क्या अमेरिका में जन्म लेने वाले बच्चे भारतीय होंगे? या लागू होने से पहले ही रद्द हो जाएगा ट्रंप का नागरिकता वाला कानून

America
ANI
अभिनय आकाश । Jan 24 2025 12:30PM

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं। ऐसे में बड़ा सवाल है कि एच-1बी और एल1 जैसे अस्थायी वीज़ा पर अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों के अमेरिका में पैदा हुए बच्चों का क्या होगा? वो किस देश के कहलाएंगे?

आप जब कभी भी एयरपोर्ट पर जाते हैं तो आपको हर पल अपनी फ्लाइट का इंतजार रहता है और नजरें विमानों के आगमन/प्रस्थान की जानकारी देने वाली डिस्प्ले बोर्ड पर रहती है। ये अनुभव थोड़ा हटकर होता है। हवाई अड्डे पर आपको हर तरह के लोग देखने को मिलते हैं। कुछ अपनी यात्रा को लेकर उत्साहित होते हैं तो कई खाते-पीते और शॉपिंग करते दिखते हैं। आप किसी ऐसे इंसान के बारे में जानते हैं जो सालों से एयरपोर्ट पर रह रहा हो। ये बात सच है कि मेहरान करीमी नासेरिक ने पेरिस एयरपोर्ट के टर्मिनल वन पर 18 साल गुजारे। लेकिन क्या वास्तविक जीवन में अमेरिका में कुछ ऐसा ही संभव हो सकता है? अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने की दिशा में अपने कदम बढ़ा दिए हैं।  ऐसे में बड़ा सवाल है कि एच-1बी और एल1 जैसे अस्थायी वीज़ा पर अमेरिका में काम करने वाले भारतीयों के अमेरिका में पैदा हुए बच्चों का क्या होगा? वो किस देश के कहलाएंगे?

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जन्मजात नागरिकता खत्म 

अमेरिका के नए विदेश मंत्री मार्को रूबियो और विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ बात चल रही है। उन्होंने कहा है कि हम इस मुद्दे को लेकर बेहद ही गंभीर हैं और भारत सरकार को इसे हल करना होगा। ऐसे में 18 से 20 हजार भारतीयों को वापस भेजा जा सकता है। इसके अलावा ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में ये भी दावा किया गया है कि भारत चाहता है कि एच1बी वीजा प्रोग्राम सरलता से चलता रहे। भारत से बड़ी संख्या में स्किल्ड वर्कर अमेरिका जाते हैं। एच1बी वीजा का सबसे ज्यादा फायदा भारत को ही मिलता रहा है। 

जन्मजात नागरिकता क्या है?

अमेरिकी जमीन पर पैदा हुए किसी भी बच्चे को अपने आप ही नारिकता मिल जाती है, चाहे उसके माता-पिता का इमिग्रेशन या फिर नागरिकता का स्टेटस कुछ भी हो। ट्रंप के आदेश के लागू होने के नाद अमेरिका में पैदा हुए सच्चे को नागरिकता उसी हालत में मिलेगी, जन उसके माता- पिता में से कोई एक अमेरिकी नागरिक हो, ग्रीन कार्ड होल्डर या फिर अमेरिकी सेना में हो।

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आदेश को तत्काल चुनौती भी मिल

गई है। वहां के 18 राज्यों ने बोस्टन के फेडरल कोर्ट में आदेश को इस आधार पर चुनौती दी है कि यह अमेरिकी संविधान का उल्लंघन करता है। कुछ विशेषज्ञों का मानना है कि बहुत संभव है कोर्ट के निर्णय की बदौलत यह आदेश लागू होने से पहले ही रद्द हो जाए, लेकिन यह एक अनुमान ही है।

20 जनवरी को अमेरिका के 47वें राष्ट्रपति के रूप में ट्रम्प द्वारा हस्ताक्षरित पहले कार्यकारी आदेशों में से एक जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने से संबंधित था। आदेश में 30 दिन का बफर था, और 19 फरवरी के बाद गैर-नागरिक जोड़ों से पैदा हुए बच्चों को अमेरिकी नागरिकता से वंचित कर दिया जाएगा। डेमोक्रेटिक पार्टी शासित कई राज्यों द्वारा अपील किए जाने के बाद, एक संघीय न्यायाधीश ने इसे स्पष्ट रूप से असंवैधानिक बताते हुए जन्मजात नागरिकता को समाप्त करने वाले कार्यकारी आदेश को अस्थायी रूप से अवरुद्ध कर दिया। ट्रम्प ने कहा कि उनका प्रशासन जन्मजात नागरिकता को प्रतिबंधित करने के उनके प्रयास को अस्थायी रूप से रोकने के संघीय न्यायाधीश के फैसले के खिलाफ अपील करेगा। न्याय विभाग ने कहा कि  हम न्यायालय और अमेरिकी लोगों के सामने पूर्ण योग्यता वाले तर्क प्रस्तुत करने के लिए उत्सुक हैं, जो हमारे देश के कानूनों को लागू होते देखने के लिए बेताब हैं।

अवैध प्रवासियों का मसला 

राष्ट्रपति ट्रंप के इस आदेश से जुड़े तकनीकी पहलुओं से ज्यादा बड़ा सवाल उन स्थितियों का है, जिनसे इस आदेश की जमीन तैयार हुई। अगर अमेरिका में अवैध प्रवासियों का मुद्दा लगातार बड़ा होता गया तो उसमें भारत से जाने वाले अवैध प्रवासियों का योगदान भी कम नहीं है। ऐसे भारतीयों की संख्या 7,25,000 बताई जाती है, जो मेक्सिको और अल सल्वाडोर के बाद सबसे बड़ी संख्या है।

भारतीय मूल के लोगों पर क्या असर

अमेरिका में फिलहाल 4.8 मिलियन यानी 48 भारतीय मूल के लोग रह रहे हैं जो अमेरिका की कुल आबादी का 1.47% है। जबकि 34% लोग अमेरिका में ही पैदा हुए हैं। इनमें से ज्यादातर इस नए बदलाव से प्रभावित होंगे। बड़ी तादाद में भारतीय मूल के वे लोग भी है, जिन्होंने अमेरिकी नागरिकता जन्म के वक्त ही हासिल की है। अगर यह नीति लागू होती है तो एच-1बी जैसे अस्थायी वर्क वीजा के तहत काम कर रहे और ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे लोगों के बच्चों को जन्म के आधार पर अमेरिका की नागरिकता नहीं मिलेगी। 

डंकी रूट पर रोक जरूरी 

संख्या उन भारतीयों के लिए भी मुश्किल खड़ी करती है जो वहां वैध तरीकों से पहुंचे हैं और अपनी शिक्षा व काबिलियत से दोनों देशों की शान बढ़ा रहे हैं। अमेरिका की नागरिकता नीति क्या होगी यह उसका घरेलू मसला है, लेकिन भारत के लिए जरूरी है एक लोगों को अवैध तौर पर विदेश पहुंचाने वाले डंकी रूट पर प्रभावी रोक लगे ताकि विकसित देशों में वाइट कॉलर और ब्लू कॉलर जॉब्स के लिए श्रम शक्ति की सप्लाई के वैध, सुरक्षित और सम्मानपूर्ण रास्ते पर आवाजाही बढ़ती रहे।

 किस देश के नागरिक?

अमेरिका में भारतीयों के जीवन को घेरने वाली यह अराजकता ट्रम्प के अमेरिकी नागरिकता के अर्थ और मूल्य की रक्षा" शीर्षक वाले कार्यकारी आदेश के बाद आई है। यह आदेश अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन की पुनर्व्याख्या है। अमेरिकी संविधान के 14वें संशोधन में कहा गया है संयुक्त राज्य अमेरिका में जन्मे या प्राकृतिक रूप से जन्मे सभी व्यक्ति, और उसके अधिकार क्षेत्र के अधीन, संयुक्त राज्य अमेरिका और उस राज्य के नागरिक हैं जहां वे रहते हैं। कार्यकारी आदेश इस बात पर ध्यान केंद्रित करता है कि कौन "उसके अधिकार क्षेत्र के अधीन नहीं है और इसमें अवैध अप्रवासियों और अस्थायी कार्य वीजा धारकों के बच्चों को शामिल नहीं किया गया है। 

क्या ये बच्चे भारतीय नागरिक बनकर वापस आ सकते हैं?

बड़ा सवाल कि क्या स्वत: नागरिकता का विकल्प ख़त्म हो जाने से भारत लौटने पर क्या वे भारतीय नागरिक बन सकते हैं? एक आव्रजन विशेषज्ञ का कहना है कि इसका मतलब यह है कि 19 फरवरी, 2025 से अमेरिका में इस प्रकार की अस्थायी कानूनी स्थिति वाले माता-पिता से पैदा हुए बच्चे स्वचालित रूप से अमेरिकी नागरिकता प्राप्त नहीं करेंगे। इसके बजाय, उन्हें संभवतः प्राकृतिककरण प्रक्रिया से गुजरना होगा या अपने माता-पिता के माध्यम से नागरिकता के लिए आवेदन करना होगा। अगर ट्रम्प की चली तो स्थिति फिर से उसी स्थिति में आ जाएगी। इसलिए, ऐसे बच्चों की नागरिकता से जुड़ा सवाल प्रासंगिक बना हुआ है। अहमद का कहना है कि अमेरिका में जन्मे इन बच्चों के लिए भारतीय नागरिकता आसान बनी हुई है।

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