बांग्लादेश: खालिदा जिया ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ा था, तानाशाह इरशाद का हुआ था पतन

बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया, जिन्होंने सैन्य तानाशाही के खिलाफ आंदोलन कर जनरल इरशाद का तख्तापलट करवाया था। राजनीतिक रूप से प्रेरित बताए गए भ्रष्टाचार के मामलों में बरी होने के बाद वह चुनाव लड़ने की उम्मीद कर रही थीं।
बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी ने एक बयान में बताया कि बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया, जिनकी शेख हसीना के साथ कट्टर दुश्मनी ने एक पीढ़ी तक देश की राजनीति को परिभाषित किया था, का निधन हो गया है। वह 80 साल की थीं। उन पर भ्रष्टाचार के मामले थे, जिनके बारे में उन्होंने कहा था कि वे राजनीतिक रूप से प्रेरित थे, लेकिन जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट ने उनके खिलाफ आखिरी भ्रष्टाचार के मामले में जिया को बरी कर दिया था, जिससे वह फरवरी के चुनाव में चुनाव लड़ सकती थीं। उनका निधन ऐसे समय में हुआ है जब बांग्लादेश में राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल चल रही है, जिसमें विरोध प्रदर्शन, हिंसा, अल्पसंख्यक हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार और देश में अंतरराष्ट्रीय जांच बढ़ रही है।
खालिदा जिया ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ा था
खालिदा जिया ने बांग्लादेश में सैन्य तानाशाह के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ कर 1990 में तत्कालीन तानाशाह और पूर्व सेना प्रमुख एच.एम. इरशाद का पतन करने में अहम भूमिका निभायी थी। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उनकी तीखी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता ने एक पीढ़ी तक देश की राजनीति को आकार दिया। बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (बीएनपी) की अध्यक्ष और पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया का 80 वर्ष की आयु में निधन हो गया। उनकी पार्टी ने मंगलवार को एक बयान में यह जानकारी दी।
खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं
खालिदा जिया बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री थीं। उन पर दर्ज भ्रष्टाचार के मामलों को उन्होंने राजनीतिक रूप से प्रेरित बताया था। जनवरी 2025 में उच्चतम न्यायालय ने उनके खिलाफ अंतिम भ्रष्टाचार मामले में उन्हें बरी कर दिया था, जिससे फरवरी में होने वाले आम चुनाव में उनके उम्मीदवार बनने का रास्ता साफ हो गया था।
जिया ने 18 बार विदेश में सरकार से इलाज की अनुमति मांगी थी
बीएनपी ने कहा कि 2020 में बीमारी के आधार पर जेल से रिहा होने के बाद जिया के परिवार ने उनकी प्रतिद्वंद्वी और तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख हसीना की सरकार से कम से कम 18 बार विदेश में उनके इलाज की अनुमति मांगी थी, लेकिन सभी अनुरोध खारिज कर दिए गए। 2024 में हसीना के सत्ता से हटने के बाद नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने उन्हें विदेश जाने की अनुमति दी।
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जिया जनवरी में लंदन गई थीं और मई में स्वदेश लौटी थीं। वर्ष 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ युद्ध के बाद स्वतंत्र हुए बांग्लादेश के शुरुआती वर्षों में राजनीतिक अस्थिरता और तख्तापलट जैसे घटनाक्रम देखने को मिले। जिया के पति जियाउर रहमान ने 1977 में सेना प्रमुख के रूप में सत्ता संभाली और 1978 में बीएनपी की स्थापना की। 1981 में एक सैन्य तख्तापलट में उनकी हत्या कर दी गई।
खालिदा जिया ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा किया था
इसके बाद खालिदा जिया ने सैन्य तानाशाही के खिलाफ जन आंदोलन खड़ा करने में अहम भूमिका निभाई, जिसके परिणामस्वरूप 1990 में तत्कालीन तानाशाह और पूर्व सेना प्रमुख एच.एम. इरशाद का पतन हुआ। खालिदा जिया ने 1991 में पहली बार प्रधानमंत्री पद संभाला। उन चुनावों में और इसके बाद कई चुनावों में उनकी प्रमुख प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना रहीं, जो मुक्ति संग्राम के नेता शेख मुजीबुर रहमान की पुत्री थीं।
जिया सरकार केवल 12 दिन ही चल सकी
1996 के शुरुआती चुनाव में व्यापक बहिष्कार के बीच बीएनपी ने 300 में से 278 सीटें जीतीं, लेकिन कार्यवाहक सरकार की मांग के चलते जिया सरकार केवल 12 दिन ही चल सकी। उसी वर्ष जून में नए चुनाव कराए गए। जिया 2001 में फिर सत्ता में लौटीं और इस दौरान उनकी सरकार में जमात-ए-इस्लामी भी शामिल थी। उनके दूसरे कार्यकाल (2001-06) में भारत-विरोधी बयानबाजी और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों में उग्रवाद को लेकर आरोप लगे। इसी अवधि में उनके बड़े बेटे तारिक रहमान पर समानांतर सत्ता चलाने और भ्रष्टाचार के आरोप भी लगे। 2004 में ढाका में हुए ग्रेनेड हमले के लिए शेख हसीना ने जिया सरकार और रहमान को जिम्मेदार ठहराया था।
जिया को भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में 17 साल की सजा सुनाई गई थी
जिया को भ्रष्टाचार के दो अलग-अलग मामलों में 17 साल की सजा सुनाई गई थी। उनकी पार्टी ने आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया, जबकि हसीना सरकार ने कहा था कि इन मामलों में उसका कोई हस्तक्षेप नहीं है। 2020 में जिया को रिहा कर ढाका में एक किराए के घर में रखा गया, जहां से वह नियमित रूप से निजी अस्पताल जाती थीं। अगस्त 2024 में अपनी सरकार के खिलाफ हुए विद्रोह के बाद हसीना सत्ता से हट गईं और देश छोड़कर चली गईं।
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इसके बाद अंतरिम सरकार ने जिया को विदेश में इलाज की अनुमति दी। वह कई वर्षों से सक्रिय राजनीति से दूर थीं, लेकिन मृत्यु तक बीएनपी की अध्यक्ष बनी रहीं। पार्टी की कमान 2018 से कार्यवाहक अध्यक्ष के रूप में तारिक रहमान संभाल रहे थे। जिया को आखिरी बार 21 नवंबर को ढाका छावनी में बांग्लादेश सेना के एक वार्षिक कार्यक्रम में देखा गया था, जहां वह व्हीलचेयर पर थीं और थकी हुई नजर आ रही थीं। उनके परिवार में बड़े बेटे तारिक रहमान हैं। उनके छोटे बेटे अराफात का 2015 में निधन हो गया था।
The BNP Chairperson and former Prime Minister, Begum Khaleda Zia, passed away today at 6:00 a.m., shortly after the Fajr prayer. Inna lillahi wa inna ilayhi raji‘un. We pray for the forgiveness of her soul and request everyone to offer prayers for her departed soul. pic.twitter.com/KY2948UPD5
— Bangladesh Nationalist Party-BNP (@bdbnp78) December 30, 2025
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