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पुंछ में पाकिस्तानी गोलीबारी में सेना का एक जवान शहीद, भारत ने दिया करारा जवाब
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- जनवरी 21, 2021 20:48
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एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सिंह एक बहादुर और ईमानदार सैनिक थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमेशा उनके सर्वोच्च बलिदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उनका ऋणी रहेगा।
जम्मू। पाकिस्तान ने संघर्ष विराम का उल्लंघन करते हुए बृहस्पतिवार को जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा (एलओसी) के पास अग्रिम ठिकानों पर गोलीबारी की जिसमें सेना का एक जवान शहीद हो गया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पाकिस्तान सेना ने पुंछ के कृष्णा घाटी सेक्टर में एलओसी के पास बिना उकसावे के गोलीबारी की।
उन्होंने बताया कि भारतीय सेना ने पाकिस्तानी गोलीबारी का करारा जवाब दिया। अधिकारियों ने बताया कि गोलीबारी में सेना की 10 जेएके राइफल्स इकाई का हवलदार निर्मल सिंह शहीद हो गया। एक रक्षा प्रवक्ता ने बताया कि सिंह एक बहादुर और ईमानदार सैनिक थे। उन्होंने कहा कि राष्ट्र हमेशा उनके सर्वोच्च बलिदान और कर्तव्य के प्रति समर्पण के लिए उनका ऋणी रहेगा।Jammu and Kashmir: Hav Nirmal Singh of 10 JAK RIF who was critically injured in ceasefire violation by Pakistan in Krishna sector of Poonch district today later succumbed to his injuries, says Defence PRO, Jammu. pic.twitter.com/ada3fwNGEf
— ANI (@ANI) January 21, 2021
पत्नी मंजू के 20 हजार और देवीलाल की कार, राजनीतिक जीवन त्यागने की चाह वाले नीतीश को कुछ इस तरह मिली पहली जीत
- अभिनय आकाश
- मार्च 1, 2021 12:07
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नीतीश का आरंभिक चुनावी रिकॉर्डर इतना खराब रहा है कि उन्होंने राजनीतिक छोड़ने का इरादा कर लिया। उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर राज्य के विधानसभा के लिए हरनौत से पहला चुनाव लड़ा और हार गए। जबकि वह हरनौत को अपनी ही सीट समझते थे। उन्होंने लेकिन हरनौत से उनकी अपनी घरेलू सीट ही उनकी हार का कारण बनी।
दिलीप कुमार मनोज कुमार किशोर कुमार1 50-50 के दशक में फिल्मों में कुमारों का राज था। लेकिन राजनीति के एकलौते कुमार का जन्म पटना से 50 किलोमीटर दूर एक छोटे से कस्बे बख्तियारपुर में हुआ। 1 मार्च 1951 यानी देश को आजादी मिलने के चार साल बाद बख्तियारपुर के छोटे से गांव में नीतीश को आज भी मुन्ना के नाम से पुकारते हैं। नीतीश के पिता जाने माने आर्युवेदिक वैद्य थे।
जीवन के पहले चुनाव में मिली करारी शिकस्त
नीतीश का आरंभिक चुनावी रिकॉर्डर इतना खराब रहा है कि उन्होंने राजनीतिक छोड़ने का इरादा कर लिया। उन्होंने जनता पार्टी के टिकट पर राज्य के विधानसभा के लिए हरनौत से पहला चुनाव लड़ा और हार गए। जबकि वह हरनौत को अपनी ही सीट समझते थे। उन्होंने लेकिन हरनौत से उनकी अपनी घरेलू सीट ही उनकी हार का कारण बनी उनके प्रभावशाली कुर्मी रिश्तेदार उनके विरोध में एकजुट हो गए थे उन्हें इस बात से बड़ा धक्का लगा कि उन नाते रिश्तेदारों में उनके अपने ससुराल वाले भी शामिल थे। सन 1980 में नीतीश को एक बार फिर से शिकस्त मिली इस बार अरुण कुमार की उम्मीदवारी का पिछले चुनाव में नीतीश कुमार को मात देने वाले भोला प्रसाद सिंह ने समर्थन किया जो बेलछी नरसंहार के मुख्य अभियुक्तों में से एक था। इस प्रकार इस कुमार को कुर्मी होने के कारण और कुर्मी के पक्ष में खड़े ना होने की वजह से दूसरी बार हार का मुंह देखना पड़ा।
राजनीतिक जीवन का त्याग करना चाहते थे नीतीश
सन 1980 में दूसरी पराजय के बाद ऐसा भी वक्त आया कि नीतीश ने राजनीति से तौबा करने की घोषणा कर दी कह दिया कि बहुत हो गई राजनीति। नीतीश राजनीतिक जीवन का त्याग करना चाहते थे और एक सरकारी ठेकेदार बन जाना चाहते थे। इमरजेंसी के बाद तक अस्थिरता और अराजकता का माहौल बना रहा जनता पार्टी जिसके साथ नीतीश ने अपनी चुनाव संबंधी खोज शुरू की थी। जनता पार्टी दो तीन टुकड़ों में बट गई जिनमें से कई एकजुट हुए और फिर अपनी ही चंचल प्रवृत्ति के कारण पुनः बिखर गए। नीतीश डामाडोल स्थिति में कुछ समय के लिए लोकदल के साथ रहे फिर दलित मजदूर किसान पार्टी में चले गए लौटकर लोकदल के एक गुट में शामिल हुए उसके बाद जनता पार्टी के खंडित अवतार के साथ हो गए और फिर वापस लोकदल में आ गए।
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चंद्रशेखर-देवीलाल का साथ और पत्नी मंजू के 2000 रुपये से सहारे जीता पहला चुनाव
सन 1983 में नीतीश ने मथुरा में चंद शेखर की बहुचर्चित भारत यात्रा के अंतिम चरण में हिस्सा लिया। नीतीश के चंद्रशेखर तक सीधी पहुंच नहीं थी लेकिन जब एक बार नीतीश कौन से मिलने का मौका मिला चंद्रशेखर को प्रभावित करने में उन्हें देर नहीं लगी| सन 1985 के विधानसभा चुनाव में कूदना आसान नहीं था क्योंकि राजीव इंद्रा लहर अभी तक चढ़ाव पड़ती है नीतीश का पुराना विरोधी कुर्मी अधिकारों का तरफदार अरुण चौधरी अभी भी मैदान में था लेकिन इस वर्ष उनकी लोकदल टोली विजय कृष्ण नितेश का सलाहकार प्रबंधक बन गया था उसने राजपूत समुदाय का महत्व समर्थन नीतीश के पक्ष में कर लिया था इस बार का चुनाव नीतीश के लिए सफल होने या मिट जाने का सवाल बन गया था। नीतीश ने मंजू को वचन दिया था कि इस बार यदि वह चुनाव हार गए तो राजनीति हमेशा के लिए त्याग देंगे और परंपरागत काम धंधा ढूंढ कर अपने गृहस्थ जीवन में समझाएंगे इस वादे पर मंजू ने उदारता के साथ ₹20000 का इनाम प्रचार अभियान में खर्च करने के लिए उनकी झोली में डाल दिया इस बार नीतीश के पास साधनों का अभाव नहीं था चंद शेखर और देवीलाल जैसे राजनीतिक संरक्षण ने उन्हें धन मुहैया कराया| देवीलाल ने हरियाणा से एक सुंदर सी आरामदायक विलिस कार सीएचके- 5802 नीतीश के लिए भिजवा दी ताकि वह अपने निर्वाचन क्षेत्र में आसानी से घूम फिर सके। नीतीश को 22 हजार से अधिक मतों से जीत मिली और फिर कभी उन्हें विधानसभा में सीट के लिए तरसना नहीं पड़ा वैवाहिक जीवन की शपथ निभाने के लिए उन्हें मंजू से फिर कभी अपने कहना पड़ेगा कि वह राजनीति त्याग देंगे।
पारस से भी बढ़कर है पानी, जल संरक्षण के लिए सरकार चलाएगी 100 दिनों का अभियान
- अंकित सिंह
- मार्च 1, 2021 12:02
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समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देशवासियों से जल संरक्षण करने की अपील करते रहते हैं। एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में जल को जीवन के साथ ही आस्था का प्रतीक और विकास की धारा करार देते हुए देशवासियों से इसका संरक्षण करने का आह्वान किया।
अपने दूसरे कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार लगातार जल संरक्षण को ध्यान में रखकर काम कर रही है। यही कारण है कि दूसरे कार्यकाल में जल संबंधी सभी मंत्रालयों को एक कर जल शक्ति मंत्रालय का गठन किया गया और उसकी जिम्मेदारी गजेंद्र सिंह शेखावत को दी गई। जल ही जीवन है, यह तो हम सब शुरू से पढ़ते रहे हैं लेकिन जल की वर्तमान स्थिति चिंताजनक है। यही कारण है कि भारत सरकार अब जल संरक्षण को लेकर काफी गंभीर नजर आ रही है। समय-समय पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लगातार देशवासियों से जल संरक्षण करने की अपील करते रहते हैं। एक बार फिर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने रेडियो कार्यक्रम मन की बात में जल को जीवन के साथ ही आस्था का प्रतीक और विकास की धारा करार देते हुए देशवासियों से इसका संरक्षण करने का आह्वान किया।
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प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण के लिए केंद्र सरकार इस साल ‘‘विश्व जल दिवस’’ से 100 दिनों का अभियान भी शुरू करेगी। मोदी ने कहा कि दुनिया के हर समाज में नदी के साथ जुड़ी हुई कोई-न-कोई परम्परा होती ही है और नदी तट पर अनेक सभ्यताएं भी विकसित हुई हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय संस्कृति क्योंकि हजारों वर्ष पुरानी है इसलिए इसका विस्तार देश में और ज्यादा मिलता है। उन्होंने कहा, “भारत में कोई ऐसा दिन नहीं होगा जब देश के किसी-न-किसी कोने में पानी से जुड़ा कोई उत्सव न हो। माघ के दिनों में तो लोग अपना घर-परिवार, सुख-सुविधा छोड़कर पूरे महीने नदियों के किनारे कल्पवास करने जाते हैं। इस बार हरिद्वार में कुंभ भी हो रहा है। जल हमारे लिये जीवन भी है, आस्था भी है और विकास की धारा भी है।” पानी को पारस से भी ज्यादा महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पारस के स्पर्श से लोहा, सोने में परिवर्तित हो जाता है वैसे ही पानी का स्पर्श जीवन और विकास के लिये जरुरी है। उन्होंने कहा, ‘‘पानी के संरक्षण के लिये, हमें, अभी से ही प्रयास शुरू कर देने चाहिए।’’
आगामी 22 मार्च को मनाए जाने वाले विश्व जल दिवस का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जल संरक्षण सिफ सरकार की नहीं बल्कि सामूहिक जिम्मेदारी है और इसे देश के नागरिकों को समझना होगा। उन्होंने अपने आसपास के जलस्त्रोतों की सफाई के लिये और वर्षा जल के संचयन के लिये देशवासियों से 100 दिन का कोई अभियान शुरू कने का आह्वान किया। उन्होंने कहा, ‘‘इसी सोच के साथ अब से कुछ दिन बाद जल शक्ति मंत्रालय द्वारा भी जल शक्ति अभियान- ‘कैच द् रैन’ भी शुरू किया जा रहा है। इस अभियान का मूल मन्त्र है पानी जब भी और जहां भी गिरे उसे बचाएं।’’ उन्होंने कहा, “हम अभी से जुटेंगे और पहले से तैयार जल संचयन के तंत्र को दुरुस्त करवा लेंगे तथा गांवों में, तालाबों में, पोखरों की सफाई करवा लेंगे, जलस्त्रोतों तक जा रहे पानी के रास्ते की रुकावटें दूर कर लेंगे तो ज्यादा से ज्यादा वर्षा जल का संचयन कर पायेंगे।” प्रधानमंत्री ने संत रविदास जी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि भी दी और कहा कि आज भी उनके ज्ञान, हमारा पथप्रदर्शन करता है उन्होंने कहा, “हमारे युवाओं को एक और बात संत रविदास जी से जरूर सीखनी चाहिए। युवाओं को कोई भी काम करने के लिये, खुद को पुराने तौर तरीकों में बांधना नहीं चाहिए। आप, अपने जीवन को खुद ही तय करिए।
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प्रधानमंत्री की इस अपील के बाद जाहिर सी बात है कि सरकार एक बार फिर से जल संरक्षण को लेकर कई तरह के कार्यक्रम चलाएगी। प्रधानमंत्री ने भी खुद कहा कि 100 दिनों का अभियान अब जल संरक्षण के लिए शुरू किया जाएगा। कुछ राज्यों में जल संरक्षण को लेकर कई तरह के पहल की शुरुआत की जा चुकी है। प्रधानमंत्री की इस अपील का असर बरसात के दिनों में भी देखने को मिलेगा जब सरकार के साथ-साथ आम लोग और कई संगठन में जल संरक्षण को लेकर आगे बढ़ेंगे। आज के ग्लोबल वार्मिंग के इस कठिन दौर में जल संरक्षण सबसे ज्यादा जरूरी है। जल संरक्षण स्वच्छता अभियान के लिए भी बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। जल संरक्षण का अर्थ है जल के प्रयोग को घटाना एवं सफाई, निर्माण एवं कृषि आदि के लिए अपशिष्ट जल का रिसाइकल करना। साथ ही साथ बरसात के पानी को इकट्ठा करना ताकि जरूरत के समय उनका उपयोग किया जा सके।
पश्चिम बंगाल में महारैली में वाम नेताओं ने जनहित सरकार का आह्वान किया
- प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क
- मार्च 1, 2021 11:48
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वाम दलों, कांग्रेस एवं नवगठित आईएसएफ के गठबंधन ने पश्चिम बंगाल में रविवार को खुद को ‘तीसरे विकल्प’ के रूप में पेश किया और कहा कि प्रदेश के विकास के लिये यहां एक जनहित सरकार की आवश्यकता है।
कोलकाता। वाम दलों, कांग्रेस एवं नवगठित आईएसएफ के गठबंधन ने पश्चिम बंगाल में रविवार को खुद को ‘तीसरे विकल्प’ के रूप में पेश किया और कहा कि प्रदेश के विकास के लिये यहां एक जनहित सरकार की आवश्यकता है। प्रदेश में आठ चरणों में मतदान होने हैं और 27 मार्च को पहले चरण का मतदान होगा। पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के ब्रिगेड परेड मैदान में एक महारैली को संबोधित करते हुये माकपा महासचिव सीताराम येचुरी, भाकपा नेता डी राजा, पश्चिम बंगाल वाम मोर्चा के अध्यक्ष बिमान बोस तथा अन्य वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि राज्य के विकास के लिये आगामी चुनावों में तृणमूल कांग्रेस एवं भाजपा को हराने की आवश्यकता है।
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येचुरी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं भारतीय जनता पार्टी की ‘सांप्रदायिक गतिविधियों’ को रोकने के लिये सबसे पहले तृणमूल कांग्रेस को हराना होगा। उन्होंने दावा किया कि त्रिशंकु विधानसभा की स्थिति में तृणमूल सरकार बनाने के लिये फिर से भाजपा की अगुवाई वाले राजग में शामिल हो सकती है। प्रदेश में तृणमूल एवं भाजपा के बीच जारी राजनीतिक संघर्ष को ‘‘बनावटी लड़ाई’’ करार देते हुये येचुरी ने आरोप लगाया कि भगवा पार्टी पीएम केयर्स फंड के धन का इस्तेमाल कर बंगाल में चुनाव के दौरान नेताओं को ‘खरीद’ रही है।
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इस फंड की स्थापना कोविड-19 महामारी से संघर्ष के लिये किया गया था। उन्होंने कहा, ‘‘वाम दलों एवं धर्मनिरपेक्ष ताकतों का यह महागठबंधन भ्रष्ट तृणमूल सरकार एवं भाजपा को हराने के लिये प्रदेश में लड़ेगा। हम बेहतर बंगाल के लिये संघर्ष करेंगे।’’ उन्होंने कहा कि लोगों के अधिकारों की सुरक्षा एवं प्रदेश के सर्वांगीण विकास के लिये हमारा आह्वान है कि प्रदेश में एक जनहित सरकार का गठन हो।

