West Bengal Congress में सबकुछ ठीक नहीं, अधीर रंजन ने दिया प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा!

adhir ranjan chowdhary
ANI
अंकित सिंह । Jun 15 2024 12:39PM

बहरामपुर संसदीय क्षेत्र से हार के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पांच बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह नहीं जानते कि उनका राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख चौधरी को तृणमूल कांग्रेस के स्टार उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने 85,000 से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने ली हार की जिम्मेदारी। पश्चिम बंगाल कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने एक नई भविष्यवाणी की है। उन्होंने भविष्यवाणी की है कि 9 जून को एनडीए सरकार बनने के बाद यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिकेगी। चौधरी ने कहा कि चुनाव में कांग्रेस के प्रदर्शन के बाद पार्टी के सभी सदस्य चाहते हैं कि राहुल गांधी को विपक्ष का नेता बनाया जाए। CWC की बैठक के बाद अधीर रंजन चौधरी ने कहा, सभी सदस्य चाहते हैं कि राहुल गांधी LOP बनें। वहीं अब पश्चिम बंगाल में कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने हार की जिम्मेदारी ली। पद से इस्तीफे की पेशकश की। आलाकमान ने उन्हें फिलहाल पद पर बने रहने को कहा।

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इससे पहले बहरामपुर संसदीय क्षेत्र से हार के एक दिन बाद कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पांच बार के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि वह नहीं जानते कि उनका राजनीतिक भविष्य कैसा होगा। पार्टी की पश्चिम बंगाल इकाई के प्रमुख चौधरी को तृणमूल कांग्रेस के स्टार उम्मीदवार और पूर्व क्रिकेटर यूसुफ पठान ने 85,000 से अधिक मतों के अंतर से हरा दिया। चौधरी की पराजय के साथ ही कांग्रेस ने बहरामपुर पर अपनी राजनीतिक पकड़ खो दी, जो राज्य में कांग्रेस का अंतिम गढ़ था। पार्टी को केवल एक सीट मालदा दक्षिण पर जीत मिली है। अपने बहरामपुर आवास पर एक बांग्ला टीवी चैनल से बात करते हुए चौधरी ने कहा कि उन्हें आशंका है कि आने वाला समय उनके लिए कठिन होगा।

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चौधरी ने कहा कि बहरामपुर में प्रचार के लिए किसी नेता को न भेजना पार्टी का विवेकाधिकार है और इस बारे में वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते। उन्होंने कहा, “जब राहुल गांधी की ‘पूरब-पश्चिम भारत जोड़ो यात्रा’ मुर्शिदाबाद पहुंची तो हमने उसमें हिस्सा लिया। हमारे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार मालदा में प्रचार किया, लेकिन बहरामपुर कभी नहीं आए। यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का फैसला था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है।” साल 1999 से बहरामपुर से सांसद चौधरी के लिए यह शायद सबसे कठिन चुनावी मुकाबला था, जिसमें उन्हें गुजरात के रहने वाले टीएमसी उम्मीदवार पठान से शिकस्त का सामना करना पड़ा।

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