मेरठ-गाजियाबाद के बीच दौड़ने वाली रैपिड रेल हवाई जहाज जैसी यात्रा का देगी अनुभव, जानिए खूबियां

Rapid Rail
राजीव शर्मा । Jul 19 2021 4:03PM

कार्यदाई संस्था एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने जारी अपने बयान में बताया कि आरआरटीएस ट्रेनों के पूरे बेड़े का निर्माण भारत में 80 प्रतिशत से अधिक स्थानीय सामग्री के साथ किया जा रहा है।

मेरठ। दिल्ली-गाजियाबाद व मेरठ के बीच चलने वाली रैपिड रेल आरआरटीएस (Delhi Meerut Rapid Rail Project ) का सफर आपको हवाइ जहाज के सफर जैसा अनुभव देगा। इस रेल के कोच आधुनिकता और टैक्नालाजी का बेहतरीन कंबिनेशन होगें। रेल कोच इस तरह से डिजाइन किए जा रहे हैं कि इनमें बैठने वालों को हवाई जहाज के प्रथम श्रेणी में सफर करने की अनुभूति हो। कोच के भीतर जाने के बाद यात्रियों को यह भी नहीं पता चलेगा कि रैपिड रेल चल रही है या नहीं। जो कुछ भी देखना या सुनना है सब कुछ कोच के भीतर डिस्प्ले और एलाउंमेंट के जरिए ही पता चलेगा। 

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आपातकाल की स्थिति से निपटने के लिए कोच ऐसे डिजाइन किए जा रहे हैं कि उसमें यात्रियों को खरोच तक न आए। कार्यदाई संस्था एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह ने जारी अपने बयान में बताया कि आरआरटीएस ट्रेनों के पूरे बेड़े का निर्माण भारत में 80 प्रतिशत से अधिक स्थानीय सामग्री के साथ किया जा रहा है। गुजरा सावली में बॉम्बार्डियर ( अब अल्सटॉम ) संयंत्र में 40 ट्रेनों का उत्पादन ( छह कोच की आरआरटीएस ट्रेन के लिए 30 ट्रेनसेट और एमआरटीएस ट्रेन के लिए 3 कोच वाली 10 ट्रेनसेट ) का उत्पादन किया जा रहा है। 

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आरआरटीएस ट्रेन का पहला लुक सितम्बर 2020 में अनावरण किया गया था। ये आधुनिक आरआरटीएस ट्रेनें नए भारत की आशा और महत्वाकांक्षा को दर्शाएगी। उन्होंने बताया कि हैदराबाद में एल्सटॉम के ग्लोबल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी सेंटर में ट्रेनसेट के डिजाइन को अंतिम रूप दिया गया है। गुजरात के मानेजा में ट्रेनों की प्रणोदन प्रणाली विकसित की गयी है। एर्गोनो जिससे भारत सरकार के मेड इन इंडिया पहल को एक बड़ा बढ़ावा मिल रहा है। मिक सीटिंग और बेहतर राइडिंग कम्फर्ट वाली इन 3.2-मीटर चौड़ी ट्रेनों में अतिरिक्त बैठने और खड़े होने की जगह के लिए डिज़ाइन किया गया है।

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