इतिहास के ये खौफनाक पुल हादसे, जो मोरबी से पहले देश को रुला गए, कंपनी की लापरवाही से गई 137 लोगों की जान?

bridge accidents
Prabhasakshi
अभिनय आकाश । Oct 31 2022 5:22PM

ब्रिज टूटने के बाद कई लोग नदी में लटक गए। जान बचाने के लिए जिसके हाथ में जो आया, उसने उसी से जान बचाने की कोशिश की। हादसे के बाद चीख पुकार मच गई, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। ऐसे में स्थानीय लोग आगे आए और अपनी जान की परवाह किए बिना नदी से लोगों को बचाने लगे।

मोरबी का हादसा दिल दहला देने वाला है। जिसने भी तस्वीरे देखी वो सन्न रह गया। किसी को यकीन नहीं हुआ कि जिस पुल को तीन दिन पहले खोला गया है, उस पर ये हादसा हो सकता है। हादसे के बाद ब्रिज की कई तस्वीरें सामने आई हैं। कई वीडियो सामने आ रहे हैं, जिसमें दिख रहा है कि ब्रिज बीच से टूटकर नदीं में समा गया। ब्रिज टूटने के बाद कई लोग नदी में लटक गए। जान बचाने के लिए जिसके हाथ में जो आया, उसने उसी से जान बचाने की कोशिश की। हादसे के  बाद चीख पुकार मच गई, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें। ऐसे में स्थानीय लोग आगे आए और अपनी जान की परवाह किए बिना नदी से लोगों को बचाने लगे। 

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2037 तक के लिए पुल की मरम्मत

 मोरबी की पहचान कहा जाने वाला यह ब्रिज 143 साल पुराना था। इसकी चौड़ाई 1.25 मीटर (4.6 फीट) है। यानी करीब इतनी ही कि दो लोग आमने-सामने से गुजर सकें। इसकी लंबाई 233 मीटर (765 फीट) थी। इतनी कि अगर 500 लोग एक साथ पुल पर खड़े हों तो हर कोई लगभग एक-दूसरे से टच करता हुआ ही दिखाई देगा। ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रख-रखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था। पुल पर कंपनी के नाम का बोर्ड तो मौजूद था, लेकिन क्षमता को लेकर दोनों छोरों पर कोई सूचना या चेतावनी नहीं लिखी गई थी। जानकारी मिली है कि पुल पर जाने के लिए बड़ों से 17 और बच्चों से 12 रुपए का टिकट वसूला जा रहा था। ओरेवा कंपनी ही टिकट के पैसे वसूल रही थी, लेकिन टिकट चेक करने के लिए दोनों सिरों पर खड़े गार्ड्स ने लोगों की संख्या को चेक नहीं किया। 

कुछ सबसे खौफनाक पुल हादसे

9 सितंबर, 2002: बिहार के औरंगाबाद जिले में हावड़ा-दिल्ली राजधानी एक्सप्रेस की एक बोगी के धावे नदी में गिरने से 100 यात्रियों की मौत हो गई और 150 घायल हो गए। शुरुआत में हादसे की वजह पुल में जंग लगना बताया गया था। हालांकि बाद में सामने आया की इस हादसा को नक्सलियों द्वारा जानबूझकर अंजाम दिया गया था। 

1 दिसंबर, 2006: बिहार के भागलपुर जिले में 150 साल पुराने पुल का एक हिस्सा हावड़ा जमालपुर सुरफास्ट एक्स्प्रेस के ऊपर गिर गया, जिसमें 35 लोग मारे गए और 17 घायल हो गए।

कोटा चंबल पुल हादसा, 2009: साल 2009 में राजस्थान के कोटा स्थित चंबल नदी पर बन रहा निर्माणधीन पुल गिर गया था। इस हादसे में 28 लोग मारे गए थे। इस प्रोजक्ट पर काम कर रही कंपनी हुंडई और गैम्मोन के 14 अधिकारियों पर केस दर्ज किया गया था। 

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31 मार्च, 2016: कोलकाता में विवेकानंद रोड फ्लाईओवर गिर गया था। इस हादसे में भी कई लोगों की मौत हुई थी। कंस्‍ट्रक्‍शन फर्म, IVRCL के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया था। 

2 अगस्त, 2016: सावित्री नदी में आई बाढ़ से मुंबई-गोवा को जोड़ने वाला 70 साल पुराना पुल बह गया। इसके साथ दो बस, कुछ कारें और मोटरसाइकिलें भी बह गईं। इसे अंग्रेजों ने बनवाया था। पुल के गिरने से लगभग 41 लोगों की मौत हो गई थी। 

29 सितंबर, 2017: मुंबई के एलफिंस्टन रोड रेलवे स्टेशन स्थित पुल गिरने से 29 लोगों की मौत हो गई थी। साल 2019 में मुंबई में एक और पैदल यात्री पुल गिरने की घटना हुई थी। ये पुल छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनल के बाहर बना था। इस घटना में छह लोगों की मौत हो गई और 30  लोग घायल हो गए थे।  

वाराणसी कैंट, 2018: साल 2018 में 15 मई को वाराणसी के कैंट रेलवे स्टेशन के पास निर्माणाधीन पुल का एक हिस्सा ढह गया था। इसके मलबे में दबने से 15 लोगों की जान चली गई गई थी। जब यह पुल ढहा था तो इसके नीचे से एक मिनी बस, कार और कई बाइक्स गुजर रही थीं। सभी इसके मलबे के नीचे आकर ध्वस्त हो गई थीं। निर्माण सामग्री ख़राब होने की वजह से यह पुल ढह गया था। जिसे रोका जा सकता था। 

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