चले आ रहे गतिरोध के बाद बीते दिनों पेंगोंगे लेकर को लेकर सहमति बन गई। चीन की सेनाों पिछले साल की स्थिति में लौट गई। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में इस समझौते का ऐलान करते हुए कहा था कि दुनिया जान चुकी है कि हथियार की भाषा अब नहीं चलेगी। पेंगोंग में समझौते के बाद रिचीन ला और बाकी पोस्ट्स को लेकर भी भारत और चीन के सैन्य कमांडर्स के बीच बातचीत हो रही है ताकि सेनाओं को पिछले साल के हालात में लौटाया जा सके और तनाव कम किया जा सके।
घुसपैठ से बाज आएगा पाकिस्तान
डीजीएमओ लेवल की बातचीत के बावजूद भारत को सीमा पर चौकन्ना रहना होगा क्योंकि पीठ में खंजर घोपने और धोखबाजी की पाकिस्तान की पुरानी आदत है। अब भारत के सामने सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या छल और धोखे के अपने पुराने इतिहास को क्या पाकिस्तान फिर दोहराएगा?- अभिनय आकाश
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