DMK बेचैन, AIADMK परेशान, द्रविड़ पार्टियों के अभेद्य किले की दरार से झांकता मोदी का सिंघम, तमिल राजनीति के अंडर करंट को इस रिपोर्ट से समझें

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अभिनय आकाश । Mar 1 2024 1:54PM

एक पूर्व आईपीएस जमीनी स्तर पर बीजेपी को एक बड़ी ताकत बनाने के मिशन में लगे हैं। जब भी किसी फील्ड में नए प्लेयर की चर्चा होती है तो कुछ कर गुजरने का जुनून, मजबूत होने का संकेत और प्रत्याशा की गहरी भावन छुपी होती है। यह पहली बार है कि अभेद्य किले जिसे 1967 से द्रविड़ पार्टियों ने बनाया, पोषित और कायम रखा है, उसमें एक छोटी सी दरार महसूस हो रही है।

वो बोलता है तो हिंदुत्व की छवि दिखती है। दहाड़ता है तो विरोधियों के होश उड़ जाते हैं। उसे गुस्सा आता है तो पूछिए ही मत। कोई सिंघम बुलाता है तो कोई साउथ के फायरब्रांड छवि वाला योगी कहता है। इस्तीफा दिया, वर्दी उतारी और राजनीति में ली एंट्री। कांटो भरी राह पर चलते हुए कमल का फूल खिलाने का संकल्प ले लिया। तमिलनाडु वैसे तो दक्षिण भारत का सबसे महत्वपूर्ण राज्य है। एक ऐसा राज्य जहां बीजेपी का राज कभी नहीं रहा है। कांग्रेस की विदाई भी काफी पहले ही हो चुकी है। दो क्षत्रपों ने तीन दशक से अधिक समय तक राष्ट्रीय पार्टियों को तमिलनाडु की राजनीति से बाहर रखा। करुणानिधि और जयललिता अब दोनों ही इस दुनिया में नहीं है। वहीं एक पूर्व आईपीएस जमीनी स्तर पर बीजेपी को एक बड़ी ताकत बनाने के मिशन में लगे हैं। जब भी किसी फील्ड में नए प्लेयर की चर्चा होती है तो कुछ कर गुजरने का जुनून, मजबूत होने का संकेत और प्रत्याशा की गहरी भावन छुपी होती है। यह पहली बार है कि अभेद्य किले जिसे 1967 से द्रविड़ पार्टियों ने बनाया, पोषित और कायम रखा है, उसमें एक छोटी सी दरार महसूस हो रही है।

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असंभव मिशन को पूरा करने का जिम्मा लिया

हम भाजपा (भारतीय जनता पार्टी) की तमिलनाडु इकाई के अध्यक्ष के अन्नामलाई के बारे में चर्चा कर रहे हैं, एक ऐसे व्यक्ति के पास अपनी पार्टी को राज्य में एक ताकत बनाने के लिए एक असंभव मिशन है। बहुत ही साधारण पृष्ठभूमि से आने वाले व्यक्ति, अन्नामलाई एक पूर्व आईपीएस (भारतीय पुलिस सेवा) अधिकारी हैं, जिन्होंने भाजपा में शामिल होने का रास्ता चुना।  उन्होंने दो द्रविड़ पार्टियों के एकाधिकार और कथित कुशासन के खिलाफ इतना आक्रामक अभियान चलाया है कि एनडीए (राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन) के एक साथी अन्नाद्रमुक (अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) ने अन्नामलाई को दोषी ठहराते हुए भाजपा से नाता तोड़ लिया। निडर होकर 39 वर्षीय पूर्व पुलिस अधिकारी ने पांच महीने लंबी संपूर्ण तमिलनाडु यात्रा शुरू की। 27 फरवरी को वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मंच साझा किया। 

क्यों कहा जाता है सिंघम

26 जुलाई 2016 की बात है। कर्नाटक के उड्डपी जिले के पुलिस मुख्यालय के बाहर आम लोग प्रदर्शन कर रहे थे। खूब भीड़ थी। पुलिस मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। लेकिन लोगों का ये प्रदर्शन वहां के एसपी अन्नामलाई कोप्पास्वामी के समर्थन और उनके तबादले के विरोध में था। लेकिन अगर ऐसा एक बार हुआ होता तो की बड़ी बात नहीं थी। 16 अक्टूबर 2018 को कर्नाटक के चिकमंगलूर जिले के पुलिस मुख्यालय के बाहर भी ऐसा ही प्रदर्शन हुआ। इस बार भी इसी एसपी के समर्थन और तबादले का मुद्दा था। लोगों का कहना था कि ऐसा ईमानदार अफसर मिलना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। अन्नामलाई को लेकर कहना है कि वो जहां भी जाते हैं लोगों के चहेते बन जाते हैं। 

यात्रा से तमिलनाडु की राजनीति में अंडर करंट

तमिलनाडु बीजेपी के अध्यक्ष के अन्नामलाई की पदयात्रा को पिछले वर्ष जुलाई में जब गृह मंत्री अमित शाह ने रामेश्नरम में हरी झंडी दिखाई थी तो दिल्ली में बैठे कई विश्लेषकों को लगा भी नहीं होगा कि इससे प्रदेश में पिछले सात दशकों से हावी द्रविड़ राजनीति पर कोई प्रभाव पड़ेगा। मीडिया की तरफ से भले ही एनमनएन मक्कल को उतनी कवरेज न मिली हो लेकिन फिर भी इसकी वजह से बीजेपी राज्य की राजनीति में एक ताकत के रूप में मजबूती से उभर कर सामने आई है, जिसका अंडर करंट महसूस किया जा सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 27 फरवरी को तमिलनाडु के दौरे पर थे। इस दौरान उन्होंने तिरुपुर में सभा को संबोधित किया। 27 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शामिल होने के साथ 103 दिन पुरानी यात्रा समाप्त हो गई। 

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विरोधी हो गए परेशान

प्रभावी रूप से मोदी और अन्नामलाई दोनों तमिलनाडु के लिए भाजपा के लोकसभा अभियान की शुरुआत कर दी। हालांकि कुछ पर्यवेक्षकों का कहना है कि अन्नामलाई मोदी की तरह वैसे भी साल भर प्रचार करते हैं। द्रमुक (द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) और अन्नाद्रमुक के पास संयुक्त रूप से लगभग 50 प्रतिशत का कोर वोट है। फिर कई छोटी-छोटी जाति-आधारित पार्टियाँ हैं। तमिलनाडु में अभी भी मतदाताओं का एक बड़ा हिस्सा स्वतंत्र है। वे अन्नामलाई को राज्य में राजनीति के भविष्य के रूप में देख रहे हैं। अन्नामलाई उस तरीके और भाषा में बात करते हैं जिसे आम तमिल लोग समझते हैं और पहचानते हैं। इसके अलावा, दोनों प्रमुख पार्टियों को फैक्ट-फीगर के साथ घेरना विरोधियों की मुश्किलें बढ़ा रहा है।

तमिलनाडु में बीजेपी की राह कितनी आसान

2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा का वोट शेयर लगभग 3.5 प्रतिशत था जबकि 2014 में यह 19 प्रतिशत के करीब था। भाजपा ने लगभग 2014 के सभी सीटों की तुलना में 2019 में सिर्फ पांच सीटों पर चुनाव लड़ा था। वैसे तो कहा जा रहा है कि इस बार अन्नामलाई से किसी चमत्कार की उम्मीद नहीं है। इसके जरिए भाजपा 15 प्रतिशत वोट शेयर के आंकड़े को पार कर जाएगी ताकि अन्नामलाई भविष्य के विकास की नींव रख सकें। अन्नामलाई की उम्र पर गौर करें तो वह युवा हैं और तमिलनाडु की राजनीति में उनके आगे अपार संभावनाएं हैं।  

कम्युनिकेशन का मोदी मॉडल

अन्नामलाई ने कम्युनिकेशन के नरेंद्र मोदी मॉडल को अपनाया है। 2002 के गुजरात दंगों के बाद वर्षों तक मुख्यधारा मीडिया द्वारा निशाने पर रहे मोदी मतदाताओं से सीधे संवाद करने के लिए सोशल मीडिया का उपयोग करने वाले फ्रंटलाइन राजनेताओं में से एक थे। ऐसा लगता है कि अन्नामलाई कुछ हद तक सफलता के साथ तमिलनाडु में भी ऐसा ही कर रहे हैं। इसमें कोई शक नहीं कि 39 वर्षीय नेता सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय हैं। तमिलनाडु भारत के उन दुर्लभ राज्यों में से एक है जहां सी वोटर सर्वेक्षण राहुल गांधी को मोदी से अधिक लोकप्रिय बताते हैं।

तमिलनाडु में बड़ा वोट बैंक विकल्प की तलाश में 

के अन्नामलाई 2021 में भाजपा में शामिल हुए और पार्टी के अध्यक्ष बने। उन्हें राष्ट्रीय स्तर पर पहचान तब मिली जब उन्होंने नरेंद्र मोदी की एक सभा में 1 लाख से अधिक लोगों को इकट्ठा करके सभी को आश्चर्यचकित कर दिया। तमिलनाडु के अलावा, केरल और कर्नाटक में उनकी लोकप्रियता के कारण कई राजनीतिक दूरदर्शी लोग उन्हें 'दक्षिण भारत के हिमंत शर्मा' के रूप में देखने लगे। जातियों-तमिल भाषा-अल्पसंख्यकवाद में ध्रुवीकरण से इतर भी प्रदेश की राजनीति में 40-45 फीसदी ऐसे लोगों का प्रभाव है जिनके दिलों में राष्ट्रवाद प्रमुखता से बसता है। साक्ष्य के रूप में केवल एक उदाहरण ही पर्याप्त होगा; देखें: तमिलनाडु में थेवर नाम की एक जाति रहती है, जो राज्य की आबादी का 18 प्रतिशत है। वे बहुत राष्ट्रवादी हैं और वैष्णव पंथ की प्रथाओं का पालन करते हैं, घर से बाहर निकलते समय माथे पर चंदन का पवित्र निशान लगाते हैं। प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी और नेताजी सुभाष चंद्र बोस के करीबी सहयोगी मुथु रामलिंगा इसी जाति से थे। उन्होंने 'शैव सिद्धांत' के प्रचार के लिए काम किया और कहा कि 'राष्ट्रवाद और धर्म राष्ट्र की दो आंखें हैं।' देवत्व के बिना राजनीति आत्मा के बिना शरीर के समान है। लोगों को नेताजी की आईएनए में शामिल होने के लिए प्रेरित करने के लिए उन्होंने एक तमिल साप्ताहिक 'नेताजी' भी शुरू किया। सिपाही की वर्दी पहने सुभाष चंद्र बोस के साथ रामलिंगम का पोस्टर हर साल 'थेवर जयंती' के उत्सव पर प्रदर्शित किया जाता है।  बड़े-बुजुर्ग कहते हैं कि परिवर्तन संसार का नियम है। क्या आपने एक दशक पहले उम्मीद की थी कि वास्तव में अयोध्या में भव्य, दिव्य और नव्य राम मंदिर बनेगा और पीएम मोदी उसका भूमि पूजन और फिर प्राण प्रतिष्ठा करेंगे। उसी प्रकार 2024 में तमिलनाडु में कोई बड़ा करिश्मा करती नजर आए तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। 

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