ममता को अब सीधी चुनौती देंगे अमित शाह, पश्चिम बंगाल से लड़ सकते हैं लोकसभा चुनाव

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पश्चिम बंगाल में गत विधानसभा चुनावों से ही अमित शाह यहाँ कड़ी मेहनत कर रहे हैं और पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ाने में उनकी रणनीति की अहम भूमिका रही है। वह अपनी सभाओं में सीधे ममता बनर्जी को चुनौती देते हैं।

पश्चिम बंगाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रैलियों में जिस तरह जनता उमड़ रही है उससे भारतीय जनता पार्टी की उम्मीदें बढ़ गयी हैं और अब पार्टी लोकसभा चुनावों के दौरान अमित शाह को यहाँ पर फ्रंटफुट पर खेलने भेज सकती है। पार्टी के विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक भाजपा अध्यक्ष अमित शाह पश्चिम बंगाल की किसी लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं। ऐसा होने पर यहां भाजपा के अन्य उम्मीदवारों के जीतने की संभावनाएं तो प्रबल होंगी ही साथ ही तृणमूल कांग्रेस और भाजपा के बीच ही सीधी लड़ाई का रास्ता साफ हो जायेगा।

पश्चिम बंगाल में गत विधानसभा चुनावों से ही अमित शाह यहाँ कड़ी मेहनत कर रहे हैं और पार्टी का वोट प्रतिशत बढ़ाने में उनकी रणनीति की अहम भूमिका रही है। वह अपनी सभाओं में सीधे ममता बनर्जी को चुनौती देते हैं। अमित शाह ने पिछले कुछ समय में तृणमूल कांग्रेस के कई नेताओं को भाजपा में शामिल करवाया है जिनमें मुकुल राय, सौमित्र खान जैसे नाम प्रमुख हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जिस तरह वाराणसी से नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव लड़ने से पूरे उत्तर प्रदेश खासकर पूर्वांचल में भाजपा को जबरदस्त फायदा हुआ था वैसा ही लाभ अमित शाह के पश्चिम बंगाल से लोकसभा चुनाव लड़ने से हो सकता है। पार्टी ने 2014 के लोकसभा चुनावों में पश्चिम बंगाल से तीन संसदीय सीटों पर विजय हासिल की थी और इस बार भाजपा का लक्ष्य 20 से 23 सीटों पर विजय हासिल करना है। यहाँ लोकसभा की कुल 42 सीटें हैं।

खुद अमित शाह आगे होकर नेतृत्व करने में यकीन रखते हैं और पार्टी के लिए मुश्किल से मुश्किल चुनौती लेकर उसे पूरा करने में यकीन रखते हैं। 


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भाजपा का यह भी मानना है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के चलते भी पश्चिम बंगाल में जबरदस्त ध्रुवीकरण होने जा रहा है। हालांकि पार्टी यह महसूस कर रही है कि इस विधेयक के चलते उत्तर-पूर्वी राज्यों में उसे नुकसान हो सकता है लेकिन यहाँ जितना नुकसान होगा उसकी तुलना में बड़ा फायदा पश्चिम बंगाल में होने जा रहा है। पार्टी की योजना यहाँ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की रैलियां बड़ी संख्या में कराने की है।

तृणमूल कांग्रेस भी यह साफ महसूस कर रही है कि भाजपा के पक्ष में समर्थन बढ़ रहा है इसीलिए प्रशासन ने भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की रथयात्रा को कई कारण बताकर मंजूरी नहीं दी थी जिस पर यह मामला अदालत में भी गया था। यही नहीं योगी आदित्यनाथ के हेलीकाप्टर को भी गत सप्ताह उतरने की अनुमति नहीं दी गयी जिससे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को फोन से ही सभा को संबोधित करना पड़ा था। जिस तरह से प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी भी लगातार भाजपा में शामिल हो रहे हैं उससे पार्टी का मनोबल बढ़ा है।

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के साथ पश्चिम बंगाल के मुख्य रणनीतिकारों में पार्टी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय और कभी ममता बनर्जी के करीबी रहे मुकुल राय शामिल हैं। कैलाश विजयवर्गीय इससे पहले हरियाणा के प्रभारी रहते चमत्कार दिखा चुके हैं जहाँ भाजपा पहली बार सरकार बनाने में सफल रही थी। इसके अलावा मुकुल राय ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर वामदलों के शासन का अंत किया था और वह तृणमूल कांग्रेस की कमजोरियों और मजबूती से भलीभांति वाकिफ हैं। तृणमुल नेताओं को भाजपा में शामिल कराने में उन्हीं का सबसे बड़ा योगदान माना जा रहा है और जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आएंगे यह संख्या बढ़ती जायेगी इस बात के संकेत कई पार्टी नेता दे रहे हैं।

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