क्या है 227 करोड़ के हीरे की कहानी, जिसके लिए कोर्ट तक पहुंच गई कतर की रॉयल फैमिली

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अभिनय आकाश । Feb 15 2025 3:40PM

परिवार के दो सदस्यों के बीच कीमती हीरे को लेकर जंग छिड़ गई है और ये इतनी बड़ी हो गई कि मामला लंदन के हाई कोर्ट तक पहुंच गया। कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी के चचेरे भाई हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी एक मशहूर आर्ट कलेक्टर हैं।

परिवारों में प्रॉपर्टी हो या मां और दादी के गहने बंटवारे को लेकर झगड़े होते ही होते हैं। भारत में तो इस तरह के झगड़े हर परिवार कमोबेश देखे गए हैं। ऐसा नहीं है कि ये सबकुछ मीडिल क्लास फैमिली में देखे गए हो। ऐसे झगड़े रजवारे-परिवारों में भी देखने को खूब मिले हैं। राजस्थान का जयपुर घराना हो या फिर ग्वालियर घरानों की बात हो प्रॉपर्टी को लेकर परिवारों में खूब झगड़ा हुआ है तो मामला कोर्ट तक पहुंचा है। लेकिन आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये प्रॉपर्टी के झगड़े सिर्फ हमारे देश के घरानों में ही नहीं होते। बल्कि ये विदेशों और मीडिल ईस्ट के परिवारों में भी देखने को मिल रहा है। ऐसा ही एक मामला कतर के शाही खानदान का सामने आया है। कतर के शाही परिवार के शानों शौकत से हर कोई वाकिफ है। रईसी, ठाठ-बाट और रॉयटी यहीं से शुरू होती है। लेकिन अब इल परिवार से एक बड़ी खबर सामने आई है। परिवार के दो सदस्यों के बीच कीमती हीरे को लेकर जंग छिड़ गई है और ये इतनी बड़ी हो गई कि मामला लंदन के हाई कोर्ट तक पहुंच गया। कतर के शासक शेख तमीम बिन हमद अल थानी के चचेरे भाई हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी एक मशहूर आर्ट कलेक्टर हैं। उनके पास दुनियाभर की कई कीमती और दुर्लभ चीजें हैं। जो और किसी के पास नहीं है। जिनकी कीमत हमारी सोच से परे है। इन चीजों में से एक खास हीरा है जिसका नाम आईडल आई डायमंड है। इस हीरे को लेकर शाही परिवार में भी विवाद हो गया है और ये झगड़ा इस हीरे की कीमत और उसे बेचने की सही दाम को लेकर है। 

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हीरे के पीछे शाही परिवारों में लड़ाई

ये हीरा कोई आम हीरा नहीं है और जाहिर सी बात है कि जब इसे लेकर शेख के बीच झगड़ा हो सकता है तो इसमें कुछ तो खास बात होगी। शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी की कंपनी क्यूआईपीसीओ है और इसी कंपनी के पास ये हीरा है। इस हीरे की कीमत लाखों डॉलर में है। ये हीरा 70 कैरेट का है। आईडल हीरा पहले शेख सऊद ने शेख हमद को उधार दिया था। शेख सऊद 1957 से 2005 तक कतर के संस्कृति मंत्री रहे थे। वो एक प्रसिद्ध आर्ट कलेक्टर भी थे। शेख सऊद ने ये हीरा 2000 के दशक के शुरुआती सालों में खरीदा था। फिर जब शेख सऊद ने ये हीरा शेख हमद को उधार दिया तो समझौता किया गया था कि अगर शेख सऊद का परिवार चाहे तो शेख हमद की कंपनी क्यूआईपीसीओ से ये हीरा खरीद सकती है। यानी दोनों परिवारों के बीच एक डील साइन हो चुकी थी। 

70 कैरेट के आईडियल आई के लिए कोर्ट पहुंचा शाही परिवार

समझौते के अनुसार, Qipco को हीरा खरीदने का विकल्प दिया गया था, बशर्ते उसे शेख सऊद के रिश्तेदारों से जुड़ी कंपनी एलानस होल्डिंग्स से सहमति प्राप्त हुई हो। एलानस होल्डिंग्स को अंततः लिकटेंस्टीन स्थित इकाई अल थानी फाउंडेशन द्वारा नियंत्रित किया जाता है, जिसके लाभार्थियों में शेख सऊद की विधवा और तीन बच्चे शामिल हैं। 2023 में परिवार के चचेरे भाई और एक कला संग्राहक शेख हमद बिन अब्दुल्ला अल थानी ने हीरे के स्वामित्व पर उच्च न्यायालय में कानूनी कार्यवाही शुरू की। उन्होंने दावा किया कि वह अपनी निवेश फर्म, Qipco के माध्यम से £7.8 मिलियन में रत्न खरीदने के हकदार हैं। यह विवाद 2020 में महामारी के दौरान हीरा बेचने के लिए की गई एक कथित पेशकश के बाद शुरू हुआ।ष हालांकि, एलानस के कानूनी प्रतिनिधियों का तर्क है कि यह पेशकश गलती से की गई थी और यह केवल परिवार के एक सदस्य द्वारा रुचि की अभिव्यक्ति थी। अदालत ने सुना कि दिवंगत शेख सऊद के बेटे शेख हमद बिन सऊद अल-थानी कथित तौर पर संपत्ति निवेश के वित्तपोषण के लिए हीरा बेचने में रुचि रखते थे। हालाँकि, द टेलीग्राफ यूके की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कोई भी प्रतिबद्धता करने से पहले अपनी माँ या भाई-बहनों से सलाह नहीं ली। क्रिप्को की कानूनी टीम के अनुसार, हीरे को हासिल करने की प्रक्रिया फरवरी 2020 में शुरू की गई थी जब Elanus के स्विस सॉलिसिटर ने Elanus और Qipco के बीच ऋण समझौते का संदर्भ देते हुए एक पत्र जारी किया था। कंपनी का तर्क है कि उसे बिक्री का आश्वासन दिया गया था और उसने खरीद प्रक्रिया शुरू कर दी थी। हालाँकि, अल थानी परिवार बाद में इस सौदे से पीछे हट गया, क्यूप्को के अनुसार, समझौते की शर्तों के तहत वे कानूनी रूप से ऐसा करने के हकदार नहीं थे। 

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कोर्ट ने क्या कहा

न्यायाधीश साइमन बर्ट ने बेशकीमती रत्न हासिल करने के क़िप्को के दावे के खिलाफ फैसला सुनाया है, और निवेश फर्म के इस तर्क को खारिज कर दिया है कि उसे इसे खरीदने का अधिकार था। उन्होंने कहा कि शेख हमद बिन सऊद अल-थानी केवल संभावित बिक्री की तलाश करने के इच्छुक थे, लेकिन उन्होंने इसके साथ आगे बढ़ने के लिए कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया था। न्यायाधीश ने आगे कहा कि यह "बहुत स्पष्ट" था कि परिवार के अन्य सदस्य हीरा बेचने के विरोध में थे। उन्होंने कहा, भले ही एक सदस्य ने बेचने की इच्छा व्यक्त की हो, उनके विचार का श्रेय एलानस होल्डिंग्स को नहीं दिया जा सकता, जो कि कानूनी तौर पर रत्न का मालिक है। न्यायाधीश ने कहा, "यह स्पष्ट है कि शेख हमद बिन सऊद अल-थानी के पास हीरे से निपटने या बेचने के लिए अपने परिवार में से किसी को भी वास्तविक अधिकार नहीं था, चाहे वह हीरे के संबंध में सामान्य प्राधिकारी या विशिष्ट प्राधिकारी के माध्यम से हो। उन्होंने निष्कर्ष निकाला, उनकी 'बेचने की इच्छा' नहीं थी... अगर उन्होंने ऐसा किया भी, तो इसे साझा नहीं किया गया और इसका श्रेय परिवार को नहीं दिया जा सकता या फाउंडेशन को नहीं दिया जा सकता। 

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