यूपी में जनाधार नहीं इसके बावजूद विपक्ष के दिग्गज नेताओं का अखिलेश ले रहे हैं साथ, जानें क्या होगा लाभ

Akhilesh
अंकित सिंह । Jan 17 2022 5:00PM

माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और विपक्षी नेता उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के समर्थन में आ सकते हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से अखिलेश यादव के परिवारिक संबंध हैं और माना जा रहा है कि लालू यादव भी खुलकर अखिलेश यादव के समर्थन में रहेंगे। इसके साथ ही शरद यादव भी उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के समर्थन में आ जाएंगे।

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के ऐलान के साथ ही सभी पार्टी अपना कुनबा बढ़ाने में जुट गई हैं। इसी कड़ी में अखिलेश यादव भी लगातार अपने गठबंधन को बड़ा करने की कोशिश कर रहे हैं। हाल में ही प्रदेश में भाजपा से इस्तीफा देने वाले कई नेताओं को अखिलेश यादव ने समाजवादी पार्टी में शामिल कराया है। लेकिन सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि इस वक्त राष्ट्रीय स्तर के कई बड़े नेता अखिलेश यादव के समर्थन में खड़े हैं। शरद पवार और ममता बनर्जी जैसे बड़े नेता पहले ही अखिलेश यादव के समर्थन में खड़े हैं। तो दूसरी और अखिलेश यादव ने भी इनकी पार्टियों को उत्तर प्रदेश समय कुछ सीट देने का भरोसा दिया है। फिलहाल समाजवादी पार्टी की ओर से एक सीट शरद पवार को दे दी गई है तो एक सीट तृणमूल कांग्रेस को दी गई है।

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माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में कई और विपक्षी नेता उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के समर्थन में आ सकते हैं। आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव से अखिलेश यादव के परिवारिक संबंध हैं और माना जा रहा है कि लालू यादव भी खुलकर अखिलेश यादव के समर्थन में रहेंगे। इसके साथ ही शरद यादव भी उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव के समर्थन में आ जाएंगे। राष्ट्रीय स्तर पर शरद पवार अखिलेश यादव के लिए लगातार बैटिंग कर रहे हैं। जब उत्तर प्रदेश में कुछ नेता भाजपा से इस्तीफा दे रहे थे तो शरद पवार ने दिल्ली में बैठे ऐलान कर दिया था कि आने वाले दिनों में कुछ और नेता भाजपा छोड़ेंगे। माना जा रहा है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू जैसे नेता भी अखिलेश यादव के समर्थन में खड़े हो सकते हैं।

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लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर इन नेताओं के दलों का उत्तर प्रदेश में कितना भविष्य है? कुल मिलाकर देखें तो उत्तर प्रदेश में तृणमूल कांग्रेस हो या राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी या फिर एम के स्टालिन और चंद्रबाबू नायडू की पार्टी, सभी का कोई अस्तित्व वर्तमान में तो दिखाई नहीं देता है। तो फिर सवाल किया है कि फिर यह नेता अखिलेश के साथ क्यों खड़े हैं और अखिलेश भी इनका समर्थन क्यों ले रहे हैं? सबसे बड़ी और पहली बात तो यह है कि इन नेताओं के जरिए अखिलेश यादव को राष्ट्रीय स्तर पर यह धारणा बनाने में मदद मिल रही है कि उत्तर प्रदेश में मुख्य मुकाबला भाजपा और समाजवादी पार्टी के बीच में है। इसके साथ ही अखिलेश यादव अपने चेहरे को राष्ट्रीय स्तर पर लाने की भी कोशिश कर रहे हैं। अगर उनकी पार्टी इस विधानसभा चुनाव में जीतती है तो 2024 के लोकसभा चुनाव में यह दल उन्हें ज्यादा भरोसे में रखेंगे।

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ऐसी होगी लड़ाई

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से कई दिग्गज नेता प्रचार करते दिखाई देंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृहमंत्री अमित शाह के अलावा कई ऐसे तमाम नेता शामिल रहेंगे जो पार्टी के पक्ष में लगातार माहौल बनाएंगे। लेकिन वहीं दूसरी ओर अखिलेश यादव अकेले दिखाई देंगे। मुलायम सिंह यादव अस्वस्थ हैं, ऐसे में इस बार भी वह चुनावी प्रचार से दूर ही रहेंगे। दूसरी ओर अखिलेश यादव ने जिन क्षेत्रीय दलों से गठबंधन किया है उनका प्रभाव अपने अपने क्षेत्र में ही है। ऐसे में वह पूरे प्रदेश में वह अपना कुछ खास कमाल नहीं दिखा सकते हैं। हालांकि यह बात भी सच है कि चुनावी व्यस्तता में अखिलेश यादव के लिए इतने सारे दलों के साथ तालमेल बैठाना मुश्किल हो सकता है। लेकिन यह बात भी है कि जब अखिलेश यादव पर हमले होंगे तो विपक्ष के यह दिग्गज नेता मीडिया के जरिए समाजवादी पार्टी के प्रमुख के समर्थन में खड़े रहेंगे। इस चुनाव में अखिलेश यादव को इन दिग्गज नेताओं की राजनीतिक अनुभव का लाभ भी मिल सकता है। इसके अलावा समाजवादी पार्टी को चुनाव आयोग में भी अपनी बात को प्रभावपूर्ण रखने में मदद मिलेगी। 

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