प्रशासन ने गंगा का जलस्तर बढ़ने हस्तिनापुर में जारी किया अलर्ट, मेरठ के गांवों में बाढ़ का मंडराया खतरा

Ganga river
राजीव शर्मा । Jul 21 2021 3:46PM

पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश के चलते एक बार फिर गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। मेरठ में हस्तिनापुर क्षेत्र के कई गांवों में अलर्ट कर दिया गया है। गंगा के किनारे का जो तटबंद है, लगातार बढ़ रहे पानी से वह कभी भी टूट सकता है।

मेरठ। उत्तराखंड में कई दिनों से पहाड़ी क्षेत्रों में लगातार बारिश हो रही है। जिससे गंगा के जलस्तर में वृद्धि हो गई है। बिजनौर बैराज से छोड़े गए पानी से खादर क्षेत्र में तटबंध की हालत नाजुक हो गई है। मंगलवार को बिजनौर बैराज पर तैनात अवर अभियंता पीयूष कुमार ने बताया कि शाम पांच बजे बिजनौर बैराज से एक लाख 9 हजार क्यूसेक पानी छोड़ा गया। वहीं हरिद्वार एक लाख तीन हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज चल रहा था। सोमवार शाम को बिजनौर बैराज पर 82 हजार क्यूसेक पानी का डिस्चार्ज चल रहा था। मंगलवार शाम तक गंगा के जलस्तर में 27 हजार क्यूसेक पानी की वृद्धि हुई है। 

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पहाड़ों पर हो रही लगातार बारिश के चलते एक बार फिर गंगा के जलस्तर में बढ़ोतरी हुई है। मेरठ में हस्तिनापुर क्षेत्र के कई गांवों में अलर्ट कर दिया गया है। गंगा के किनारे का जो तटबंद है, लगातार बढ़ रहे पानी से वह कभी भी टूट सकता है। गंगा में लगातार हो रही पानी में वृद्धि से फतेहपुर प्रेम, हंसापुर परसापुर, सिरजोपुर के समीप बने कच्चे तटबंध पर टूटने का खतरा मंडरा रहा है। किशोरपुर गांव में भी खतरा बना हुआ है। 19 जून 2021 को आई बाढ़ के कारण हस्तिनापुर के फतेहपुर प्रेम के समीप दो स्थानों से तटबंध टूट गया था। कई दिन मशक्कत के बाद तटबंध मजबूत कर लिया गया। अब मंगलवार को जैसे ही गंगा का जलस्तर बढ़ा तो मिट्टी के कच्चे तटबंध में बड़ी बड़ी दरार आ गई। तटबंध कई स्थानों से कमजोर हो गया है। जो कभी भी टूट कर खादर क्षेत्र में तबाही मचा सकता है। 

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गंगा के बड़े जलस्तर से खादर क्षेत्र के लोगों को तटबंध के टूटने का भी खतरा सता रहा है। कई गांवों के लोग दहशत में दिन रात बिता रहे हैं। खादर क्षेत्र में तटबंध के टूटने से बड़ी आबादी प्रभावित होती है। गंगा के किनारे बसे 12 गांव बाढ़ के पानी की चपेट में आ जाते हैं और यहां जनजीवन और आवागमन के रास्ते पूरी तरह प्रभावित हो जाते हैं। अब यहां के ग्रामीण प्रशासन के अधिकारियों से गुहार लगा रहे हैं कि समय रहते हुए तटबंध को मजबूत कर लिया जाए।

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