किरकिरी के बाद रोहिंग्याओं को लेकर बीजेपी सरकार ने बदला अपना स्टैंड, सुप्रीम कोर्ट में पुराना बयान पलटा
राज्य सरकार ने एक नया हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि अदालत के शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई निर्धारित करने के लिए जो भी आदेश देगा उसका पालन किया जाएगा।
रोहिंग्या को वापस भेजने की मांग वाली याचिका का विरोध करने के तीन सप्ताह से भी कम समय में कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने अपना इरादा बदल दिया है। कर्नाटक सरकार ने रोहिंग्याओं के निर्वासन पर सुप्रीम कोर्ट में एक संशोधित हलफनामा दायर किया है और अपने पहले के रुख में बदलाव करते हुए कहा है कि कोर्ट इस मसले पर जो भी आदेश देगा उसका पालन किया जाएगा। राज्य सरकार ने एक नया हलफनामा दायर करते हुए कहा है कि अदालत के शरणार्थियों के खिलाफ कार्रवाई निर्धारित करने के लिए जो भी आदेश देगा उसका पालन किया जाएगा।
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भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता और वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा 26 अक्टूबर को दायर एक याचिका दायर किया था। याचिका में अदालत से बांग्लादेशियों सहित अवैध प्रवासियों और घुसपैठियों की पहचान करने, उन्हें हिरासत में लेने और निर्वासित करने का आदेश देने की मांग की गई थी। केंद्र और कई राज्य सरकार द्वारा इस याचिका पर जवाब नहीं दिया गया है। 25 अक्टूबर को कर्नाटक की सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि याचिका कानूनी और तथ्यात्मक, दोनों आधारों पर गलत है। इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए। कर्नाटक सरकार के इस रूख की खूब किरकिरी भी हुई थी जिसके बाद कोर्ट के समक्ष दूसरा हलफनामा प्रस्तुत किया गया।
दूसरे हलफनामे में क्या कहा गया है
राज्य के गृह विभाग में अपर सचिव केएन वनजा द्वारा दायर नए हलफनामे में खुलासा किया गया है कि राज्य में कुल 126 रोहिंग्याओं की पहचान की गई है जो किसी शिविर या निरोध केंद्र में नहीं रह रहे थे। हलफनामे में कहा गया है कि अदालत द्वारा जो भी आदेश पारित किया जाएगा, उसका ईमानदारी से पालन किया जाएगा।
BJP led Karnataka government has filed a revised affidavit in Supreme Court on the deportation of Rohingyas and retracted from its earlier stand that there is no plan to deport Rohingyas living in Bengaluru. pic.twitter.com/oX0k1DpD2p
— ANI (@ANI) October 30, 2021
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